लोकसभा चुनाव से ऐन वक्त पहले गरम होते जाट आरक्षण के मुद्दे के बीच भाजपा के पाले से ऐसा दांव चल दिया गया है जिसने उत्तर प्रदेश की राजनीति के लिए नया विमर्श खड़ा कर दिया है। केंद्रीय राज्यमंत्री संजीव बालियान ने अलग पश्चिमी उत्तर प्रदेश (हरित प्रदेश) की मांग उठा दी है जो कि प्रभावशाली जाट बिरादरी के साथ ही अंचल के आमजन की आकांक्षा है।
By Jagran NewsEdited By: Siddharth ChaurasiyaUpdated: Thu, 05 Oct 2023 07:30 PM (IST)
जितेंद्र शर्मा, नई दिल्ली/लखनऊ। लोकसभा चुनाव से ऐन वक्त पहले गरम होते जाट आरक्षण के मुद्दे के बीच भाजपा के पाले से ऐसा दांव चल दिया गया है, जिसने उत्तर प्रदेश की राजनीति के लिए नया विमर्श खड़ा कर दिया है। मुजफ्फरनगर से सांसद व केंद्रीय कृषि एवं खाद्य प्रसंस्करण राज्यमंत्री संजीव बालियान ने अलग पश्चिमी उत्तर प्रदेश (हरित प्रदेश) की मांग उठा दी है, जो कि प्रभावशाली जाट बिरादरी के साथ ही अंचल के आमजन की आकांक्षा है।
अभी सुगबुगाहट के सिरे पर खड़ी यह मांग जाटों के मंचों से मुद्दा बनी तो इसका असर सीधे तौर पर भाजपा से मुकाबले के लिए खड़े विपक्षी गठबंधन (आईएनडीआईए) और खास तौर पर रालोद मुखिया जयंत चौधरी और सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव की सियासी दोस्ती पर पड़ सकता है, क्योंकि इस मुद्दों पर दोनों दलों के पूर्वजों का रुख परस्पर विरोधी रहा है।जाट बहुल पश्चिमी उत्तर प्रदेश में 2014 के लोकसभा से बार-बार जीत भले ही मिल रही हो, लेकिन चुनाव से जिस तरह हर बार यह धरती अलग-अलग मुद्दों को लेकर तपती रही है, उसने भाजपा के लिए चुनौती जरूर खड़ी की है। अब लोकसभा चुनाव से पहले फिर से केंद्रीय सेवाओं में जाटों का आरक्षण का मुद्दा सिर उठाने लगा। यह ऐसा मुद्दा है, जिसका प्रभाव न सिर्फ पश्चिमी उत्तर प्रदेश, बल्कि जाटों के प्रभाव वाले हरियाणा और राजस्थान तक में पड़ सकता है।
यह भी पढ़ें: UP Politics: योगी के मंत्री संजय निषाद ने की यूपी में भी जाति आधारित गणना कराए जाने की मांग, कही ये बातराजनीतिक गलियारों में चर्चा शुरू हो गई कि विपक्षी दल इस मुद्दे को हवा दे सकते हैं, ताकि यह भाजपा सरकार के गले की फांस बने। इसी बीच संजीव बालियान ने पुरानी पोटली से हरित प्रदेश का मुद्दा निकाल लिया। उन्होंने पश्चिमी उत्तर प्रदेश को अलग राज्य बनाने और पश्चिमी उप्र में अलग हाईकोर्ट बेंच बनाने की पुरजोर पैरवी की है। अभी इस पर भाजपा की ओर से कुछ नहीं कहा गया है, लेकिन बालियान के बयान को इसलिए भी गंभीरता से लिया जा रहा है, क्योंकि वह केंद्रीय मंत्री और भाजपा के प्रमुख जाट नेता हैं।
2022 के उत्तर विधानसभा चुनाव के वक्त नाराज जाटों और सरकार के बीच मध्यस्थता में उन्होंने भी बड़ी भूमिका निभाई थी। माना जा रहा है कि बालियान द्वारा उठाई गई मांग यदि लोकसभा चुनाव से पहले सामाजिक मंचों का मुद्दा बन गई तो सबसे पहले विपक्षी गठबंधन में खास तौर पर सपा-रालोद की उस जुगलबंदी की परीक्षा लेगी, जिसे भाजपा के लिए पश्चिमी उत्तर प्रदेश में विशेष रूप से चुनौती के रूप में देखा जा रहा है।
दरअसल, छोटे राज्यों की पैरवी पूर्व प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू और डॉ. भीमराव आंबेडकर करते रहे हैं। रालोद के पूर्व अध्यक्ष चौ. अजित सिंह 'हरित प्रदेश' के लिए आंदोलन चलाते रहे हैं। भाजपा इसकी समर्थक रही है और बसपा अध्यक्ष मायावती तो अपने मुख्यमंत्रित्व काल में उत्तर प्रदेश को चार हिस्सों में बांटने का प्रस्ताव तक विधानसभा से पारित करा चुकी हैं। अब बची सिर्फ समाजवादी पार्टी, जो कि अलग राज्य बनाने का खुलकर विरोध करती रही है।
यह भी पढ़ें: Deoria Murder: देवरिया नरसंहार केस में CM योगी की बड़ी कार्रवाई, SDM, तहसीलदार और कोतवाल सहित 12 निलंबितअब यदि जनमंच से हरित प्रदेश का मुद्दा उठा तो जयंत को रुख स्पष्ट करना होगा कि वह जन आकांक्षा का समर्थन करते हैं या सपा के साथ गठबंधन धर्म निभाएंगे। यही स्थिति अखिलेश के सामने होगी कि गठबंधन संभालें या इस मुद्दे पर अपने सियासी पूर्वजों की नीति से अलग कदम उठाएं।
मैं पश्चिमी उत्तर से सांसद हूं। यह मुद्दा मैंने व्यक्तिगत रूप से उठाया है। यही क्षेत्र की जनता की पुरानी मांग है। चौधरी चरण सिंह, पंडित जवाहरलाल नेहरू और डॉ. भीमराव आंबेडकर भी छोटे राज्यों के समर्थक थे। सपा ने हमेशा इसका विरोध किया है। जयंत हों या अखिलेश, यह तय करना उनका काम है कि जनता की मांग का समर्थन करना है या नहीं।
- संजीव बालियान, केंद्रीय कृषि एवं खाद्य प्रसंस्करण मंत्री
भाजपा जयंत चौधरी और रालोद से डरकर यह मुद्दा उठा रही है। जरूरत पड़ी तो हम इस पर आईएनडीआईए गठबंधन के साथियों से चर्चा कर लेंगे। वहीं, भाजपा यदि वास्तव में हरित प्रदेश बनाना चाहती है तो क्यों नहीं लोकसभा में प्रस्ताव लाकर मंजूर करा लेती।
- त्रिलोक त्यागी, राष्ट्रीय महासचिव (संगठन), राष्ट्रीय लोकदल
आपके शहर की हर बड़ी खबर, अब आपके फोन पर। डाउनलोड करें लोकल न्यूज़ का सबसे भरोसेमंद साथी- जागरण लोकल ऐप।