बिजली बिल 60 फीसदी तक हो जाएगा कम, 1 लाख तक की सब्सिडी का भी मिलेगा लाभ; करना होगा बस ये काम
पीएम सूर्य घर योजना से हर जगह रोशनी फैलाने के लिए प्रशासिनक अमला तैयार है। योजना के जरिए उपभोक्ता अपने बिजली बिलों में 60 प्रतिशत तक की कमी कर सकते हैं जिससे उनकी मासिक खर्चों में राहत मिलती है। इसके अलावा उपभोक्ता अधिकतम एक लाख आठ हजार रुपए तक की सब्सिडी का लाभ भी उठा सकते हैं जो सोलर पैनल की लागत को काफी कम कर देती है।
जागरण संवाददाता, लखनऊ। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अति महत्वाकांक्षी पीएम सूर्य घर योजना से हर जगह रोशनी फैलाने के लिए प्रशासिनक अमला तैयार है। मंडलायुक्त डॉ. रोशन जैकब ने इस योजना का लाभ घर घर तक पहुंचाने के लिए प्रशासन को निर्देश दिए हैं।
मंडलायुक्त ने कहा है कि अपने घरों की छतों पर सोलर रूफटॉप सिस्टम लगवाकर न केवल अपने बिजली के बिलों में भारी कमी का लाभ ले सकते हैं, बल्कि एक हरित और ऊर्जा- कुशल प्रदेश के निर्माण में भी योगदान दे सकते हैं। योजना के क्रियान्वयन के लिए यूपीनेडा को स्टेट नोडल एजेंसी घोषित किया गया है। योजना से जुड़ने के लिए वेबसाइट https://www.pmsuryaghar.gov.in/ पर जाकर बिजली खाता संख्या एवं मोबाइल नंबर से पंजीकरण करवा सकते हैं।
योजना के लाभ
उपभोक्ता अपने बिजली बिलों में 60 प्रतिशत तक की कमी कर सकते हैं, जिससे उनकी मासिक खर्चों में राहत मिलती है। इसके अलावा, उपभोक्ता अधिकतम एक लाख आठ हजार रुपए तक की सब्सिडी का लाभ भी उठा सकते हैं, जो सोलर पैनल की लागत को काफी कम कर देती है।लोन व्यवस्था
योजना के अंतर्गत सात प्रतिशत ब्याज दर पर उपलब्ध ऋण के कारण उपभोक्ता सोलर पैनल लगाने में आसानी से निवेश कर सकते हैं। ऋण व्यवस्था के लिए पीएम सूर्य घर पोर्टल को जनसमर्थ पोर्टल से इंटीग्रेट किया गया है।पंजीकृत विक्रेता
विक्रेता के माध्यम से पीएम सूर्य घर योजना से जुड़ने के लिए विक्रेता मात्र 2.5 लाख की बैंक गारंटी (न्यूनतम 5 साल वैधता के साथ) और 15 बिंदुओं का शपथ पत्र यूपीनेडा में जमा करवा कर अपना पंजीकरण करा सकते हैं। पीएम सूर्य घर योजना के अंतर्गत जागरूकता फैलाने के लिए आइसीए (सूचना, शिक्षा और संचार) गतिविधियां संचालित की जा रही हैं। इनका उददेश्य सोलर ऊर्जा के लाभों और योजना की विशेषताओं को समझाना है। योजना से संबंधित सहायता के लिए टोल-फ्री नंबर 15555 उपलब्ध हैं। यह योजना अक्षय ऊर्जा अपनाने, पारंपरिक ऊर्जा स्रोतों पर निर्भरता कम करने और पर्यावरण की रक्षा करने का एक सुनहरा मौका है।
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