फारुकी ने सीरिया-इराक के डिटेंशन सेंटर के लिए जुटाया था चंदा, शाहनवाज और वजीहुद्दीन की भी थी सक्रिय भूमिका
दिल्ली से पकड़े गए आइएस आतंकी शाहनवाज ने अलीगढ़ में अपनी जड़ें जमाने के बाद छत्तीसगढ़ निवासी वजीहुद्दीन को वहां अपना नेटवर्क सौंपा था। जांच में सामने आया था कि पहले शाहनवाज उप्र में जिहाद की राह पर कदम बढ़ाने वाले युवकों का अमीर (प्रमुख) था। बाद में शाहनवाज ने वजीहुद्दीन को अमीर बनाया था। एएमयू के छात्रावास में उनके संपर्क में आए युवकों की खास बैठकें की जाती थीं
राज्य ब्यूरो, लखनऊ। बीते बुधवार को असम के धुबरी से पकड़े गए आइएस के भारत प्रमुख हारिस फारुकी उर्फ अजमल फारुकी व उसके साथियों के नेटवर्क की जांच में नई-नई जानकारी सामने आ रही है। पता चला है कि फारुकी अपने साथियों की मदद से सीरिया और इराक की सीमा पर स्थित आतंकी संगठन के डिटेंशन सेंटर के लिए चंदा भी जुटाया था। इसमें शाहनवाज व वजीहुद्दीन की सक्रिय भूमिका थी।
सूत्रों का कहना है कि फारुकी ने विस्फोटक का प्रबंध कर उसे उत्तर प्रदेश व उत्तराखंड में कहां छिपाकर रखा था, इसे लेकर छानबीन तेज की गई है। चंदे को लेकर भी पड़ताल की जा रही है। आतंकवाद निरोधक दस्ता (एटीएस) आइएस के अलीगढ़ माड्यूल से जुड़े रहे आरोपितों के बयानों के आधार पर फारुकी से सवाल-जवाब की तैयारी भी कर रहा है।
दिल्ली से अक्टूबर, 2023 में पकड़े गए आइएस आतंकी शाहनवाज ने अलीगढ़ में अपनी जड़ें जमाने के बाद छत्तीसगढ़ निवासी वजीहुद्दीन को वहां अपना नेटवर्क सौंपा था। जांच में सामने आया था कि पहले शाहनवाज उप्र में जिहाद की राह पर कदम बढ़ाने वाले युवकों का अमीर (प्रमुख) था। बाद में शाहनवाज ने वजीहुद्दीन को अमीर बनाया था। अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी (एएमयू) के छात्रावास में उनके संपर्क में आए युवकों की खास बैठकें की जाती थीं और इंटरनेट काल के माध्यम से उसकी जानकारी फारुकी से साझा की जाती थी।
एटीएस गुवाहाटी में पकड़े गए फारुकी से पूछताछ के लिए पहले अपनी खास तैयारी कर रहा है। यह भी पता लगाने का प्रयास किया जा रहा है कि फारुकी अलीगढ़ कब-कब आया था और उसने कहां-कहां शरण ली थी। इसके लिए पहले संदेह के घेरे में आए कुछ युवकों की नए सिरे से भी छानबीन शुरू की गई है। एटीएस ने पूर्व में आइएस आतंकी अब्दुल्ला अर्सलान व माज बिन तारिक को अलीगढ़ ले जाकर लंबी छानबीन की थी और माज की निशानदेही पर पिस्टल व कारतूस बरामद किए थे। हालांकि एटीएस तब विस्फोटक के बारे में अधिक जानकारी नहीं जुटा सका था।
आपके शहर की हर बड़ी खबर, अब आपके फोन पर। डाउनलोड करें लोकल न्यूज़ का सबसे भरोसेमंद साथी- जागरण लोकल ऐप।