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ED ने श्री लक्ष्मी काटसिन कंपनी की 31.94 करोड़ रुपये की संपत्ति की जब्त, बैंकों को लगाया था 7,377 करोड़ रुपये का चूना

धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) के तहत विभिन्न बैंकों के साथ की गई करीब 7377 करोड़ रुपये की जालसाजी के मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने कानपुर की श्री लक्ष्मी काटसिन कंपनी की छत्तीसगढ़ के भाटापारा और बलोदा बाजार में स्थित 31.94 करोड़ रुपये की 73.34 हेक्टेयर कृषि योग्य भूमि जब्त की है। जब्त की गई भूमि कंपनी व उसके करीबी कर्मचारियों तथा आदिवासियों के नाम पर थी।

By Manoj Kumar Tripathi Edited By: Vinay Saxena Updated: Wed, 06 Nov 2024 09:15 AM (IST)
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ईडी ने सीबीआई की जांच को बनाया आधार।- सांकेत‍िक तस्‍वीर
राज्य ब्यूरो, लखनऊ। प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने कानपुर की श्री लक्ष्मी काटसिन कंपनी की छत्तीसगढ़ के भाटापारा और बलोदा बाजार में स्थित 31.94 करोड़ रुपये की 73.34 हेक्टेयर कृषि योग्य भूमि जब्त की है। जब्त की गई भूमि कंपनी व उसके करीबी कर्मचारियों तथा आदिवासियों के नाम पर थी। ईडी ने कंपनी के विरुद्ध यह कार्रवाई धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) के तहत विभिन्न बैंकों के साथ की गई करीब 7,377 करोड़ रुपये की जालसाजी के मामले में की है।

सीबीआई भी इस मामले की जांच कर रहा है। जीवनतारा बिल्डिंग, संसद मार्ग, नई दिल्ली में स्थित सेंट्रल बैंक आफ इंडिया के डीजीएम राजीव खुराना ने सीबीआइ को पहली जून 2021 को शिकायत दी थी कि कंपनी ने बैंकों के साथ छह हजार करोड़ रुपये से ज्यादा की जालसाजी की है।

ईडी ने सीबीआई की जांच को बनाया आधार 

सीबीआई की जांच को आधार बनाकर ईडी ने अपनी जांच शुरू की थी। सार्वजनिक धन के डायवर्जन व जालसाजी के लिए कंपनी के अध्यक्ष व सह प्रबंध निदेशक डॉ. माता प्रसाद अग्रवाल, संयुक्त प्रबंध निदेशक पवन कुमार अग्रवाल, उप प्रबंध निदेशक देवेश नारायण गुप्ता व अज्ञात लोक सेवकों तथा अन्य व्यक्तियों को आरोपित बनाकर ईडी ने मामले की जांच आगे बढ़ाई है। अभी तक की जांच में यह सामने आया है कि कंपनी ने 2010 से 2018 की अवधि के दौरान विभिन्न बैंकों के साथ 7,377 करोड़ रुपये की जालसाजी की है।

ईडी की जांच से पता चला है कि आरोपित कंपनी ने सूटिंग-शर्टिंग, रजाई वाले कपड़े, डेनिम कपड़े व अन्य कपड़ों के निर्माण को लेकर 23 बैंकों के संघ से संपर्क कर ऋण लिया था। कुछ समय बाद ऋण खातों को एनपीए (नान परफार्मिंग असेट्स) घोषित कर दिया गया। फोरेंसिक जांच में पता चला है कि कंपनी ने ऋण समझौते की शर्तों और नियमों का पालन नहीं किया।

कंपनी ने बिना किसी छूट नीति के फर्जी पतों पर पंजीकृत कंपनियों व अन्य ग्राहकों को 207.29 करोड़ रुपये की छूट दी थी। साथ ही कुछ फंड को मेसर्स श्रीलक्ष्मी पावर लिमिटेड में डायवर्ट कर छत्तीसगढ़ के बलोदा बाजार में स्थित आइसीआइसीआइ बैंक के खातों के माध्यम से अलग-अलग व्यक्तियों को भेज दिया था। इस राशि से कंपनी ने छत्तीसगढ़ में अपने भरोसेमंद कर्मचारियों व आदिवासियों के नाम पर भूमि खरीदी थी। राष्ट्रीय कंपनी कानून न्यायाधिकरण (एनसीएलटी) के निर्देशों के तहत कंपनी से ऋण वसूली के लिए लगभग 265.44 करोड़ रुपये की संपत्ति की बिक्री पहले ही की जा चुकी है।

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