सोशल मीडिया पर सस्ते दामों में जमीन बेचने का विज्ञापन देकर ठगी करने वाले चार आरोपियों को पुलिस ने गिरफ्तार किया है। ये लोग दूसरे की जमीन के फर्जी दस्तावेज तैयार कर लोगों को बेचते थे और ठगी करते थे। पुलिस के मुताबिक गिरोह का सरगना शिवम सक्सेना है। उसने भूमीज इंफ्राटेक प्राइवेट लिमिटेड के नाम से कंपनी बना रखी थी।
जागरण संवाददाता, लखनऊ। सस्ते दामों में जमीन बेचने का विज्ञापन इंस्टाग्राम और फेसबुक पर देकर ठगी करने वाले चार आरोपियों को पुलिस ने पकड़ा है। ये लोग दूसरे की जमीन के फर्जी दस्तावेज तैयार कर लोगों को बेचते थे और ठगी करते थे। जालसाजों ने भूमीज इंफ्राटेक प्राइवेट लिमिटेड के नाम से कंपनी भी बना रखी थी।
डीसीपी पूर्वी शशांक सिंह के मुताबिक, पकड़े गए आरोपी बरेली के प्रेमनगर बाग गुद्दड़ निवासी शिवम सक्सेना (हाल पता न्यू नंदी विहार कालोनी सतरिख), किला कुतुबपुर बानखाना निवासी अक्षित सक्सेना, हापुड़ देवलोक कालोनी का रहने वाला यतीश कुमार और हरदोई के अतरौली निवासी श्रीकांत गुप्ता हैं। गिरोह का सरगना शिवम सक्सेना है। उसने भूमीज इंफ्राटेक प्राइवेट लिमिटेड के नाम से कंपनी बना रखी थी।
डीसीपी ने बताया कि विवेकखंड निवासी अंजू गुप्ता ने शिवम और उसके साथियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया था। इन लोगों ने अंजू को हिंद नगर में 950 वर्ग फीट का प्लाट यह कहकर दिखाया था कि प्लाट श्रीकांत गुप्ता और रोहित पांडेय उर्फ पिंटू का है। जमीन का सौदा सात लाख रुपये में तय हुआ था। अंजू से जमीन के 4.5 लाख रुपये ले लिए थे, लेकिन जमीन के मालिक माता प्रसाद और अमित कुमार थे। श्रीकांत और रोहित पांडेय ने जमीन मालिक के नाम से अपने फर्जी दस्तावेज तैयार किए और जमीन बेच दी थी। अंजू को जब इसकी जानकारी हुई तो उन्होंने विरोध किया। इसके बाद शिवम, श्रीकांत और गिरोह के अन्य लोगों ने अंजू को हुसड़िया चौराहे पर बातचीत करने के लिए बुलाया। उन्होंने जब रुपये वापस करने की मांग की तो शिवम ने रिवॉल्वर निकालकर उन पर तान दी। मौका पाते ही अंजू ने पुलिस को सूचना दी।
गोमतीनगर पुलिस मौके पर पहुंची और आरोपितों को पकड़ लिया। तफ्तीश में जालसाजों के पास से अमित कुमार और माता प्रसाद के नाम से फर्जी पहचानपत्र और दस्तावेज भी बरामद हुए।
आठ से 10 लोगों से कर चुके हैं ठगी
एसीपी गोमतीनगर विकास जायसवाल के मुताबिक, गिरोह के लोग इंस्टाग्राम और फेसबुक पर कंपनी के नाम से पेज बनाकर सस्ते प्लाट दिलाने का प्रलोभन देकर प्रचार प्रसार करते थे। इसके बाद ग्राहक को किसी का भी खाली पड़ा प्लाट दिखाते थे। कचहरी से प्लाट मालिक के बारे में जानकारी जुटाते थे, फिर मालिक के नाम से फर्जी दस्तावेज तैयार कराके जमीन बेच देते थे।
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