Gyanvapi Case: तहखाने में छुपे हैं ज्ञानवापी के मंदिर होने के अहम साक्ष्य, प्लेसेज ऑफ वर्शिप एक्ट के जरिये दावा मजबूत करेगा मस्जिद पक्ष
मस्जिद पक्ष ज्ञानवापी पर अपना दावा प्लेसेज आफ वर्शिप एक्ट 1991 के जरिये मजबूत करेगा। अंजुमन इंतेजामिया मसाजिद के संयुक्त सचिव एसएम यासीन का कहना है कि मुसलमान देश की आजादी के काफी पहले से ज्ञानवापी में नमाज पढ़ते आ रहे हैं। जौनपुर के रईस मुसलमान शेख मोहद्दीस ने ज्ञानवापी में मस्जिद को 804-42 हिजरी (वर्तमान में 1445 हिजरी चल रही है) के बीच बनवाया था।
देवेन्द्र नाथ सिंह, वाराणसी। ज्ञानवापी में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआइ) सर्वे जरूर हुआ, पर कई हिस्से ऐसे हैं जिनकी जांच नहीं हो सकी है। इनमें इमारत के शिखर के नीचे तहखाने का हिस्सा भी शामिल है। इनकी जांच की जाए तो कई ऐसे साक्ष्य सामने आएंगे जो यह सिद्ध करने में सहायक होंगे कि ज्ञानवापी मंदिर है। यह दावा है मां शृंगार गौरी मुकदमे में मंदिर पक्ष के अधिवक्ता विष्णु शंकर जैन का।
उनका कहना है कि धर्मग्रंथों के अनुसार ज्ञानवापी में आदि विश्वेश्वर मंदिर अष्टकोणीय है। इसके मध्य में गर्भगृह था। मंदिर ध्वस्त करने के बाद इसके ऊपर ही वर्तमान इमारत बनाई गई है। एडवोकेट कमिश्नर की कार्यवाही व एएसआइ की सर्वे रिपोर्ट के अनुसार, वर्तमान इमारत के नीचे बड़े हिस्से को दीवार, ईंट-पत्थर से बंद कर दिया गया है।एएसआइ ने रिपोर्ट में लिखा है कि राष्ट्रीय भूभौतिकीय अनुसंधान संस्थान (एनजीआरआइ) के विशेषज्ञों ने इमारत के तीन गुंबदों के नीचे जीपीआर सर्वेक्षण किया था। सर्वेक्षण में दक्षिण गलियारा, दक्षिणी हाल, केंद्रीय हाल, पूर्वी गलियारा, उत्तरी हाल और उत्तरी गलियारा शामिल किया गया।
एकत्रित आंकड़ों के विश्लेषण से पता चलता है कि उत्तरी हाल और उत्तरी गलियारे की जमीन पर एक मीटर मोटी परत के साथ तीन और परतें हैं। यह परत मध्य व दक्षिण हाल में 0.5 मीटर तक मोटी है। थ्रीडी प्रोफाइल से पता चलता है कि परत के नीचे मलबा पड़ा है। मलबे का ऊंचा ढेर गुंबद के आकार का है। मलबे की एक ज्यामिति है, जो टूटी-फूटी नींव व मीनार जैसी है।
खोखली है मुख्य शिखर के नीचे की जमीन
मई, 2022 में एडवोकेट कमिश्नर की कार्यवाही में वर्तमान इमारत के मुख्य शिखर के नीचे हाल के फर्श को ठोंकने पर ऐसा लगता था जैसे नीचे खोखली हो। उस वक्त भी मंदिर पक्ष ने उसके नीचे अव्यवस्थित मलबा होने बात कही थी। नीचे की ओर से इस हिस्से में जाने के सभी रास्ते बंद कर दिए गए हैं। एएसआइ ने रिपोर्ट में लिखा है कि मंदिर जैसी जिस संरचना का पता चलता है, उसका प्रवेशद्वार पश्चिम में था, जिसे पत्थरों से बंद कर दिया गया है। तहखानों की जांच में दिखा कि वहां तक पहुंचने का मार्ग ईंट से बनी दीवारों व मलबों से बंद है। पूरब की तरफ दीवार पर दरवाजा नजर आता है, जिसे ईंट-पत्थरों से बंद किया गया है। तहखाने का उत्तरी प्रवेशद्वार भी पत्थर से बंद किया गया है।पानी की टंकी में भी मिलेगा अरघा
एएसआइ के मानचित्र में परिसर के आधे हिस्से में पूरब-उत्तर दिशा में पांच व पूरब-दक्षिण दिशा में तीन तहखाने दर्शाए गए हैं। पश्चिम दिशा की ओर आधे हिस्से में ही मलबा होने की बात कही जा रही है। पश्चिम-दक्षिण व पश्चिम-पूरब हिस्से में नीचे की ओर दो सीढ़ियां जाती हैं, पर उन्हें भी आगे बंद कर दिया गया है। इस तरह वर्तमान इमारत के नीचे आधे हिस्से में पहुंचने का रास्ता बंद है। विष्णु शंकर जैन का कहना है कि बंद हिस्से में मंदिर का गर्भगृह है। इसकी जांच के लिए अदालत में अपील करेंगे।
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