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Lucknow News: अब भूकंप आने से पहले चलेगा पता, अर्थक्वेक अलार्म सिस्टम देगा सटीक जानकारी

नेशनल पीजी कालेज में भूगोल के छात्र-छात्राओं ने एक ऐसा अलार्म बनाया है जिसके द्वारा भूकंप की जानकारी सही समय पर मिल सकेगी। इसका नाम अर्थक्वेक अलार्म सिस्टम है। इसे शापिंग माल अपार्टमेंट स्कूल आदि जगहों पर इंस्टाल किया जा सकता है।

By Vikas MishraEdited By: Published: Tue, 06 Sep 2022 11:45 AM (IST)Updated: Tue, 06 Sep 2022 11:45 AM (IST)
छात्र-छात्राओं की टीम ने अर्थक्वेक अलार्मिंग सिस्टम तैयार किया है

लखनऊ, जागरण संवाददाता। मल्टीस्टोरी बिल्डिंग और घरों में रहने वाले लोग अक्सर भूकंप के दौरान सबसे अधिक भयभीत रहते हैं। कई बार रात में सोते समय लोगों को पता भी नहीं चल पाता है कि भूकंप आया या नहीं। अब इस खतरे की घंटी से पहले घंटी बजाने का एक सिस्टम छात्रों ने तैयार की है। नेशनल पीजी कालेज में भूगोल के छात्र-छात्राओं की टीम ने अर्थक्वेक अलार्मिंग सिस्टम तैयार किया है। जिसका उन्होंने अपने कालेज में प्रदर्शन भी किया है। भूगोल विभाग के रितेश श्रीवास्तव, रिया कुमारी, विदुषी सिंह, खुशी रावत, उर्वशी चौधरी, मानसी शुक्ला ने मिलकर यह नवाचार किया है।

इस सिस्टम को छात्रों ने इस तरह से तैयार किया है कि भूकंप से पहले होने वाली कंपन को अलार्म सिस्टम में नापा जा सकेगा। इस सिस्टम को शापिंग माल, अपार्टमेंट, स्कूल आदि जगहों पर इंस्टाल किया जा सकता है। भूकंप आने से पहले उसके कंपन को यह सिस्टम पढ़कर बजने लगता है। अलार्म की आवाज सुनकर मल्टीस्टोरी में रहने वाले लोगों को समय रहते बिल्डिंग से बाहर निकाला जा सकता है। यह अलार्म 3.5 रिक्टर स्केल तक के भूकंप से होने वाले कंपन को नाप सकता है। छात्रों ने अभी इस सिस्टम को प्रोटो टाइप माडल बनाया है। इसके बाद वह वर्किंग माडल बनाने की दिशा में प्रयास कर रहे हैं।

इस प्रोटो टाइप माडल में बैट्री के साथ सेंसर का प्रयोग किया गया है। जो भूंकप के झटके आने से पहले उसकी प्रारंभिक कंपन को महसूस कर बजने लगता है। भूकंप को भी जानिए धरती की सतह पर कई बार अचानक से हलचल होती है। इसके बाद धरती की आंतरिक ऊर्जा बाहर निकलने लगती है। इसकी वजह से भूकंप के तरंगें बनतीं हैं। इसकी वजह से धरती की अवस्था में परिवर्तन होने लगता है। इसकी वजह से भूकंप आता है। रिक्टर पैमाने पर तीन या उससे कम तीव्रता के भूकंप को महसूस करना मुश्किल रहता है। चार से ऊपर के भूकंप को महसूस किया जा सकता है। 5.5 रिक्टर पैमाने से अधिक के भूकंप से नुकसान पहुंच सकता है।


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