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Lucknow Crime News: सरोजनीनगर के तत्कालीन कानूनगो जितेंद्र सिंह पर एफआइआर, जमीन की खरीद में फर्जीवाड़े का आरोप

Lucknow Crime News बाबू खेड़ा निवासी संतराम ने जितेंद्र सिंह व अन्य के खिलाफ एफआइआर दर्ज कराई है। आरोपितों में आलमबाग निवासी प्रॉपर्टी डीलर दीपेश यादव भी शामिल हैं। इसके अलावा पूर्व लेखपाल राजेश सिंह व खुद को पेशकार बताने वाला सुरेश मोर्डिया का भी नाम है।

By Vikas MishraEdited By: Updated: Tue, 31 May 2022 03:23 PM (IST)
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सरोजनीनगर के तत्कालीन कानूनगो जितेंद्र सिंह के खिलाफ एफआइआर दर्ज की गई है।

लखनऊ, [ज्ञान बिहारी मिश्र]। पूर्व राजस्व कर्मी विवेकानंद डोबरियाल के करीबी सरोजनीनगर के तत्कालीन कानूनगो जितेंद्र सिंह के खिलाफ एफआइआर दर्ज की गई है। बंथरा थाने में भी एक कानूनगो के नौकर रामसजीवन और उसके करीबी आशीष मिश्र के खिलाफ एफआइआर दर्ज हो चुकी है। अब पुलिस जितेंद्र के जरिए अब किन किन जमीनों के हेरफेर की गई है, उसकी पड़ताल करेगी।

बाबू खेड़ा निवासी संतराम ने जितेंद्र सिंह व अन्य के खिलाफ एफआइआर दर्ज कराई है। आरोपितों में आलमबाग निवासी प्रॉपर्टी डीलर दीपेश यादव भी शामिल हैं। इसके अलावा पूर्व लेखपाल राजेश सिंह व खुद को पेशकार बताने वाला सुरेश मोर्डिया का भी नाम है। आरोपितों ने संतराम की जमीन कूटरचित दस्तावेज तैयार कर किसी और के नाम कर दी थी। पीड़ित का आरोप है कि जितेंद्र सिंह की मिलीभगत से सारा फर्जीवाड़ा हुआ है। पीड़ित की जमीन कल्ली पश्चिम में थी। पुलिस तहरीर के आधार पर धोखाधड़ी, जाली दस्तावेज तैयार करने समेत अन्य धाराओं में रिपोर्ट दर्ज कर विवेचना कर रही है। 

अहिमामऊ में भी करोड़ों की जमीन के हेरफेर में सरकारी कर्मचारियों की संलिप्तता की बात सामने आ रही है। उधर, जितेंद्र का कहना है कि उसका डोबरियाल से कोई संबंध नहीं है और न ही रामसजीवन उसका नौकर है। जितेंद्र ने अहिमामऊ में हुए जमीनों के हेरफेर में संलिप्तता से भी इंकार किया है। हालांकि पुलिस की जांच में कई तथ्य उजागर हुए हैं, जिससे जितेंद्र की मुश्किलें बढ़ सकती हैं। जितेंद्र अपने पारिवारिक कार्यक्रम में डोबरियाल को बुलाता था, जिसके साक्ष्य पुलिस को मिले हैं।

दे दी गई थी क्लीन चिटः जितेंद्र वर्तमान में मलिहाबाद तहसील में तैनात है। खास बात ये है कि डिफेंस कॉरिडोर की जमीन की हेरफेर में आरोपित का नाम जब सामने आया था तब उसे निलंबित कर दिया गया था। प्रशासन ने इसकी जांच भी कराई थी और तब उसे क्लीन चिट देकर बहाल कर दिया गया था। अब सवाल ये है कि आखिर किसके दबाव में ये सब किया गया। डोबरियाल के अलावा वो कौन लोग हैं जो जितेंद्र को संरक्षण दे रहे हैं।

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