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UP News: कौन हैं घोस्ट कंज्यूमर? जिनकी कुर्की कराएगा बिजली विभाग; करोड़ों की चपत लगा चुके हैं ये लोग

लखनऊ में बिजली विभाग ने अब घोस्ट कंज्यूमर के खिलाफ एक्शन का प्लान तैयार कर लिया है। राजधानी के 26 खंडों में घोस्ट कंज्यूमरों की सूची अपडेट की जा रही है। ग्रामीण क्षेत्रों के साथ ही शहरी क्षेत्रों में ऐसे डिफाल्टरों की संख्या कम नहीं है। अधिकारी बताते हैं कि ऐसे डिफाल्टरों को खोजा जा रहा है। विभाग अब ऐसे उपभोक्ताओं की कुर्की कराएगा।

By Jagran NewsEdited By: Pragati ChandUpdated: Mon, 27 Nov 2023 10:28 AM (IST)
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घोस्ट कंज्यूमर की कुर्की कराएगा बिजली विभाग। (प्रतीकात्मक तस्वीर)
अंशू दीक्षित, लखनऊ। पहले बिजली इस्तेमाल की और जब बिल देने की बारी आई तो 'लापता' हो गए। ऐसे उपभोक्ताओं से निपटने के लिए बिजली विभाग ने कमर कस ली है। राजधानी के ट्रांस गोमती व सिस गोमती में ऐसे उपभोक्ताओं की संख्या करीब 25 हजार से अधिक है। इन पर बकाया भी करोड़ों का है। ऐसे उपभोक्ताओं को बिजली विभाग घोस्ट कंज्यूमर कहता है। बिजली विभाग ने अब ऐसे कई सौ उपभोक्ताओं की कुर्की के लिए राजस्व विभाग से भी पत्राचार किया है। वहीं एक बार फिर से प्रयास करने की भी तैयारी है कि एक मुश्त समाधान योजना (ओटीएस) के तहत ऐसे उपभोक्ताओं को खोजकर ओटीएस का लाभ दिलाया जा सके।

राजधानी के 26 खंडों में ऐसे घोस्ट कंज्यूमरों की सूची अपडेट की जा रही है। ग्रामीण क्षेत्रों के साथ ही शहरी क्षेत्रों में ऐसे डिफाल्टरों की संख्या कम नहीं है। ऐशबाग, राजाजीपुरम, अमीनाबाद, चौक, ठाकुरगंज, कानपुर रोड, आलमबाग, रेजीडेंसी, विश्वविद्यालय, महानगर, चिनहट, बख्शी का तालाब, सेस प्रथम, द्वितीय, तृतीय, चतुर्थ, मुंशी पुलिया, इंदिरा नगर खंड में ऐसे कई डिफाल्टर हैं। इंदिरा नगर के अधिशासी अभियंता घनश्याम बताते हैं कि ऐसे डिफाल्टरों को खोजा जा रहा है।

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कुछ लोग मिले हैं, उन्हें समझाकर प्रेरित किया जा रहा है कि बकाया जमा करें। कई ऐसे डिफाल्टर हैं, जिन्होंने घर बेच दिया और कुछ तो ऐसे हैं, जो पता बदलकर रह रहे हैं। सिस व ट्रांस के मुख्य अभियंताओं ने ऐसे लापता उपभोक्ताओं पर भी फोकस करना शुरू कर दिया है। 31 दिसंबर 2023 तक ऐसे उपभोक्ताओं से भी राजस्व लाने के लिए अवर अभियंता, उपखंड अधिकारी को जिम्मेदारी दी गई है।

विभाग की मिलीभगत से बढ़ रही संख्या

लाइनमैन और जेई की ढिलाई के कारण ही ऐसे लोगों को कनेक्शन दे दिया जाता है, जिसकी वजह से बड़े पैमाने पर लोग बिजली इस्तेमाल करने के बाद गायब हो जाते हैं। बाद में ऐसे घोस्ट कंज्यूमर की संख्या विभाग के लिए सिरदर्द बन जाती है।

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इन्हें कहते हैं घोस्ट उपभोक्ता

  • मीटर गायब करने के साथ ही कर्मचारियों की मिलीभगत से पते में हेरफेर कराने वाले।
  • बिजली चोरी में पकड़े जाने और बिल की राशि बढ़ने पर विभाग में पता गायब कराने वाले।
  • स्टोर रीडिंग में जुर्माने की राशि बढ़ने और बिल लाखों में पहुंचने पर सेंटिंग कर लापता होने वाले।
  • सौ रुपये के एग्रीमेंट के आधार पर मिलीभगत से कनेक्शन लेने के बाद गायब होने वाले उपभोक्ता।

बिजली घर के लिए राज्य संपति विभाग ने नहीं दी एनओसी

राज्य संपत्ति कार्यालय के बगल में नया बिजली घर बनाने की योजना फिलहाल ठंडे बस्ते में चली गई है। राजभवन खंड के अभियंताओं ने क्षेत्र की बिजली व्यवस्था बेहतर करने के लिए यहां जमीन तलाशी थी। उद्देश्य था कि राज्य संपत्ति विभाग अगर अपनी जमीन सरकारी शर्तों पर दे देता है तो एक लाख आबादी को बेहतर बिजली मिल सकेगी। इसका पूरा खाका भी अभियंताओं ने कागजों पर तैयार कर लिया था। इसके बाद कागजी प्रकिया शुरू हुई। अंत में जब कागज राज्य संपति विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों के पास पहुंचा तो अफसरों ने मंथन के बाद जमीन देने के साथ ही अनापत्ति प्रमाण पत्र देने से मना कर दिया।

राजभवन खंड के अधिशासी अभियंता डीकेडी द्विवेदी ने बताया कि अब फिर से नए सिरे से जमीन की तलाश नए बिजली घर के लिए की जा रही है। वर्तमान में एक मुश्त समाधान योजना में टीमों को लगाया गया है। योजना खत्म होने के बाद अभियंताओं को एक बार फिर से जमीन की तलाश में लगाया जाएगा।

उन्होंने बताया कि अगर एक नया बिजली घर बन जाता है तो आने वाले कई दशकों तक बिजली व्यवस्था और मजबूत हो जाएगी। आबादी और बिजली की डिमांड हर साल बढ़ रही है। इसलिए नया बिजली घर जरूरी है। तभी आगामी गर्मी में उपभोक्ताओं को राहत मिल सकेगी।

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