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Hathras Satsang Case: सूरजपाल से आयोग ने दो घंटे की पूछताछ, खुद को बता रहा निर्दोष; बयान किया दर्ज

हाथरस सत्संग में मची भगदड़ में 121 लोगों की मौत के मामले की जांच कर रहे न्यायिक आयोग के सामने सूरजपाल सिंह ने खुद को निर्दोष बताया है। सूरजपाल सिंह ने कहा कि जब तक वह आयोजन स्थल पर मौजूद थे तब तक सब कुछ ठीक था। उनके जाने के बाद ही अव्यवस्था हुई। आयोग ने सूरजपाल सिंह से दो घंटे तक पूछताछ की और उनके बयान दर्ज किए।

By Alok Mishra Edited By: Aysha Sheikh Updated: Thu, 10 Oct 2024 09:54 PM (IST)
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सूरजपाल सिंह (नारायण साकार विश्वहरि) - फाइल फोटो।

राज्य ब्यूरो, लखनऊ। हाथरस के सिकंदराराऊ में दो जुलाई को सत्संग में मची भगदड़ से 121 लोगों की मौत के मामले में न्यायिक जांच आयोग के सामने सूरजपाल सिंह (नारायण साकार विश्वहरि) ने खुद को निर्दोष बताया। आयोग ने गुरुवार को सूरजपाल सिंह से दो घंटे पूछताछ की और उनके बयान दर्ज किए।

सूत्रों के अनुसार सूरजपाल सिंह ने आयोग के सामने कहा कि जब तक वह आयोजन स्थल पर उपस्थित रहे, तब तक सबकुछ ठीक था। कार्यक्रम में पहुंचने के बाद उन्होंने श्रद्धालुओं से अपनी बात कही और दोपहर लगभग सवा एक बजे वहां चले गए थे। इस दौरान आयोजन स्थल पर स्थिति पूरी तरह से सामान्य थी। मेरे सामने कोई अव्यवस्था नहीं थी। जो अव्यवस्था हुई, वह मेरे जाने के बाद हुई। कहा, इसके अलावा जो कुछ है, वह सब कही-सुनी बातें हैं।

आयोग ने लखनऊ की जनपथ मार्केट स्थित सचिवालय में सूरजपाल सिंह से गुरुवार सुबह 11 बजे से दोपहर लगभग एक बजे तक पूछताछ की। इस दौरान उनसे पूर्व में हुए उनके सत्संग कार्यक्रमों, कार्यक्रमों में होने वाले प्रबंधों, आयोजनों में होने वाली व्यवस्था में उनकी भूमिका समेत अन्य बिंदुओं पर भी सवाल-जवाब किए गए।

हादसे के बाद सीएम ने क्या किया? 

हाथरस हादसे के बाद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने तीन जुलाई को इलाहाबाद हाई कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश बृजेश कुमार श्रीवास्तव (द्वितीय) की अध्यक्षता में तीन सदस्यीय न्यायिक आयोग का गठन किया था। आयोग में पूर्व आइएएस हेमन्त राव व पूर्व आइपीएस भवेश कुमार सिंह बतौर सदस्य शामिल हैं। आयोग मामले में सूरजपाल को दोबारा भी पूछताछ के लिए बुला सकता है।

मुख्यमंत्री ने हादसे की जांच के लिए एक एसआइटी (विशेष जांच दल) का भी गठन किया था। एसआइटी ने अपनी आरंभिक जांच में मुख्य दोषी आयोजकों को ठहराया था। स्थानीय प्रशासन व पुलिस की लापरवाही भी उजागर की थी। एसआइटी की रिपोर्ट में हालांकि सूरजपाल सिंह की भूमिका तय नहीं की जा सकी थी।

एसआइटी की रिपोर्ट पर मुख्यमंत्री ने लापरवाह अधिकारियों पर कार्रवाई की थी। नौ सितंबर को सिकंदराराऊ के एसडीएम रविन्द्र कुमार व सीओ डा.आनन्द कुमार, तहसीलदार सुशील कुमार, एसओ आशीष कुमार, चौकी प्रभारी कचौरा मनवीर व चौकी प्रभारी पोरा ब्रजेश पांडेय को निलंबित कर दिया गया था। एसआइटी की रिपोर्ट न्यायिक जांच आयोग से साझा की गई थी।

यह हैं आयोग की जांच के पांच बिंदु

  • कार्यक्रम के लिए जिला प्रशासन द्वारा प्रदान की गई अनुमति तथा उसकी शर्ताें का आयोजकों ने कितना अनुपालन किया।
  • यह कोई दुर्घटना है अथवा षडयंत्र। अन्य किसी सुनियोजित आपराधिक घटना थी।
  • जिला प्रशासन व पुलिस द्वारा कार्यक्रम के दौरान भीड़ नियंत्रण तथा कानून-व्यवस्था बनाए रखने के लिए किये गये प्रबंधों व उनसे जुड़े अन्य पहलू।
  • घटना के कारणों व परिस्थितियों का निर्धारण।
  • भविष्य में इस प्रकार की घटना की पुनरावृत्ति को रोकने के सुझाव। 

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