Emergency: आज ही के दिन लगाई गई थी मीडिया पर सेंसरशिप, ठप कर दिया गया था अखबारों का प्रकाशन
Emergency 25 जून 1975 को इंदिरा गांधी के सुझाव पर तत्कालीन राष्ट्रपति फखरुद्दीन अली अहमद के आदेश पर देश में आपातकाल की घोषणा की गई। आपातकाल लागू होने के साथ ही विपक्ष के तमाम बड़े नेताओं को जेल में डाल दिया गया। दिल्ली स्थित तमाम बड़े अखबारों के दफ्तर की बिजली काट दी गई जनता तक जाने वाली सभी खबरों को सरकार की ओर से सेंसर किया जाने लगा।
By Abhishek PandeyEdited By: Abhishek PandeyUpdated: Wed, 28 Jun 2023 04:57 PM (IST)
जागरण ऑनलाइन डेस्क, नई दिल्ली: 25 जून 1975 को इंदिरा गांधी के सुझाव पर तत्कालीन राष्ट्रपति फखरुद्दीन अली अहमद के आदेश पर देश में आपातकाल की घोषणा की गई। आपातकाल लागू होने के साथ ही विपक्ष के तमाम बड़े नेताओं को मीसा कानून के तहत जेल में डाल दिया गया।
आपातकाल के साक्षी रहे लोगों का कहना है कि उस समय जो भी सरकार के खिलाफ आवाज उठाता, उन्हें बिना किसी कारण जेल में डाल दिया जाता था। उस दौरान लोगों तक सूचना पहुंचाने का एकमात्र स्रोत अखबार और रेडियो हुआ करते थे। सरकार ने 28 जून को मीडिया पर भी सेंसरशिप लागू कर दिया।
मीडिया के लिए लागू की गई थी सेंसरशिप
दिल्ली स्थित तमाम बड़े अखबारों के दफ्तर की बिजली काट दी गई, जनता तक जाने वाली सभी खबरों को सरकार की ओर से सेंसर किया जाने लगा। सरकार की अनुमति के बाद ही अखबारों को छपने के लिए छोड़ा जाता था।सरकार की ओर से प्रेस के लिए दिशानिर्देश जारी कर दिए गए थे। अफवाहों और आपत्तिजनक खबर को छापने की सख्त मनाही थी, जो सरकार के खिलाफ विपक्ष को भड़का सकता था। ऐसे सभी कार्टूनों, तस्वीरों और विज्ञापनों को पहले सेंसरशिप के लिए सौंपना पड़ता था, जो सेंसरशिप के दायरे में आते थे।
अधिकारियों को न्यूज एजेंसियों के दफ्तरों में तैनात कर दिया गया था, ताकि ये आपत्तिजनक खबरों को उनके स्रोत पर ही दबा दें। विदेशी न्यूज एजेंसियों की आनेवाली कापी को जांच की जाती थी।
कुलदीप नैयर लिखते हैं- "आपातकाल के दौरान दिल्ली के संपादकों की एक बैठक बुलाई और उन्हें कड़े शब्दों में कह दिया गया था कि सरकार कभी बकवास बर्दाश्त नहीं करेगी। यह सरकार रहेगी और राज करेगी।" किसी संपादकीय, लेख या कहीं और खाली जगह को भी विरोध माना जाएगा। बता दें यह तरीका अंग्रेजी राज में सेंसरशिप का विरोध करने के लिए भारतीय अखबार आमतौर पर अपनाते थे।
आपके शहर की हर बड़ी खबर, अब आपके फोन पर। डाउनलोड करें लोकल न्यूज़ का सबसे भरोसेमंद साथी- जागरण लोकल ऐप।