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घोसी की जीत से BSP के अकेले लोस चुनाव लड़ने की रणनीति को भी झटका, बदल जाएगा UP की 80 सीटों का गण‍ित

Lok Sabha Elections 2024 घोसी सीट पर हुए उपचुनाव में समाजवादी पार्टी को म‍िली जीत और भाजपा की हार के बाद अब बसपा के लोकसभा चुनाव 2024 को अकेले लड़ने की रणनीत‍ि को भी झटका लगा है। ऐसे में क्‍या अब यूपी की 80 लोकसभा सीटों पर जीत का गण‍ित बदल जाएगा। वहीं इस जीत के बाद अल्पसंख्यकों का झुकाव भी आइएनडीआइए गठबंधन की ओर बढ़ा है।

By Jagran NewsEdited By: Prabhapunj MishraUpdated: Sat, 09 Sep 2023 09:19 AM (IST)
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Lok Sabha Elections 2024: सीएम योगी, राहुल गांधी, मायावती व सपा प्रमुख अख‍िलेश यादव
लखनऊ, [अजय जायसवाल]। घोसी विधानसभा सीट के लिए हुए उपचुनाव के नतीजे ने बसपा के अकेले लोकसभा चुनाव लड़ने की रणनीति को बड़ा झटका दिया है। चुनाव में कांग्रेस समर्थित सपा की जीत से अगले वर्ष होने वाले लोकसभा चुनाव में अल्पसंख्यकों का आइएनडीआइए की तरफ झुकाव बढ़ने के प्रबल आसार हैं।

लोकसभा चुनाव में बसपा के सामने होगी खाता खोलने की चुनौती

ऐसे में एनडीए और आइएनडीआइए की सीधी लड़ाई से अकेले चुनाव मैदान में उतरने वाली बसपा को अबकी लोकसभा चुनाव में खाता खोलने तक की चुनौती से जूझना पड़ सकता है। दरअसल, पिछले वर्ष विधानसभा चुनाव में 21.12 प्रतिशत वोट हासिल कर तीसरे स्थान पर रहने के बावजूद बसपा घोसी उपचुनाव के मैदान से दूर रही।

सोची-समझी रणनीति के तहत बसपा प्रमुख मायावती ने आइएनडीआइए से बनाई दूरी

वैसे तो बसपा अमूमन उपचुनाव से दूर रहती है लेकिन घोसी उपचुनाव के बारे में कहा जा रहा है कि बसपा प्रमुख मायावती ने सोची-समझी रणनीति के तहत दूरी बनाए रखी। चूंकि माना जाता रहा है कि ज्यादातर उपचुनाव में सत्ताधारी पार्टी की ही जीत होती है और भाजपा ने घोसी सीट पर जीत सुनिश्चित करने के लिए निषाद पार्टी, अपना दल के साथ ही एनडीए में सुभासपा को भी ले लिया इसलिए उसकी ही जीत की संभावना ज्यादा है।

सपा-कांग्रेस का आइएनडीआइए गठबंधन नहीं कर सकता भाजपा का मुकाबला

भाजपा के जीतने की दशा में मायावती खासतौर से अल्पसंख्यकों को यही समझाने की फिर कोशिश करती कि भाजपा का मुकाबला सपा-कांग्रेस का आइएनडीआइए गठबंधन नहीं कर सकता। बसपा ही लोकसभा चुनाव में अकेले भाजपा को हरा सकती है इसीलिए उपचुनाव के दरमियान भी मायावती बार-बार यही कहती रहीं कि वह न एनडीए और न ही आइएनडीआइए गठबंधन के साथ हैं।

अल्पसंख्यकों का आइएनडीआइए की तरफ बढ़ेगा झुकाव

आइएनडीआइए में शामिल कांग्रेस, रालोद के समर्थन के साथ सपा की जीत को मायावती के अकेले लोकसभा चुनाव लड़ने की रणनीति को तगड़ा झटका माना जा रहा है। माना जा रहा है कि सपा की जीत से लोकसभा चुनाव में अल्पसंख्यकों का आइएनडीआइए की तरफ झुकाव बढ़ेगा ही। ऐसे में एनडीए और आइनडीआइए प्रत्याशियों के बीच सीधी लड़ाई होगी।

मायावती के अकेले चुनाव लड़ने क्‍या भाजपा को होगा फायदा

ऐसे में मायावती के अकेले चुनाव लड़ने पर भी बसपा के बजाय भाजपा को ही ज्यादा फायदा हो सकता है। सपा से गठबंधन कर पिछले लोकसभा चुनाव में 10 सीटें जीतने वाली बसपा वर्ष 2014 में अकेले चुनाव लड़ने पर शून्य पर सिमट कर रह गई थी। अल्पसंख्यकों आदि का जो वोट बसपा हासिल करेगी उसका नुकसान आइएनडीआइए को होगा और सीधा लाभ भाजपा को ही मिलेगा।

घोसी उपचुनाव में बसपा मैदान में होती तो बदल सकते थे पर‍िणाम

उल्लेखनीय है कि पिछले वर्ष आजमगढ़ लोकसभा सीट के उपचुनाव में मायावती ने प्रत्याशी उतारा तो बसपा तो नहीं जीती लेकिन बसपा के लड़ने से सपा चुनाव हारी और फायदे में भाजपा रही थी। इसी तरह यदि घोसी सीट के उपचुनाव के मैदान में बसपा उतरती तो परिणाम पलट भी सकते थे। इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि उपचुनाव में सपा-बसपा के बीच हार-जीत का अंतर पिछले चुनाव में बसपा को मिले 54,248 मतों से कम ही है।

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