Gandhi Jayanti 2022: महात्मा गांधी ने एक चुटकी में खुलवा दिया था स्कूल, कई बार आए थे लखनऊ
Gandhi Jayanti 2022 महात्मा गांधी ने राजधानी लखनऊ में अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ बनाई थी रणनीति। शिक्षा स्वास्थ्य और पर्यावरण का संदेश दे गए थे गांधी जी। गांधी जी के आह्ववान पर चुटकी भर आटा एकत्र कर चुटकी भंडार स्कूल खोला गया था।
By Anurag GuptaEdited By: Updated: Sat, 01 Oct 2022 06:24 PM (IST)
लखनऊ, जागरण संवाददाता। Gandhi Jayanti 2022 आज भी तमाम मंचों से शिक्षा, स्वास्थ्य और पर्यावरण संरक्षण की चर्चा होती है, लेकिन यह सोच महात्मा गांधी अतीत में ही लखनऊ को दे गए थे। वर्ष 1916 से 1939 के बीच लखनऊ में अपने कई प्रवास के दौरान राष्ट्रपिता महात्मा गांधी न सिर्फ अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ रणनीति बनाई बल्कि शिक्षा, स्वास्थ्य और पर्यावरण संरक्षण का महत्व भी शहरवासियों को बता गए थे। पर्यावरण संरक्षण का यह संदेश हर दिन ऊंचाई को छू रहा है और विशालकाय वृश्र गांधी जी की याद को भी ताजा कर देता है।
गोखले मार्ग पर कांग्रेस नेता शीला कौल के आवास पर लगा बरगद का यह पेड़ सड़क को छांव देने का काम करता है और गर्मी और बारिश में लोग इस पेड़ के नीचे राहत महसूस करते हैं। मार्च 1936 में रोपे गए इस पेड़ के पास लगा शिलापट अब कोठी के अंदर हो गया है और इस कारण नई पीढ़ी इस पेड़ के महत्व से दूर हैं। गांधी जी का चारबाग से चिनहट तक का सफर आज भी उनकी याद को ताजा कर देते हैं। 28 सितंबर 1929 को गांधी जी ने चिनहट में प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र स्थापना की। इससे पहले भी वह चिनहट आए और वर्ष 1920 में एक पूर्व माध्यमिक विद्यालय की आधारशिला रखी थी।
गांधी जी के आह्वान पर एक चुटकी आंटे से खुला स्कूल
गांधी जी ने हुसैनगंज में चुटकी भंडार स्कूल की भी स्थापना की थी। वर्ष 1921 में गांधी जी के आह्वान पर तिलक स्वराज फंड के लिए चंदा एकत्र करने का जिम्मा महिलाओं को सौंपा गया था। इस आह्वान पर महिलाओं ने खाना बनाते वक्त चंदे वाली हांडी में चुटकी भर आटा रोज डालना शुरू कर दिया था। इस आटा को बेचकर 64 रुपये चार आना एकत्र किया गया था। इस रकम से आठ अगस्त 1921 को नागपंचमी के दिन चुटकी भंडार स्कूल की नींव रखी गई थी।नगर निगम में भी भाषण दिया था
लालबाग के त्रिलोकनाथ रोड में स्थित नगर महापालिका (अब नगर निगम) भवन में भी गांधी जी की छाप दिखती हैंं जिसकी यहां की सीढ़िय़ां आज भी गवाह हैं, गांधी जी उनके सहारे पहली मंजिल पर पहुंचे थे। तब गांधी जी के साथ मोतीलाल नेहरू, पंडित जवाहर लाल नेहरू और सै.महमूद भी थे। 17 अक्टूबर 1925 को लखनऊ के तीन घंटे के प्रवास पर गांधी जी ने नगरपालिका का अभिनंदन पत्र स्वीकार किया था और त्रिलोकनाथ हाल ( जहां अब नगर निगम का सदन होता है) में सार्वजनिक सभा में भाषण दिया। तब गांधी जी ने कहा था 'लखनवी उर्दू या संस्कृत निष्ट हिंदी नहीं हो सकती है, हदुस्तानी हो सकती है। गांधी जी की याद को आज भी नगर निगम मुख्यालय के बाहर लगा शिलापट दिला देता है।
चारबाग में नेहरू-गांधी पहली बार मिले
26 दिसंबर 1916 को चारबाग स्टेशन पर आयोजित मीटिंग में नेहरू संग संबोधित किया था। 26 दिसंबर से 30 दिसंबर 1916 तक लखनऊ में आयोजित कांग्रेस अधिवेशन में गांधी जी ने भाग लिया था। तब यहां गांधी जी ने श्रमिकों की भर्ती कर विदेश ले जाने की प्रथा को बंद करने का प्रस्ताव रखा था। गांधी जी की जवाहर लाल नेहरू से पहली बार मुलाकात यहां अधिवेशन में ही हुई थी। मार्च 1936 में जवाहर लाल नेहरू की अध्यक्षता में आयोजित कांग्रेस अधिवेशन में भाग लेने के लिए गांधी दूसरी बार फिर यहां आए थे।लखनऊ में महात्मा गांधी का सफर
वर्ष 1926 में महात्मा गांधी के अलावा जवाहर लाल नेहरू, पंडित मदन मोहन मालवीय, सरोजनी नायडू ने स्वतंत्रता सेनानियों के साथ बैठक कर रणनीति बनाई थी। 31 दिसंबर 1931 को मुस्लिम लीग सम्मेलन में हिस्सा लिया। स्वतंत्रता आंदोलन के लिए लोगों को जागृत करने के लिए 11 मार्च 1919, 15 अक्टूबर 1920, 26 फरवरी 1921, आठ अगस्त 1921, 17 अक्टूबर 1925, 27 अक्टूबर 1929 को भी लखनऊ आए। वर्ष 1936 में गांधी जी 28 मार्च से 12 अप्रैल सबसे अधिक समय रहे।
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