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यूपी में सस्ती होगी बिजली? विद्युत नियामक आयोग व UPPCL के बीच फंसा पेंच

UPPCL यूपी में बिजली की दरों को लेकर विद्युत नियामक आयोग और UPPCL के बीच पेंच फंसा हुआ है। बिजली कंपनियों पर उपभोक्ताओं का 33122 करोड़ रुपये सरप्लस होने के बावजूद बिजली की दरें बढ़ने की संभावना है। उपभोक्ता संगठन बिजली की मौजूदा दर को घटाने की मांग कर रहे हैं। क्या यूपी में बिजली सस्ती होगी? नियामक आयोग दरें घटाने के पक्ष में है।

By Jagran News Edited By: Abhishek Pandey Updated: Thu, 29 Aug 2024 07:44 AM (IST)
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यूपी में सस्ती होगी बिजली? विद्युत नियामक आयोग व UPPCL के बीच फंसा पेंच
राज्य ब्यूरो, लखनऊ। उत्तर प्रदेश विद्युत नियामक आयोग मौजूदा वित्तीय वर्ष के लिए बिजली की दरों को अंतिम रूप देने में जुटा है। वित्तीय संकट से जूझ रहे पावर कारपोरेशन प्रबंधन की कोशिश है कि बिजली की दर बढ़ जाए वहीं उपभोक्ता संगठन बिजली की मौजूदा दर को घटाने की मांग आयोग से कर रहे हैं।

माना जा रहा है कि बिजली की दरें बढ़ने के बजाय यथावत रहेंगी। उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश वर्मा का कहना है कि जब बिजली कंपनियों पर उपभोक्ताओं का 33,122 करोड रुपये सरप्लस है तब फिर बिजली की दर घटनी ही चाहिए। उन्होंने इस संबंध में सरकार से दखल देने की मांग की। वर्मा ने बताया कि राज्य सलाहकार समिति की बैठक में भी इस मामले को उन्होंने उठाया था।

परिषद की ओर से इस संबंध में प्रस्ताव भी दिया गया था कि सरप्लस के एवज में एकदम से बिजली की दरों में 40 प्रतिशत कमी करना संभव न हो तो अगले पांच वर्षों तक आठ-आठ प्रतिशत दरों में कमी करके हिसाब बराबर किया जाए।

बिजली दरों में की जा सकती है कटौती

उत्तर प्रदेश विद्युत अधिनियम 2003 की धारा 108 का हवाला देते हुए वर्मा ने बताया कि उपभोक्ताओं का बिजली कंपनियों पर सरप्लस होने पर बिजली की दरों में कमी की जा सकती है। चूंकि सरप्लस धनराशि को लेकर किसी तरह का विवाद नहीं है इसलिए दरों में कमी करने का लगातार दबाव आयोग पर बना हुआ है।

सरप्लस को ही देखते हुए इस बार कारपोरेशन प्रबंधन द्वारा अपनी ओर से दरों संबंधी प्रस्ताव आयोग में दाखिल नहीं किया गया।

सूत्रों का कहना है कि ऊर्जा निगमों की खराब वित्तीय स्थिति को देखते हुए आयोग बिजली की दरों में कमी करने जैसा निर्णय शायद ही करे लेकिन सरकार द्वारा धनराशि मुहैया कराए जाने पर कुछ खास श्रेणियों की बिजली दरों में कमी भी की जा सकती है।

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