पूर्व IAS मोहिंदर सिंह की बढ़ी मुश्किलें, अब 2007 के स्मारक घोटाले में फंसे; इसी माह नोटिस देने की तैयारी
यूपी के बहुचर्चित स्मारक घोटाले में पूर्व आईएएस अधिकारी मोहिंदर सिंह की मुश्किलें बढ़ सकती हैं। विजिलेंस ने 2007 में बिना प्रशासनिक और वित्तीय स्वीकृति के धन आवंटित करने के मामले में जांच तेज कर दी है। मोहिंदर सिंह को पूछताछ के लिए बुलाया गया था लेकिन वह नहीं आए। ईडी ने भी फ्लैट खरीदारों से ठगी के मामले में नोटिस जारी किया था।
राज्य ब्यूरो, लखनऊ। नोएडा के फ्लैट खरीदारों से ठगी के मामले में भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप से घिरे पूर्व आइएएस अधिकारी मोहिंदर सिंह की मुश्किलें और बढ़ेंगी। बसपा सरकार में हुए बहुचर्चित स्मारक घोटाले में सतर्कता अधिष्ठान (विजिलेंस) ने मोहिंदर सिंह की भूमिका की जांच तेज की है। सूत्रों के अनुसार बसपा सरकार में प्रमुख सचिव, आवास व शहरी नियोजन के पद पर रहते हुए उन्होंने वर्ष 2007 में स्मारकों के निर्माण के लिए बिना प्रशासकीय व वित्तीय स्वीकृति के धन आवंटित किया था।
इसके लिए कार्यदायी संस्था को भी नामित नहीं किया गया था। विजिलेंस ने पूर्व आइएएस अधिकारी काे सात अक्टूबर को पूछताछ के लिए बुलाया था पर वह नहीं अाए। विजिलेंस नोटिस जारी कर इसी माह उन्हें पूछताछ के लिए फिर तलब करेगा। प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने भी फ्लैट खरीदारों से ठगी के मामले में पूछताछ के लिए मोहिंदर सिंह को नोटिस जारी की थी पर वह सामने नहीं आए थे। उन्होंने बीमारी का हवाला देकर जांच एजेंसी से समय मांगा था।
बसपा सरकार में हुए 1400 करोड़ के स्माकर घोटाले की जांच विजिलेंस कर रहा है। विजिलेंस ने एक जनवरी, 2014 में पूर्व मंत्री नसीमुद्दीन सिद्दीकी व बाबू सिंह कुशवाहा समेत 199 आरोपितों के विरुद्ध एफआइआर दर्ज कराई थी। स्मारक घोटाले में कुछ अन्य तत्कालीन आइएएस अधिकारियों की भूमिका भी जांच के घेरे में रही है।
मोहिंदर सिंह सुप्रीमो मायावती के करीबी अधिकारियों में गिने जाता था। वह आवास विकास विभाग के मुखिया व नोएडा अथारिटी के मुख्य कार्यपालक अधिकारी समेत अन्य महत्वपूर्ण पदों पर भी रहे। ईडी हैसिंडा प्रोजेक्ट प्राइवेट लिमिटेड कंपनी (एचपीपीएल) के लोटस-300 प्रोजेक्ट के फ्लैट खरीदारों से ठगी के मामले में मोहिंदर सिंह की भूमिका की छानबीन कर रहा है। छापेमारी में उनके आवास से सवा पांच करोड़ का एक हीरा व संपत्तियों के कई दस्तावेज भी मिले थे।
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