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Kaiserganj Ground Report: राजनीति के अखाड़े में विवादों की धूल, दांव पर लगी 'दबदबा' की साख

कैसरगंज का राजनीतिक दंगल बड़ा रोचक है। भाजपा ने पहलवानों से विवाद के बाद बृजभूषण शरण सिंह के बेटे करणभूषण को मैदान में उतारा है। मैदान में भले ही करण हों लेकिन प्रतिष्ठा तो बृजभूषण की ही दांव पर लगी है। सपा ने श्रावस्ती से भाजपा के पूर्वसांसद दद्दन मिश्र के भाई भगतराम और बसपा ने नरेन्द्र पांडेय को मैदान में उतारा है। पढ़‍िए वरिष्ठ संवाददाता आशीष त्रिवेदी की रिपोर्ट

By Jagran News Edited By: Vivek Shukla Updated: Fri, 17 May 2024 08:40 AM (IST)
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बृजभूषण सिंह के बेटे करण भूषण सिंह भाजपा, भगतराम मिश्र सपा, नरेन्द्र पांडेय बसपा।

 कैसरगंज संसदीय सीट में गोंडा की तीन व बहराइच जिले की दो विधानसभा सीटें आती हैं। पांच में से चार सीटों पर भाजपा का कब्जा है। भाजपा के प्रत्याशी और उप्र कुश्ती संघ के अध्यक्ष करण कुश्ती के बाद राजनीति के अखाड़े में भी पिता बृजभूषण की छत्रछाया में जोरआजमाइश कर रहे हैं।

पिता को लेकर विवाद और पुत्र की दावेदारी को लोग अपनी-अपनी तरह से देखते हैं। बेलसर कस्बे में शिक्षक रज्जन बाबा तो स्पष्ट कहते हैं कि ‘सांसदजी (बृजभूषण) का बड़ा बेटा प्रतीक भूषण गोंडा सदर से विधायक है और अब छोटा बेटा करण यहां से सांसद बनने जा रहा है। बृजभूषण के गोंडा, कैसरगंज में तमाम कालेज हैं।

बच्चों को खेल व पढ़ाई में सांसदजी खूब प्रोत्साहित करते हैं। गरीब परिवार के बच्चों की फीस भी माफ कर देते हैं। राजनीति में बृजभूषण पहले भी विवादों में घिर चुके हैं, मगर हर बार वह विवादों की धूल झाड़-पोछकर मजबूती से खड़े भी हो जाते हैं।’

बेलसर ब्लाक के आजाद नगर बाजार में चाय पर चर्चा छिड़ी हुई थी। किसान सुरेश कुमार अयोध्या में दिव्य-भव्य राम मंदिर का बखान करते नहीं अघा रहे हैं। बोले ‘500 वर्षों की तपस्या पूरी हुई है, हम तो फूल वाली पार्टी को ही वोट देंगे।’ श्रीराम मंदिर की दिव्यता का वर्णन कर उन्होंने आंख खोली तो सामने चाय की प्याली थी।

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चुस्कियां लेकर बोले, रामू तुम्हारा क्या मत है। रामू कुछ बोले तो नहीं, लेकिन सिर हिलाकर सुरेश की बात का समर्थन किया। तब तक यहां पहले से बैठे युवा दीपू चाय पी चुके थे, दुकानदार को नकद देने के बजाए आनलाइन पैसे ट्रांसफर कर वह बोले ‘और दादा बेरोजगारी व महंगाई का क्या?’ अबकी जवाब सुरेश की बजाए रामू ने दिया।

बोले ‘किस सरकार में महंगाई नहीं रहती बच्चा। रोजी-रोजगार भी मिल ही रहा है। युवा हो राष्ट्र को सशक्त बनाने की सोचो।’ यहां पिछले दो चुनावों से कमल का फूल ही खिल रहा है।

