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UP: भाजपा ने बैठक की तो बढ़ गई चुनावी सरगर्मियां, BJP के साथ सपा और कांग्रेस में दिखने लगे महापौर के दावेदार

यूपी में न‍िकाय चुनाव की तैयार‍ियां एक बार फिर तेज हो गई हैं। भाजपा ने न‍िकाय चुनाव को लेकर बैठक की तो राजनीत‍िक गल‍ियारों में चुनावी सरगर्मियां बढ़ गई हैं। भाजपा के साथ सपा और कांग्रेस में भी महापौर के दावेदार नजर आने लगे हैं।

By Ajay SrivastavaEdited By: Prabhapunj MishraUpdated: Sat, 18 Feb 2023 09:26 AM (IST)
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UP Politics: भाजपा की बैठक के बाद बढ़ी चुनावी सरगर्म‍ियां
लखनऊ, [अजय श्रीवास्तव]। भाजपा की तरफ से निकाय चुनाव की तैयारियों के साथ ही लखनऊ में राजनीतिक गतिविधियां भी तेज हो गई हैं। भाजपा की महानगर इकाई ने दो दिन पहले ही निकाय चुनाव को लेकर बैठक कर जीत के मंत्र दिए गए थे। इस बैठक में उप मुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक के अलावा लखनऊ के प्रभारी मंत्री सुरेश खन्ना भी मौजूद थे।

आरक्षण को लेकर उठे विवाद के बाद टल गए थे चुनाव

ऐसे में पार्षद सीट के दावेदारों के साथ की महापौर का टिकट मांगने वालों के चेहरे एक बार फ‍िर से सामने आ गए हैं। आरक्षण को लेकर उठे विवाद के बाद चुनाव टल गए थे। अब दावेदारों का टिकट भी आरक्षण पर तय है।

भाजपा में टिकट मांगने वालों की लंबी लाइन

वैसे लखनऊ समेत अन्य निकायों में महापौर और पार्षदों का कार्यकाल जनवरी की अलग-अलग तारीखों में खत्म हो चुका है। लंबे समय से लखनऊ में महापौर की सीट भाजपा की झोली में है और इस कारण भाजपा में टिकट मांगने वालों की लंबी लाइन है। 2024 के लोकसभा चुनाव को देखते पार्टी ऐसे उम्मीदवार को मैदान में उतारना चाहती है, जिससे उसका प्रभाव 2024 के चुनाव में भी दिखाई दे। यही कारण है कि टिकट पाने का आशीर्वाद लेने के लिए दिल्ली में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह से मिलने भी दावेदार जा रहे हैं।

लखनऊ में प‍िछली बार थी मह‍िला सीट, इस बार हावी रहेगा जातीय समीकरण

पिछली बार महिला सीट होने से टिकट संयुक्ता भाटिया को मिल गया था। वह महापौर भी चुनी गईं थीं।

इस बार की सीट सामान्य होने के कारण दौड़ भी अधिक दिख रही है। संयुक्ता भाटिया खुद की दावेदारी कर रही है लेकिन पार्टी की तरफ से उम्र की सीमा बांध देने से उनकी दावेदारी पर संशय खड़ा हो गया है।

जातीय समीकरण के आधार पर भाजपा किसी कायस्थ को मैदान में उतारना चाहती है, क्योंकि भाजपा का गढ़ माने जाने वाले लखनऊ में कायस्थ वर्ग से कोई प्रतिनिधित्व नहीं है।

पश्चिम से विधायक रहे सुरेश श्रीवास्तव के निधन के बाद उप चुनाव तो नहीं हुआ था लेकिन 2021 में हुए चुनाव में भाजपा ने पुराने और जमीनी कार्यकर्ता अंजनी श्रीवास्तव को मैदान में उतारा था लेकिन वह कमल को खिला नहीं पाए थे।

अब वह महापौर की दावेदारी कर रहे हैं तो रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के खास माने जाने वाले ओपी श्रीवास्तव भी दावेदार हैं और भाजपा में विभिन्न पदों पर रह चुके हैं।

पांच साल पहले सपा छोड़कर भाजपा में शामिल हुईं ज्योत्सना श्रीवास्तव भी दिख रही है। उनके पति पुलिस अधिकारी के पद से सेवानिवृत्त होने के बाद कायस्थ समाज के कार्यक्रमों में सक्रिय हो गए हैं।

ये ख‍िलाड़ी हैं मैदान में

वैसे कई सेवानिवृत्त शिक्षाविद् का नाम भी चल रहा है। वित्त मंत्री और लखनऊ के प्रभारी मंत्री सुरेश खन्ना के खास और भाजपा के पुराने नेताओं में शामिल मिश्र के पुत्र सुनील मिश्र भी दावेदारों में हैं। सामान्य सीट होने के कारण लखनऊ के व्यापारी घरानों से ताल्लुक रखने वाले सुधीर हलवासिया भी टिकट पाने की दौड़ में हैं। पिछले विधानसभा चुनाव में सीटिंग विधायक होने के बाद भी ब्रजेश पाठक को टिकट का विरोध न करने वाले पूर्व विधायक सुरेश तिवारी भी दावेदारों में हैं। वह पूर्व में सभासद भी रह चुके हैं।

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