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दस दिन में कम हुए करीब एक लाख एक्टिव केस, WHO ने भी योगी आदित्यनाथ सरकार के प्रयास को सराहा

Fight Against COVID-19 in UP उत्तर प्रदेश के स्वास्थ्य विभाग के आंकड़ों के अनुसार दस दिनों में उत्तर प्रदेश में कुल एक्टिव केस 94 हजार घट गए हैं। 30 अप्रैल को प्रदेश में करीब तीन लाख दस हजार एक्टिव केस थे।अब यह घटकर करीब दो लाख 16 हजार हैं।

By Dharmendra PandeyEdited By: Updated: Tue, 11 May 2021 11:51 AM (IST)
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कोरोना कर्फ्यू को लगातार लागू करने का मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का प्रयास रंग ला रहा है
लखनऊ, जेएनएन। वैश्विक महामारी कोरोना वायरस के संक्रमण से उबरने के बाद स्थलीय निरीक्षण पर उतरने के साथ ही प्रदेश में कोरोना कर्फ्यू को लगातार लागू करने का मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का प्रयास रंग ला रहा है। प्रदेश में बीते दस दिन में करीब एक लाख एक्टिव केस कम हो गए हैं। सूबे की योगी आदित्यनाथ सरकार के इस प्रयास को विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने भी काफी सराहा है।

उत्तर प्रदेश के स्वास्थ्य विभाग के आंकड़ों के अनुसार दस दिनों में उत्तर प्रदेश में कुल एक्टिव केस 94 हजार घट गए हैं। प्रदेश में 30 अप्रैल को कोरोना वायरस की सेकेंड स्ट्रेन अपने चरम पर थी। 30 अप्रैल को प्रदेश में करीब तीन लाख दस हजार एक्टिव केस थे। अब यह घटकर करीब दो लाख 16 हजार हैं। बीते 24 घंटे में भी प्रदेश में नए संक्रमित केस 21 हजार से केस कम हो हैं और इस दौरान करीब 29 हजार लोग इसके कहर से उबरे हैं। 62 दिन में पहली बार 24 घंटे के दौरान देश में करोना से संक्रमित होने वालों 3,29,942 की तुलना में ठीक होने वाले 3.55 लाख अधिक रहे। लगातार पांचवे दिन भी देश में 24 घंटे में नए संक्रमित लोगों की संख्या चार लाख से नीचे 3, 29 517 रही।

विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने भी उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार के ट्रेस, टेस्ट तथा ट्रीट के फार्मूला पर काम करने के प्रयास को काफी सराहा है। डब्ल्यूएचओ का मानना है कि भारत के सबसे अधिक आबादी वाले राज्य उत्तर प्रदेश में योगी आदित्यनाथ सरकार ने गांव में भी जाकर घर-घर लोगों का परीक्षण किया है।

 संदिग्ध लोगों को आगाह किया गया है जबकि ग्रामीण क्षेत्रों में बड़ी संख्या में संक्रमितों को होम आइसोलेट किया और उनको दवा की किट भी प्रदान की। इस प्रक्रिया से काफी सुधार हो गया है। उत्तर प्रदेश सरकार का संक्रमितों को तेजी से अलग करने, उनको इलाज देने और इनके सम्पर्क में आने वालों की खोज कर उनको भी आगाह करने का तरीका बेहद सराहा जा रहा है। 

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