UP By Election: उपचुनाव में बचे 48 घंटे! प्रचार के आखिरी दिन तक डटी रहीं पार्टियां; 20 नवंबर को वोटिंग
उत्तर प्रदेश की नौ विधानसभा सीटों पर 20 नवंबर को वोटिंग होनी है। सोमवार को उपचुनाव के लिए चुनाव प्रचार का शोर थम गया। 23 नवंबर को मतगणना होगी। इस उपचुनाव में भाजपा सपा और बसपा के बीच मुख्य मुकाबला है। सभी दलों ने अपनी पूरी ताकत झोंक दी है। आखिरी दिन तक पार्टियां प्रचार के लिए मैदान में डटी रहीं।
राज्य ब्यूरो, लखनऊ। उत्तर प्रदेश की नौ विधानसभा सीटों पर होने वाले उपचुनाव के लिए चुनाव प्रचार सोमवार की शाम पांच बजे थम गया। प्रचार के अंतिम दिन सभी प्रमुख राजनीतिक दलों ने अपनी पूरी ताकत झोंक दी और मतदाताओं को अपने पक्ष में मतदान के लिए प्रेरित किया। अब 20 नवंबर, बुधवार को सुबह सात बजे से शाम पांच बजे तक मतदान होगा। इस उपचुनाव में करीब 34 लाख मतदाता 90 उम्मीदवारों की किस्मत का फैसला करेंगे।
इन उपचुनाव में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा), समाजवादी पार्टी (सपा) और बहुजन समाज पार्टी (बसपा) के लिए प्रतिष्ठा का सवाल बना हुआ है। सभी दलों ने अपनी पूरी ताकत चुनाव प्रचार में झोंक दी है, ताकि वे जनता का समर्थन प्राप्त कर सकें।
भाजपा का विकास और हिंदुत्व का एजेंडा
भाजपा की ओर से मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, दोनों उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य और ब्रजेश पाठक और संगठन के बड़े नेताओं ने प्रचार किया। सीएम योगी ने प्रत्येक सीट पर जनसभाएं कीं और चुनावी रैलियों में पार्टी के विकास कार्यों को प्रमुख रूप से प्रस्तुत किया। मुख्यमंत्री ने जनता को हर बार बताया है कि भाजपा सरकार ने प्रदेश में कानून व्यवस्था को बेहतर किया है और राज्य में विकास को नई दिशा दी है।इसे भी पढ़ें- UP के इन 14 जिलों को मिलेगी जाम से मुक्ति, फ्लाईओर-बाईपास के निर्माण को शासन को भेजा गया प्रस्ताव
सपा का पीडीए गठजोड़ पर जोर
वहीं, सपा ने इस उपचुनाव में पिछड़ा, दलित और अल्पसंख्यक (पीडीए) गठजोड़ को प्रमुख चुनावी मुद्दा बनाया है। सपा के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने प्रचार में स्वयं भाग लिया और सभी नौ सीटों पर चुनावी रैलियां कीं। प्रचार के अंतिम दिन सपा मुखिया ने मीरापुर में रोड शो किया, जिसमें हजारों की संख्या में समर्थक जुटे। अखिलेश यादव ने सपा सरकार के कार्यकाल में किए गए विकास कार्यों को सामने रखते हुए जनता से पार्टी को समर्थन देने की अपील की।
उधर, बहुजन समाज पार्टी (बसपा) ने भी अपनी पूरी ताकत लगाई, लेकिन इस बार उनका चुनावी प्रचार उतना जोरदार नहीं दिखा। इसके बावजूद बसपा ने पिछड़े वर्ग और दलितों के हितों की रक्षा करने का वादा किया। अन्य छोटे दलों ने भी अपने-अपने उम्मीदवारों का प्रचार किया, लेकिन प्रदेश की राजनीति में मुख्य मुकाबला भाजपा और सपा के बीच ही नजर आ रहा है।
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