Earthquake in UP : पड़ोसी देश नेपाल के भूकंप का असर अभी बरकरार, उत्तराखंड पिथौरागढ़ के बाद लखनऊ में भूकंप के झटके
Earthquake in UP भूकंप की तीव्रता लखनऊ में 5.2 थी और गहराई जमीन से 82 किमी नीचे थी। प्रदेश की राजधनी लखनऊ की नेपाल की राजधानी काठमांडू से दूरी करीब 400 किलोमीटर है। भूकंप की दिशा भी लखनऊ की ओर ही थी इसलिए यहां झटकों की तीव्रता अधिक रही।
By Dharmendra PandeyEdited By: Updated: Sat, 20 Aug 2022 10:57 AM (IST)
लखनऊ, जेएनएन। Earthquake In Lucknow : भारत के पड़ोसी देश नेपाल में अप्रैल 2015 में भीषण भूकंप का असर अभी भी बरकरार है। नेपाल से सटे भारत के राज्य उत्तराखंड, बिहार तथा उत्तर प्रदेश में इसका असर दिखता ही रहता है। भूकंप ने शुक्रवार को उत्तराखंड के पिथौरागढ़ में दिन में हल्के झटके देने के बाद उत्तर प्रदेश में देर रात को अपना असर दिखा दिया।
नेपाल (Nepal) से सटे उत्तर प्रदेश के बहराइच जिला (Bahraich Center) भूकंप का केन्द्र था, जिसने लखनऊ तक अपना असर डाला। शुक्रवार देर रात करीब एक बजकर 12 मिनट पर लखनऊ में तड़के भूकंप के झटके महसूस किए गए। भूकंप की तीव्रता लखनऊ में 5.2 थी और गहराई जमीन से 82 किमी नीचे थी। उत्तर प्रदेश की राजधनी लखनऊ की नेपाल की राजधानी काठमांडू से दूरी करीब 400 किलोमीटर है। इसकी दिशा भी लखनऊ की ओर ही थी, इसलिए यहां झटकों की तीव्रता अधिक रही। इस दौरान बड़ी संख्या में लोग श्रीकृष्ण जन्माष्टमी का पर्व मनाने में लगे थे। भूकंप का केन्द्र लखनऊ से 139 किमी उत्तर-पूर्व में बहराइच के आसपास था।
नेशनल सेंटर फॉर सीस्मोलॉजी (NCS) के अनुसार इससे पहले शुक्रवार को दिन में उत्तराखंड के पिथौरागढ़ इलाके में हल्के झटके महसूस किए गए, जो रिक्टर पैमाने पर 3.6 तीव्रता के थे। इसी दौरान जम्मू-कश्मीर में भी रिक्टर पैमाने पर 3.1 तीव्रता का भूकंप हैनले गांव के दक्षिण-दक्षिण-पश्चिम हिस्से में दर्ज किया गया था. हिमाचल प्रदेश के किन्नौर जिले में शुक्रवार को 3.1 तीव्रता का भूकंप दर्ज किया गया।
भूकंप के प्रकार
- करीब 2.0 या उससे कम की तीव्रता वाले भूकंपों को आमतौर पर सूक्ष्म भूकंप कहा जाता है, इतनी काम तीव्रता के भूकंप के झटकों को आमतौर पर लोग महसूस नहीं कर पाते हैं
- 3.0 से 3.9 के बीच के भूकंपों को मामूली कहा जाता है और इनमें नुकसान करने की तीव्रता नहीं होती है
- 4.0 से 4.9 की सीमा में झटके हल्के भूकंप कहलाते हैं
- 5 से 6 तीव्रता के बीच आने वाले भूकंप से आबादी वाले क्षेत्रों में मध्यम क्षति हो सकती है
- 7 से ऊपर के भूकंप बड़े क्षेत्रों में गंभीर नुकसान और जीवन की हानि का कारण बनते हैं
लखनऊ में करीब 81 वर्ष बाद भूकंप के तेज झटके महसूस हुए। इससे पहले 1934 में बिहार में आए भूकंप का असर लखनऊ तक दिखा था। बिहार में दोपहर करीब 2:13 बजे 8.2 तीव्रता का भूकंप आया था। शुक्रवार को भी लखनऊ तेज झटकों से सहम गया। यह भूकंप के बाद (आफ्टरशॉक) आने वाले झटके हैं। अगले छह महीने तक ऐसे झटकों के आने की आशंका बनी रहेगी।लखनऊ भूकंप के लिहाज से सुरक्षित
लखनऊ में जियोलाजिकल सर्वे आफ इंडिया के भूकंप सेल के निदेशक केसी जोशी के अनुसार भूकंप के लिहाज से लखनऊ की धरती सुरक्षित है। यहां की मिट्टी में भूकंप के झटकों को सहने की ताकत है। यह सेडीमेंटरी रॉक की मोटी लेयर है, इसलिए यह शॉक एब्जार्बर का काम करती है।
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