उत्तर प्रदेश राज्य खनिज विकास निगम का अस्तित्व पूरी तरह खत्म, नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल ने किया भंग
खनन के क्षेत्र में एकछत्र राज करने वाले उत्तर प्रदेश राज्य खनिज विकास निगम का अस्तित्व अब पूरी तरह खत्म हो गया है। यह देश का पहला ऐसा निगम है जिसे नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल ने भंग कर दिया है।
By Umesh TiwariEdited By: Updated: Wed, 21 Oct 2020 07:10 AM (IST)
लखनऊ, जेएनएन। एक समय में खनन के क्षेत्र में एकछत्र राज करने वाले उत्तर प्रदेश राज्य खनिज विकास निगम का अस्तित्व अब पूरी तरह खत्म हो गया है। यह देश का पहला ऐसा निगम है, जिसे नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल ने भंग कर दिया है। निगम ने परिसमापन से पहले अपनी सभी देनदारियों और लंबित वादों का निस्तारण कर दिया है। यूं तो निगम बंद करने में सरकार के करोड़ों रुपये खर्च हो जाते हैं, लेकिन यह पहला ऐसा निगम है जिसने बंद होने से पहले सरकार को 100 करोड़ रुपये दिए हैं। इस निगम ने अधर में लटके दूसरे निगमों को भी पूरी तरह बंद करने का रास्ता दिखा दिया है।
खनिज विकास निगम का गठन 23 मार्च, 1974 को हुआ था। निगम के गठन का मुख्य उद्देश्य प्रदेश में एवं अन्य स्थानों पर खनिजों से संबंधित भूवैज्ञानिक विश्लेषण करने के साथ ही खनन कार्यों की वाणिज्यिक गतिविधियों का विकास करना था। खनिज प्रसंस्करण इकाइयों को भी स्थापित कर उन्हें बढ़ावा देना भी निगम के मुख्य कार्यों में शामिल था। निगम को बंद करने का फैसला 11 जनवरी, 2000 में कैबिनेट निर्णय के तहत लिया गया था। इसे पूरी तरह बंद करने में 20 साल लग गए। निगम ने सबसे पहले 488 कर्मचारियों को वीआरएस योजना के तहत उनकी देनदारियों का भुगतान किया। इसके बाद बचे 318 कर्मचारियों की छंटनी कर उनके भत्ते दिए। सभी कर्मियों के पीएफ एवं पेंशन के भी निस्तारण हो चुके हैं।
निगम को बंद करने की जिम्मेदारी महाप्रबंधक मधुकर सिंह को दी गई थी। उन्होंने बताया कि निगम को लेकर देश व प्रदेश के विभिन्न न्यायालयों में कुल 565 वाद दायर थे। इनमें से अधिकतर का निस्तारण हो गया है। सिंह ने बताया कि 20 साल से यह मामला अटका था। नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल ने इसे भंग कर दिया है। उन्होंने बताया कि निगम ने विभिन्न बैंकों व संस्थानों से जो कर्ज लिया था, उसकी 20.35 करोड़ रुपये धनराशि दी जा चुकी है। सरकार से लिए गए 18.23 करोड़ रुपये भी वापस किए जा चुके हैं। सरकार से लिए कर्ज पर सात करोड़ रुपये ब्याज मिला था, उसे भी वापस कर दिया गया है। निगम की तीन मूल्यवान संपत्तियां, जिनकी कीमत 70 से 80 करोड़ रुपये है, शासन को सौंप दी गई हैं।
- इसलिए बंद हुआ निगम
- सबसे ज्यादा लाभ कमाने वाली लम्बीधार खनन परियोजना देहरादून का बंद होना
- निगम की सहायतित कंपनी उत्तर प्रदेश कारबाइड एंड केमिकल लिमिटेड का बंद होना
- ललितपुर स्थित रॉक फास्फेट खनन परियोजना बंद होना
- सोनभद्र स्थित उत्तर प्रदेश सीमेंट कारपोरेशन के बंद होने से निगम की लाइम स्टोन खनन परियोजना बंद होना
- निगम में कार्यों के सापेक्ष अधिक कर्मियों की नियुक्ति होना
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