UP News: औंधे मुंह गिरी सरकारी गेहूं खरीद की उम्मीदें, यूपी सरकार ने नहीं दिया कोई बोनस तो दिखा ये असर
इस वर्ष सरकारी गेहूं की खरीद तय लक्ष्य (60 लाख टन) के सापेक्ष महज 15.51 प्रतिशत के दायरे में ही सिमट कर रह गई। प्रदेश में गेहूं खरीद की मियाद अब पूरी हो गई है। 15 जून अंतिम दिन है और अब तक प्रदेश में आधा दर्जन से अधिक क्रय एजेंसियों के माध्यम से महज 9.30 लाख टन ही गेहूं खरीदा गया है।
राज्य ब्यूरो, लखनऊ। मंडियों और व्यापारियों से पहले किसानों तक पहुंचने और उनसे गेहूं खरीदने की सरकार की कोशिशें परिणाम के मोर्चे पर दम तोड़ गई। प्रदेश में न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर गेहूं की खरीद तो एक मार्च से शुरू कर दी गई लेकिन खुले बाजार में बेहतर कीमत मिलने से किसान, सरकारी क्रय केंद्रों के पास कम ही दिखे।
नतीजा इस वर्ष सरकारी गेहूं की खरीद तय लक्ष्य (60 लाख टन) के सापेक्ष महज 15.51 प्रतिशत के दायरे में ही सिमट कर रह गई। प्रदेश में गेहूं खरीद की मियाद अब पूरी हो गई है। 15 जून अंतिम दिन है और अब तक प्रदेश में आधा दर्जन से अधिक क्रय एजेंसियों के माध्यम से महज 9.30 लाख टन ही गेहूं खरीदा गया है। हालांकि, कम खरीद के बावजूद इस वर्ष सरकार पिछली बार से अधिक गेहूं खरीदने में कामयाब रही है। गत वर्ष 2.19 लाख टन गेहूं खरीदा गया था।
सरकार ने गेहूं के लिए 2275 रुपये प्रति क्विंटल का एमएसपी तय किया था, जबकि खुले बाजार में कीमतें इससे कहीं अधिक रहीं। सरकारी खरीद बढ़ाने के लिए मंडी परिषद ने रोलर फ्लोर मिलर्स पर किसानों से सीधे गेहूं खरीदने पर पाबंदी भी लगाई थी, जिसे विवाद बढ़ने पर वापस लिया गया और प्रसंस्करण इकाइयों को किसानों से सीधे खरीद की छूट दी गई।
यूपी सरकार ने गेहूं खरीद पर नहीं दिया कोई बोनस
बता दें कि प्रदेश में फ्लोर मिलों की संख्या 350 है और उनके द्वारा चार लाख टन प्रति माह गेहूं की खरीद होती है।गेहूं खरीद में पिछड़ने की मूल वजह तलाश करने के लिए अप्रैल माह में जिलों में भेजी गई नोडल अधिकारियों की टीम ने अपनी रिपोर्ट में एमएसपी के साथ बोनस की मांग किसानों द्वारा किए जाने की बात अपनी रिपोर्ट में कही थी। यूपी सरकार ने गेहूं खरीद पर कोई बोनस नहीं दिया जबकि मध्य प्रदेश और राजस्थान सरकार ने 125 रुपये प्रति क्विंटल का बोनस इस वर्ष दिया है। मध्य प्रदेश में भाजपा के बेहतर प्रदर्शन की एक वजह यह भी बताई जा रही है।
आपके शहर की हर बड़ी खबर, अब आपके फोन पर। डाउनलोड करें लोकल न्यूज़ का सबसे भरोसेमंद साथी- जागरण लोकल ऐप।