Elephant Reserve in UP: तराई क्षेत्र में हाथी रिजर्व के निर्माण को मंजूरी, पीलीभीत-दुघवा रेंज में होगा काम
Approval for First Elephant Reserve in UP टीईआर के अस्तित्व में आने के साथ ही डीटीआर उत्तर प्रदेश का अकेला राष्ट्रीय उद्यान होगा जो चार प्रतिष्ठित जंगली प्रजातियों - बाघ एक सींग वाले गैंडे एशियाई हाथी और दलदली हिरण की रक्षा और संरक्षण करेगा।
By Dharmendra PandeyEdited By: Updated: Sat, 22 Oct 2022 12:18 PM (IST)
लखनऊ, जेएनएन। Approval for First Elephant Reserve in UP: उत्तर प्रदेश में पहले हाथी रिजर्व को मंजूरी मिल गई है। केन्द्र सरकार से हरी झंडी मिलने के बाद प्रदेश के दुधवा-पीलीभीत तराई क्षेत्र में तराई एलीफेंट रिजर्व (Terai Elephant Reserve) का कार्य प्रारंभ हो जाएगा। जिससे कि बड़ी संख्या में हाथी की आबादी को भी प्रदेश में सरंक्षित किया जाएगा।
देश का 33वां तथा उत्तर प्रदेश का पहला हाथी रिजर्व
केन्द्र सरकार में पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्री भूपेन्द्र यादव ने उत्तर प्रदेश के पीलीभीत-दुघवा रेंज में हाथी रिजर्व के निर्माण को लेकर एक ट्वीट भी किया है। उन्होंने कहा कि यह देश का 33वां तथा उत्तर प्रदेश का पहला हाथी रिजर्व होगा। इसके निर्माण से सीमा पार यानी उत्तराखंड के सभी प्रवासी हाथियों की आबादी के संरक्षण में मदद मिलेगी। केन्द्र सरकार सभी वन्यजीवों की रक्षा और उसके संरक्षण के पथ पर अडिग है।
यूपी में अपना पहला हाथी रिजर्वउत्तर प्रदेश में जल्द ही पहला हाथी अभयारण्य (एलीफेंट रिजर्व) बनाने की तैयारी है। केंद्रीय वन और पर्यावरण मंत्रालय (एमओएफई) ने तराई हाथी रिजर्व (टीईआर) को अपनी मंजूरी दे दी है, जिसे दुधवा टाइगर रिजर्व (डीटीआर) और पीलीभीत टाइगर रिजर्व (पीटीआण सहित 3,049.39 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में स्थापित किया जाएगा।
केन्द्र सरकार ने शुक्रवार को दी मंजूरी केन्द्र सरकार में प्रोजेक्ट एलिफेंट के निदेशक और वन एवं पर्यावरण मंत्रालय में महानिरीक्षक, वन रमेश पाण्डेय ने बताया कि तराई एलिफेंट रिजर्व (टीईआर) के लिए केन्द्र सरकार ने शुक्रवार को मंजूरी दी है। अब उत्तर प्रदेश सरकार भी जल्दी ही इस संबंध में एक अंतिम अधिसूचना जारी कर देगी।
मार्च में तराई एलिफेंट रिजर्व पर सैद्धांतिक सहमति बनी रमेश पाण्डेय ने दुधवा टाइगर रिजर्व के अधिकारियों के साथ एक बैठक की थी। जिसके बाद मार्च में तराई एलिफेंट रिजर्व पर सैद्धांतिक सहमति बनी थी। इसके बाद उन्होंने राज्य सरकार से विस्तृत प्रस्ताव मांगा था।उत्तर प्रदेश का अकेला राष्ट्रीय उद्यान
डीटीआर (Dudhwa Tigher Reserve) फील्ड निदेशक संजय पाठक ने कहा कि प्रस्ताव अप्रैल में तैयार किया गया था और 11 अक्टूबर को केन्द्र सरकार को को भेज दिया गया था। टीईआर के अस्तित्व में आने के साथ ही डीटीआर उत्तर प्रदेश का अकेला राष्ट्रीय उद्यान होगा जो चार प्रतिष्ठित जंगली प्रजातियों - बाघ, एक सींग वाले गैंडे, एशियाई हाथी और दलदली हिरण की रक्षा और संरक्षण करेगा।
दुधवा बफर जोन और दक्षिण खीरी वन प्रभाग रमेश पाण्डेय ने बताया कि दुधवा और पीलीभीत टाइगर रिजर्व के अलावा, हाथी रिजर्व में किशनपुर वन्यजीव अभयारण्य (केडब्ल्यूएस), कतर्नियाघाट वन्यजीव अभयारण्य (केजीडब्ल्यूएस), दुधवा बफर जोन और दक्षिण खीरी वन प्रभाग के कुछ हिस्से शामिल होंगे। तराई एलिफेंट रिजर्व वन्यजीव संरक्षण के मामले में एक मील का पत्थर होगी। इस प्रोजेक्ट का सर्वाधिक लाख एशियाई हाथियों को मिलेगा। यह भारत-नेपाल सीमा पर स्थित है, जहां हाथियों की सीमा पार आवाजाही प्रक्रिया है।
उत्तर प्रदेश का वन विभाग भी लाभान्वित केन्द्र सरकार तराई एलिफेंट रिजर्व प्रोजेक्ट की सभी वित्तीय और तकनीकी सहायता प्रदान करेगी। इस प्रोजेक्ट के संचालित होने से हाथी तथा मानव का अक्सर होने वाला संघर्ष भी थम जाएगा। दुधवा में हाथी अभयारण्य की स्थापना में केन्द्र से मदद मिलने से उत्तर प्रदेश का वन विभाग भी लाभान्वित होगा। परियोजना हाथी के तहत प्राप्त वित्तीय और तकनीकी सहायता का उपयोग दुधवा के शिविर हाथियों के प्रबंधन में किया जाएगा।
जंगली हाथियों को आकर्षित किया डीटीआर ने दशकों से विभिन्न घरेलू और सीमा पार गलियारों के माध्यम से जंगली हाथियों को आकर्षित किया है। जिसमें बसंता-दुधवा, लालझड़ी (नेपाल) -सथियाना और शुक्लाफांटा (नेपाल) -ढाका-पीलीभीत-दुधवा बफर जोन कॉरिडोर शामिल हैं। दुधवा बफर जोन के पाठक ने कहा कि हाथी परियोजना के तहत तराई हाथी रिजर्व इन गलियारों को पुनर्जीवित करने या बहाल करने में मदद करेगा, जिन्हें छोड़ दिया गया है।
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