छह बार के सांसद बृजभूषण शरण सिंह ने वर्ष 2014 के मुकाबले वर्ष 2019 का लोकसभा चुनाव बड़े अंतर से जीता। 2014 में सपा प्रत्याशी व पूर्व मंत्री विनोद कुमार सिंह उर्फ पंडित सिंह से वह 78 हजार से अधिक वोट से ही जीते थे, तब बसपा प्रत्याशी कृष्ण कुमार ओझा को 1.46 लाख वोट मिले थे और कांग्रेस के मुकेश श्रीवास्तव को 57 हजार मत मिले थे। 2019 में सपा-बसपा गठबंधन के प्रत्याशी चंद्र देव राम यादव को भाजपा के बृजभूषण ने 2.61 लाख वोटों के लंबे अंतर से पराजित किया था।

अबकी सपा व बसपा अलग-अलग हैं और आइएनडीआइए के चलते सपा व कांग्रेस साथ हैं। कांग्रेस को वर्ष 2014 में छह प्रतिशत और वर्ष 2019 के चुनाव में मात्र 3.78 प्रतिशत वोट ही मिले थे। सपा प्रत्याशी भगत राम मिश्र को ब्राह्मणों के साथ ही मुस्लिम व यादवों के वोट से भी बड़ी आस है। वह वर्ष 2004 में बहराइच से बसपा से चुनाव लड़े थे और सपा प्रत्याशी रुबाब सईदा से 26 हजार वोटों से हार गए थे।

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कांग्रेस व भाजपा में भी रहे चुके हैं और यहां इन्हें टिकट मिलने पर यहां सपाई खुलकर विरोध भी जता चुके हैं। तभी यहां सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने रोड-शो किया था और उसके बाद चीजें सही होने का दावा किया जा रहा है। अब डिंपल यादव भी प्रचार करने आने वाली हैं।

कैसरगंज विधानसभा क्षेत्र में भंभुआ कस्बे में मिले अमरजीत कहते हैं कि ‘नहरें सूखी पड़ी हैं और निराश्रित गोवंश खेत को नुकसान पहुंचा रहा है। किसान की आय दोगुणी भले न हुई हो, लेकिन उसे दोहरा नुकसान जरूर उठाना पड़ रहा है। आखिर जिम्मेदार क्यों नहीं जागते।’ वह अबकी बदलाव की बात कहते हैं।

इस लोकसभा सीट में सिर्फ कैसरगंज विधानसभा सीट ही ऐसी है जिस पर सपा जीती है। बाकी तरबगंज, पयागपुर, कटरा बाजार व कर्नलगंज सीट भाजपा के कब्जे में है। यहां पास की दुकान से राशन खरीदकर लौट रही माया देवी कहती हैं कि ‘मोदी तो अच्छे हैं लेकिन नीचे वाले अधिकारी गड़बड़ करते हैं। किसान और जो गरीबी रेखा से थोड़ा भी ऊपर है वह परेशान है।’ कैसरगंज सीट से बसपा कभी नहीं जीती।

पयागपुर के राम नगर खजुरी के रहने वाले व्यवसायी नरेन्द्र पांडेय खुद को वर्ष 2004 से बसपा से जुड़ा बताते हैं और जीत का दावा करते हैं। इनके मैदान में उतरने से बाह्मण वोटों का भाजपा, सपा व बसपा में बिखराव होने की उम्मीद है। फिलहाल अनुसूचित जाति व मुसलमानों के वोट मिलने की आस है।

महिला पहलवानों के यौन शोषण के आरोपों के बाद देश भर में सुर्खियों में आई इस सीट के नतीजे पर भी सबकी नजर होगी। यहां सियासी दंगल जीतने के सभी के अपने दावे हैं, लेकिन मुकाबला दिलचस्प है।

कुल मतदाता- 1904726

पुरुष मतदाता- 1009379

महिला मतदाता- 895285

ट्रांस जेंडर- 62

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