Move to Jagran APP

यूपी में एक हजार रुपये से कम के जूते पर 12 से घटकर 5 प्रतिशत होगा GST, जूता कारोबारियों को म‍िलेगी बड़ी राहत

UP News पहली जनवरी 2022 से एक हजार रुपये तक के जूते 12 प्रतिशत जीएसटी के दायरे में हैं। पांच से बढ़कर 12 प्रतिशत टैक्स होने का बड़ा असर उत्तर प्रदेश के जूता उद्योग पर पड़ा। टैक्स बढ़ने से जूता उद्योग पर छाए भारी संकट के मद्देनजर जूता कारोबारियों द्वारा लगातार सरकार से जीएसटी की दर घटाने की मांग की गई।

By Ajay Jaiswal Edited By: Vinay Saxena Updated: Tue, 22 Oct 2024 08:54 AM (IST)
Hero Image
मंत्री समूह के निर्णय पर जीएसटी काउंसिल की मुहर लगते ही जूते पर सात प्रतिशत टैक्स घट जाएगा।- सांकेति‍क तस्‍वीर

अजय जायसवाल, लखनऊ। एक हजार रुपये से कम कीमत वाले जूते जल्द ही सस्ते हो जाएंगे। 999 रुपये तक के जूते पर जीएसटी की दर 12 से घटाकर पांच प्रतिशत की जाएगी। जीएसटी की दर तय करने को बनाए गए मंत्री समूह (जीओएम) ने कम कीमत वाले जूते पर टैक्स घटाने का निर्णय किया है। मंत्री समूह के निर्णय पर जीएसटी काउंसिल की मुहर लगते ही जूते पर सात प्रतिशत टैक्स घट जाएगा। टैक्स कम होने से खासतौर से उत्तर प्रदेश के जूता कारोबारियों को बड़ी राहत मिलेगी।

पहली जनवरी 2022 से एक हजार रुपये तक के जूते 12 प्रतिशत जीएसटी के दायरे में हैं। पांच से बढ़कर 12 प्रतिशत टैक्स होने का बड़ा असर उत्तर प्रदेश के जूता उद्योग पर पड़ा। टैक्स बढ़ने से जूता उद्योग पर छाए भारी संकट के मद्देनजर जूता कारोबारियों द्वारा लगातार सरकार से जीएसटी की दर घटाने की मांग की गई।

द आगरा शू फैक्टर्स फेडरेशन सहित जूता कारोबार से जुड़े अन्य संगठनों द्वारा इस संबंध में वित्त मंत्री और जीएसटी काउंसिल के सदस्य सुरेश कुमार खन्ना को कई ज्ञापन सौंपे गए। जूता कारोबारियों की दिक्कतों को देखते हुए खन्ना ने पिछले माह जीएसटी काउंसिल की बैठक में एक हजार रुपये से कम कीमत वाले जूते पर जीएसटी की दर घटाकर पांच प्रतिशत करने का प्रस्ताव रखा।

काउंसिल द्वारा दर तय करने के लिए बनाए गए जीओएम की पिछले दिनों हुई बैठक में संबंधित प्रस्ताव पर विचार किया गया। वित्त मंत्री खन्ना ने बताया कि एक हजार रुपये तक के जूतों पर सिर्फ पांच प्रतिशत जीएसटी लगाने के उनके प्रस्ताव को जीओएम की सर्वसम्मति से हरी झंडी मिल गई है। खन्ना ने पूरी उम्मीद जताते हुए कहा कि जीओएम के निर्णय को काउंसिल से भी जल्द मंजूरी मिल जाएगी।

शू फैक्टर्स फेडरेशन के अध्यक्ष विजय सामा ने बताया कि प्रदेश में बनने वाले जूतों में 95 प्रतिशत से अधिक एक हजार रुपये से कम कीमत वाले ही होते हैं। सामा के मुताबिक आगरा के साथ ही कानपुर, उन्नाव, लखनऊ, सहारनपुर आदि जिले में वंचित समाज के लगभग 25 लाख परिवार जूते के कारोबार किसी न किसी तरीके से जुड़े हैं। 12 प्रतिशत टैक्स होने से मशीनों के बजाय हाथ से जूता बनाने के कारोबार पर संकट बढ़ता जा रहा था। अब तक एक हजार से ज्यादा जूता कारोबारियों का काम ठप हो चुका है। सामा ने बताया कि जूते का लगभग छह हजार करोड़ रुपये का घरेलू बाजार है जबकि चार हजार करोड़ रुपये से ज्यादा के जूते निर्यात होते है।

यह भी पढ़ें: भाजपा आज घोषित कर सकती है विधानसभा उपचुनाव के प्रत्याशी, दो सीटों के लिए दिल्ली में ही डटे हैं संजय निषाद

आपके शहर की हर बड़ी खबर, अब आपके फोन पर। डाउनलोड करें लोकल न्यूज़ का सबसे भरोसेमंद साथी- जागरण लोकल ऐप।