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ट्रैफिक ई-चालान भरने के लिए नहीं लगानी पड़ेगी बेवजह भागदौड़, यूपी में अब घर बैठे भुगतान की सुविधा

उत्तर प्रदेश में वर्तमान में ट्रैफिक नियमों को तोड़ने पर शतप्रतिशत ई-चालान किए जाने की व्यवस्था है। अब साफ्टवेयर के जरिए यातायात पुलिस के ई-चालान को सीधे लोगों तक भेजकर उनका घर बैठे निस्तारण कराये जाने की योजना है।

By Umesh TiwariEdited By: Updated: Sat, 11 Sep 2021 12:28 AM (IST)
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मोटर व्हेकिल एक्ट के तहत किए गए चालान घर बैठे भुगते जा सकेंगे।
लखनऊ [राज्य ब्यूरो]। ट्रैफिक नियमों को तोड़ने पर यातायात के ई-चालान भरने के लिए अब लोगों को बेवजह की भागदौड़ नहीं लगानी पड़ेगी। उत्तर प्रदेश राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण ऐसे मामलों में लोगों को बड़ी राहत देने जा रहा है। एमवी (मोटर व्हेकिल) एक्ट के तहत किए गए चालान घर बैठे भुगते जा सकेंगे। राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण इसके लिए राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण की मदद से एक साफ्टवेयर विकसित करा रहा है। ताकि लोक अदालत में आने वाले एमवी एक्ट के मामलों का निस्तारण घर बैठे कराया जा सकेगा।

उत्तर प्रदेश में वर्तमान में ट्रैफिक नियमों को तोड़ने पर शतप्रतिशत ई-चालान किए जाने की व्यवस्था है। हालांकि प्रयागराज व गौतमबुद्धनगर में ही ई-पोर्टल के जरिए चालान कोर्ट भेजे जाने की सुविधा है। शेष जिलों में यह व्यवस्था किए जाने की कसरत चल रही है। उत्तर प्रदेश राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण के सदस्य सचिव जितेंद्र कुमार सिंह ने बताया कि यातायात पुलिस ने करीब एक करोड़ ई-चालान किए हैं, जिनमें लगभग 6.5 लाख चालान ही कोर्ट भेजे जा सके हैं।

जितेंद्र कुमार सिंह बताते हैं कि ई-चालान के मामलों का तेजी से निस्तारण कराने के लिए राष्ट्रीय विधिक प्राधिकरण से साफ्टवेयर विकसित कराने की सिफारिश की गई थी। साफ्टवेयर के जरिए यातायात पुलिस के ई-चालान को सीधे लोगों तक भेजकर उनका घर बैठे निस्तारण कराये जाने की योजना है। संबंधित व्यक्ति को एसएमएस व वाट्सएप के जरिए नोटिस भेजा जाएगा, जिसमें चालान की कम से राशि व अन्य ब्योरा भी होगा।

उन्होंने बताया कि प्राधिकरण दो अक्टूबर से 14 नवंबर के मध्य विशेष अभियान के तहत लोगों को उनके कानूनी अधिकारों व प्राधिकरण से मिलने वाले विधिक सहायता के प्रति जागरूक करेगा। ग्रामीण क्षेत्रों में भी अभियान चलेगा। सभी थानों, तहसीलों व अन्य स्थानों पर प्राधिकरण की ओर से लोगों की विधिक सहायता के लिए गठित वकीलों के पैनल के नंबर चस्पा करवाए जाने के निर्देश भी दिए गए हैं। ताकि लोगों को इसकी जानकारी हो सके और मुफ्त में विधिक सहायता हासिल कर सकें।

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