लखनऊ चिड़ियाघर आएं तो राज्य संग्रहालय जाना न भूलें, यहां तीन हजार साल पुरानी यह चीज है बहुत खास
Lucknow Zoo लखनऊ स्थित चिड़ियाघर के राज्य संग्रहालय में रखी मिस्र की ममी लोगों के लिए विशेष आकर्षण का केंद्र है। यह ममी 13 वर्ष की एक लड़की की है। इसकी आयु करीब तीन हजार वर्ष अनुमानित है।
By Anurag GuptaEdited By: Updated: Thu, 16 Jun 2022 05:59 PM (IST)
लखनऊ, [दुर्गा शर्मा]। लखनऊ में आपको एक से एक रोचक चीजें देखने को मिलेंगी। चिड़ियाघर में यूं तो वन्य जीव हर किसी को आकर्षित करते हैं, लेकिन यहां एक और चीज है, जिसे यहां आने वाला हर व्यक्ति बिना देखे नहीं जाता। चिड़ियाघर में बने राज्य संग्रहालय के अनमोल संग्रह में मिस्र की एक ममी है, जो कि 13 वर्ष की एक लड़की की है। इसे यहां संग्रहीत किया गया है। इसकी आयु करीब तीन हजार वर्ष अनुमानित है।
यह ममी एक लकड़ी के ताबूत 'स्कैफोज' में संरक्षित है। इस ताबूत पर चित्र लिपि में कुछ जानकारी भी अंकित है, साथ ही लड़की का चित्र भी बड़े आकर्षक रूप में बना हुआ है। इसके अतिरिक्त राज्य संग्रहालय, लखनऊ में मिस्र सभ्यता से संबंधित कुछ और कलाकृतियां भी संग्रहित हैं।
ममी शब्द अरबी भाषा के 'मौमिया' शब्द से आया है, जिसका अर्थ होता है 'मोम या बिटुमिन द्वारा संरक्षित शरीर'। ममी के अध्ययन से हम उस समय के इतिहास को भी जान सकते हैं। ममी एक लकड़ी के ताबूत (कौफिन) में रखी होती है और उस ताबूत में चित्रलिपि में ममी का नाम, उससे संबंधित वंश, राजवंश और भगवान के संबंधित नाम अंकित होते हैं।मिस्र देश के निवासियों द्वारा शुरू में ममी बनाने का उद्देश्य शरीर को क्षरण होने से बचाना और व्यक्तिगत पहचान बनाए रखना था। बाद में ये लोग भगवान 'ओसरिस' के रूप में दर्शाने के लिए इसका प्रयोग करने लगे। ममी का प्रचलन राजवंश समय के शुरू होने से पहले तक नहीं था।
राजवंश समय में शरीर को केवल एक कपड़ अथवा चटाई आदि में लपेट कर बालू में दफन कर दिया जाता था। फिर यह सूख जाता था और बहुत दिनों तक इसी प्रकार सुरक्षित रहता था, जब तक कि कोई प्राकृतिक आपदा न आए अथवा कोई इसे खोद कर बाहर न निकाल ले। इसके नष्ट होने के अवसर अधिक होते थे, इसलिए इन लोगों ने कुछ कृत्रिम साधन अपनाने शुरू किए।
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