Move to Jagran APP
5/5शेष फ्री लेख

Fake Currency Racket Lucknow: वेब सीरीज ‘फर्जी’ देखकर छापने लगे नकली नोट, इंस्टाग्राम के जरिए करते थे सप्लाई

Fack Currency News गिरोह में दो इंटर के छात्र आर्डर पर एक दिन में छापते थे तीन लाख रुपये। वर्ष 2018 से कर रहे थे काम। आर्डर मिलने पर दिन में तीन लाख रूपये तक छाप लेते थे। 500 200 व 100 रुपये छापते थे नकली नोट 3.20 लाख के नोट हुए बरामद। मडिय़ांव पुलिस ने क्राइम टीम के साथ किया खुलासा जांच एजेंसियों को भी दी जानकारी।

By Jagran NewsEdited By: Abhishek SaxenaUpdated: Tue, 29 Aug 2023 10:43 AM (IST)
Hero Image
2018 से कर रहे थे यह काम। गिरोह में दो इंटर के छात्र।

लखनऊ, जागरण संवाददाता। नकली नोटों के प्रसार में इंस्टाग्राम और टेलीग्राम जैसे इंटरनेट मीडिया प्लेटफार्म की भूमिका सामने आई है। सोमवार को मड़ियांव पुलिस ने नकली नोट छापने और प्रसारित करने वाले गिरोह के पांच सदस्यों को गिरफ्तार कर इसकी कई परतें खोलीं। गिरफ्तार सदस्यों में दो इंटर के छात्र हैं। इन्होंने यूट्यूब देखकर कर नकली नोट छापना सीखा और खपाना शुरू कर दिया। इसी दौरान वेबसीरीज ‘फर्जी’ देखी और इसके बाद और इससे भी टिप्स हासिल किए। पुलिस ने इनके पास से 3.20 लाख मूल्य के 500, 200 और 100 रुपये के नोट बरामद किए हैं। गिरोह का सरगना नई दिल्ली के अलीपुर का विकास भारद्वाज है। उसका नेटवर्क कई राज्यों में फैला है।

इंटर में पढ़ने वाले दो छात्र भी शामिल

डीसीपी उत्तरी एसएम कासिम आब्दी ने बताया कि गिरोह में नोट बनाने, पहुंचाने और आर्डर लेने की जिम्मेदारी अलग-अलग सदस्यों की थी। सोमवार को मड़ियांव पुलिस और क्राइम ब्रांच ने गिरोह के सरगना, इंटर में पढ़ने वाले दो छात्रों समेत पांच सदस्यों को गिरफ्तार किया है।

गिरफ्तार आरोपितों में नई दिल्ली निवासी विकास भारद्वाज, लखनऊ के इटौंजा निवासी विकास सिंह, मड़ियांव का विकास दुबे, विभूतिखंड का रवि प्रकाश उर्फ अविनाश पांडेय व पड़ोसी जिले बाराबंकी का उत्कर्ष द्विवेदी शामिल है। ये लोग वर्ष 2018 से नकली नोट बनाने का काम कर रहे थे। इस वर्ष के शुरुआत में आई वेब सीरीज ‘फर्जी’ देखकर इन लोगों ने अपने अपने फर्जीवाड़े के काम को रफ्तार दे दी।

फेक करेंसी ग्रुप बनाकर ग्राहक को जोड़ा

विकास भारद्वाज ने इंस्टाग्राम और टेलीग्राम पर फेक करेंसी ग्रुप बनाकर ग्राहकों को जोड़ा। जो लोग नकली नोट लेने की इच्छा जताते, वह उनसे फोन पर संपर्क करता।

लोकेशन तय होती, फिर नमूना देकर आर्डर ले लेता था

ये लोग असली 20 हजार रुपये लेकर एक लाख मूल्य के नकली नोट देते थे। विकास सिंह और विकास दुबे आर्डर देने वालों तक नकली नोट पहुंचाते थे। डीसीपी के मुताबिक नोट रवि और उत्कर्ष छापते थे। दोनों इंटर के छात्र हैं। उन्होंने विभूतिखंड में किराये पर कमरा लिया था। शुरुआत में छपाई में बहुत कागज खराब होते थे, बमुश्किल पांच-छह हजार मूल्य के नोट छपते थे। धीरे-धीरे हाथ में सफाई आई तो एक दिन में तीन लाख मूल्य तक के नोट छापने लगे। सरगना विकास भारद्वाज दिल्ली में मारपीट व हत्या के प्रयास में तिहाड़ जेल जा चुका है। वहीं विकास दुबे चिनहट में शराब तस्करी में जेल गया था। गिरोह के एक और सदस्य कानपुर के लालपुर देहात निवासी मोनू यादव उर्फ सोनेलाल को भी पुलिस तलाश रही है। उसे एक लाख रुपये के नकली नोट देकर कानपुर भेजा गया था।

बांड पेपर का करते थे इस्तेमाल

ये लोग नकली नोट बनाने के लिए बांड पेपर का इस्तेमाल करते थे। नोट पकड़ में न आए, इसके लिए नीली पन्नी को मशीन से एक तरफ लगाते थे, फिर दोनों तरफ से नोट को लैमिनेट कर देते थे। आरोपित इंस्टाग्राम व टेलीग्राम पर फेक इंडियन करेंसी के नाम से ग्रुप चलाते थे। पुलिस ने ग्रुप चेक किया तो पता चला कि आर्डर तैयार करने के बाद ये लोग इंस्टाग्राम पर स्टेटस लगाते थे। लोग पूछताछ करते थे, जिससे कई बार आर्डर भी मिलते थे। राजधानी में नकली नोट खपाई जा रही है।

आरबीआइ के करेंसी चेस्ट पर पहुंचे नोट

असली की तरह दिखने वाली इन नकली नोटों को बहुत आसानी से बाजार में चलाया जा सकता है। यही कारण है कि आरबीआइ के करेंसी चेस्ट तक ये नकली नोटें पहुंच जाते हैं। बैंक की तरफ से मुकदमा दर्ज कराया जाता है। ये हुई बरामदगी : 500 रुपये के 640, 200 रुपये के तीन, 100 रुपये के दो नोट और लैपटाप, प्रिंटर, लैमिनेशन मशीन, सीपीयू, दो चाकू, स्केल, आधे बने नोट, दो मोहर, केमिकल, 12 नीली पन्नी, 19 हरी पन्नी, 50 खाली पन्ने, आठ मोबाइल, 4400 रुपये नकद और एक कार।

कई राज्यों में एजेंट, आर्डर के बाद करते थे मैसेज

विकास भारद्वाज के पास से मिले मोबाइल व पुलिस पूछताछ में सामने आया है कि यूपी के अतिरिक्त मध्य प्रदेश, दिल्ली, झारखंड, महाराष्ट्र, राजस्थान समेत कई राज्यों में नकली नोटों की सप्लाई थी। सभी जगहों पर एजेंट आर्डर लेने के बाद मैसेज करते थे। इसके बाद एजेंट तक एक से डेढ़ लाख रुपये के नकली नोट का सैंपल पहुंचाया जाता था। आर्डर तय होने के बाद एडवांस लेकर आगे की छपाई होती थी।

लोकल न्यूज़ का भरोसेमंद साथी!जागरण लोकल ऐपडाउनलोड करें