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यूपी में हनुमान जी का ऐसा मंदिर को जहां पत्र भेजकर मांगते हैं मन्नत, बाबा नीब करौरी से जुड़ी है एक कहानी

Hanuman Mandir Of Lucknow Latest News In Hindi एक ऐसा हनुमान मंदिर है जहां आप दर्शन करने न जा पाएं तो पत्र भेजकर अपनी मनोकामनाएं पूरी कर सकते हैं। देश विदेश से हर साल आते हैं दो से तीन लाख पत्र। मन्नत पूरी होने पर दर्शन करते हैं श्रद्धालु। 26 जनवरी 1967 को मंदिर बनकर तैयार होने के साथ दर्शन शुरू हो गए।

By Jagran News Edited By: Abhishek Saxena Updated: Sat, 27 Jan 2024 01:55 PM (IST)
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हनुमान सेतु मंदिर में पत्र पढ़ते पुजारी धीरेंद्र शास्त्री l जागरण

जागरण संवाददाता, जितेंद्र उपाध्याय, लखनऊ। एक ऐसा हनुमान मंदिर है जहां आप दर्शन करने न जा पाएं तो पत्र भेजकर अपनी मनोकामनाएं पूरी कर सकते हैं। आप यह जानकर कर हैरान तो नहीं हुए, लेकिन यह सच है।

हनुमान सेतु मंदिर में एक साल में दो से तीन लाख पत्र आते हैं। देश और विदेश के भक्त पत्र के माध्यम से अपनी मन्नत मांगते हैं और पूरा होने पर दर्शन के लिए आते हैं। मंदिर के पुजारी सभी पत्रों को पढ़ते हैं और हनुमान जी के चरणों में अर्पित करके भूमि विसर्जन कर देते हैं।

बाबा नीब करौरी ने मंदिर निर्माण के दौरान कहा था कि हनुमान जी के दर्शन से सभी मनोकामनाएं पूरी होंगी। यदि कोई श्रद्धालु दर्शन के लिए नहीं आ पाता तो वह यदि सच्चे मन से बजरंग बली को पत्र भेजकर कामना करेगा तो उसकी सभी मनोकामनाएं पूरी हो जाएंगी।

बाबा ने त्रासदी से बचाया

बाबा ने 70 के दशक में राजधानी को बाढ़ की त्रासदी से बचाया था। गोमती नदी के उफान को मंदिर निर्माण ने बचा लिया था और बाबा ने वैदिक मंत्रोच्चारण के साथ बाढ़ के सैलाब को शांत किया था। नदी पर पुल निर्माण के लिए भी बाबा का योगदान रहा है। पुल बनता और बार-बार गिर जाता था तो बाबा ने अधिकारियों से मंदिर निर्माण कराने को कहा। कोलकाता के एक बिल्डर ने पुल के साथ मंदिर का निर्माण कराया। 26 जनवरी 1967 को मंदिर बनकर तैयार होने के साथ दर्शन शुरू हो गए।

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‘ग्रेजुएट हनुमान’ और ‘चिट्ठी वाले बाबा’ हैं उप नाम

लोगों की अटूट आस्था का केंद्र हनुमान सेतु मंदिर ऐसा चमत्कारी धाम है जहां से कोई खाली नहीं जाता. अंजनी पुत्र हनुमान को ‘चिट्ठी वाले बाबा’और ‘ग्रेजुएट हनुमान’ भी कहा जाता है। मंदिर में संचालित श्री बाबा नीब करौरी जी वेद विद्यालय के प्राचार्य डा.चंद्रकांत द्विवेदी ने बताया कि लखनऊ विश्वविद्यालय के पास होने के कारण हनुमान जी को ‘ग्रेजुएट हनुमान’ का नाम बाबा जी ने दिया था।

हर साल तीन लाख के करीब चिटि्ठयां आती हैं इसलिए बजरंग बली को ‘चिट्ठी वाले बाबा’ कहते हैं। डाक के साथ ही दान पात्र में श्रद्धालु चिट्ठियां डालते हैं। हर बुधवार को पुजारी हनुमान जी के सामने पत्र पढ़ते हैं और हनुमान जी के चरणों में अर्पित कर भूमि विसर्जन करते हैं। 

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