यूपी में विदेशी निवेशकों को मिली राहत, योगी कैबिनेट की बैठक में किया गया एफडीआई नीति में बदलाव
उत्तर प्रदेश सरकार ने विदेशी निवेश को बढ़ावा देने के लिए नई नीति में संशोधन किया है। अब विदेशी कंपनियां इक्विटी के साथ-साथ लोन या अन्य स्रोतों से धनराशि की व्यवस्था करके भी निवेश कर सकती हैं। निवेश की न्यूनतम सीमा 100 करोड़ रुपये रखी गई है। यह बदलाव फॉर्च्यून 500 कंपनियों के निवेश को आकर्षित करने में मदद करेगा।
राज्य ब्यूरो, लखनऊ। उत्तर प्रदेश में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) को आकर्षित करने में जुटी योगी सरकार ने विदेशी निवेशकों को बड़ी राहत दी है। सोमवार को लोकभवन में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट की बैठक में फारेन डायरेक्ट इन्वेस्टमेंट एवं फॉर्च्यून 500 कंपनियों के निवेश के लिए प्रोत्साहन नीति 2023 में संशोधन को मंजूरी दी गई। संशोधन के तहत अब ऐसी विदेशी कंपनियां भी प्रदेश में निवेश कर सकेंगी जो इक्विटी के साथ-साथ लोन या किसी अन्य स्रोत से धनराशि की व्यवस्था करती हैं।
वित्त मंत्री सुरेश खन्ना ने कैबिनेट के निर्णय की जानकारी देते हुए बताया कि एक नवंबर 2023 को फारेन डायरेक्टर इन्वेस्टमेंट (एफडीआई) नीति आई थी, इसमें थोड़ा संशोधन किया गया है। उन्होंने बताया कि आरबीआई द्वारा एफडीआई के लिए निर्धारित मानक के अनुसार अभी तक मात्र इक्विटी में किए गए निवेश को ही एफडीआई में शामिल किया जाता रहा है। अब नीति में संशोधन कर इसे फॉरेन कैपिटल इन्वेस्टमेंट का रूप दिया है।
कंपनियों को भी एफडीआई नीति का लाभ
खन्ना ने बताया कि एफडीआई के तहत कंपनी के पास अपनी इक्विटी होती थी, लेकिन ज्यादातर कंपनियां अपने बिजनेस को बढ़ाने के लिए बाहर से लोन लेने के साथ ही अन्य माध्यमों से भी धनराशि की व्यवस्था करती हैं। अब ऐसी कंपनियों को भी एफडीआई नीति का लाभ मिल सकेगा। यदि किसी कंपनी के पास महज 10 प्रतिशत इक्विटी है और 90 प्रतिशत निवेश राशि की व्यवस्था दूसरे स्रोतों से कर रखी है, तो भी सरकार उन्हें तमाम रियायतें प्रदान करेगी।
100 करोड़ के निवेश को माना जाएगा पात्र
वित्त मंत्री ने बताया कि संशोधन के बाद अब इस नीति को फारेन डायरेक्ट इन्वेस्टमेंट, फॉरेन कैपिटल इन्वेस्टमेंट एंड फॉर्च्यून ग्लोबल 500 एंड फॉर्च्यून इंडिया 500 इन्वेस्टमेंट प्रमोशन पालिसी- 2023 कहा जाएगा। फॉरेन कैपिटल इन्वेस्टमेंट के रूप में इक्विटी में निवेश करने वाली विदेशी कंपनी के लिए प्रिफरेंस शेयर, डिवेंचर्स, एक्सटर्नल कमर्शियल बारोइंग, स्टैंड बाय लेटर ऑफ क्रेडिट, लैटर्स आफ गारंटी व अन्य डेब्ट सिक्योरिटी को भी शामिल कर दिया गया है।नीति के तहत निवेश की न्यूनतम सीमा 100 करोड़ रुपये रखी गई है। हालांकि इक्विटी व अन्य स्रोतों से अर्जित धनराशि (इक्विटी में न्यूनतम 10 प्रतिशत और शेष ऋण व अन्य स्रोतों से मिलाकर 100 करोड़ रुपए का निवेश) को नीति के तहत पात्र माना जाएगा और पूंजी निवेश की गणना में शामिल किया जाएगा।यह भी पढ़ें: Banke Bihari Temple: हथिनी के मुंह से आने वाले जल में सिर्फ एसी का पानी ही नहीं… सामने आई वीडियो की सच्चाई
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