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Gyanvapi Mosque: शिवलिंग की सत्यता जानने के लिए दाखिल याचिका खारिज, हाई कोर्ट ने सुनने से किया इनकार

Gyanvapi Mosque Case वाराणसी की ज्ञानवापी मस्जिद में मिले कथित शिवलिंग की सत्यता जानने के लिए दाखिल की गई याचिका को हाई कोर्ट ने खारिज कर दिया है। कोर्ट ने क्षेत्राधिकार न होने की वजह से याचिका सुनने से इनकार कर दिया।

By Umesh TiwariEdited By: Updated: Fri, 10 Jun 2022 09:36 PM (IST)
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Gyanvapi Mosque Case: ज्ञानवापी में जांच की मांग को लेकर दाखिल जनहित याचिका खारिज।
Gyanvapi Mosque Case: लखनऊ, विधि संवाददाता। इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ खंडपीठ ने वाराणसी की ज्ञानवापी मस्जिद में पाई गई संरचना की सत्यता जानने के लिए सुप्रीम कोर्ट या हाई कोर्ट के जज की अध्यक्षता में कमेटी गठित करने की मांग में दाखिल जनहित याचिका शुक्रवार को खारिज कर दी। कोर्ट ने क्षेत्राधिकार न होने की वजह से याचिका सुनने से इनकार कर दिया।

यह आदेश जस्टिस राजेश सिंह चौहान एवं जस्टिस सुभाष विद्यार्थी की अवकाशकालीन पीठ ने सुधीर सिंह समेत छह याचिकाकर्ताओं की ओर से दाखिल याचिका पर पारित किया। याचिका की सुनवाई शुरू होते ही राज्य सरकार के मुख्य स्थायी अधिवक्ता अभिनव नारायण त्रिवेदी ने कहा कि यह मसला वाराणसी का है और वहां का क्षेत्राधिकार इलाहाबाद हाई कोर्ट का है न कि लखनऊ खंडपीठ का। उन्होंने यह भी कहा कि इस मसले पर पहले ही सुप्रीम कोर्ट संज्ञान ले चुका है। केंद्र सरकार एवं एएसआई के अधिवक्ता एसएम रायकवार ने भी क्षेत्राधिकार की कमी का हवाला देेकर याचिका का विरेाध किया।

याचियों के अधिवक्ता अशोक पांडे कहा कि सरकारों व एएसआई ने अपना दायित्व नहीं निभाया है अन्यथा उक्त संरचना की जांच कराकर विवाद को जड़ से खत्म कर देते। चूंकि केंद्र व राज्य सरकार तथा एएसआई अपना विधिक दायित्व निभाने में असफल रहीं है, अत: कोर्ट कमेटी गठित करे।

बता दें कि याचिका में कहा गया था कि सरकारों व एएसआई ने अपना दायित्व नहीं निभाया है अन्यथा उक्त संरचना की जांच कराकर विवाद को जड़ से खत्म देते। याचिका में कहा गया है कि हिंदुओं का दावा है कि मिली संरचना विशेश्वर ज्योतिर्लिंग है, इस संबंध में केंद्र सरकार को अपनी शक्तियों का प्रयोग करते हुए फैक्ट फाइंडिंग कमेटी बनानी चाहिए, लेकिन ऐसा नहीं किया गया।

याचिका में चिंता भी जताई गई थी कि इस विवाद पर तमाम राजनीतिज्ञों और अन्य लोगों की ओर से तरह-तरह के बयान दिए जा रहे हैं, इसी प्रकार के एक बयान के चलते हिंदुओं की इस्लामिक दुनिया में छवि धूमिल हुई है, जिसकी वजह से देश का संबंध इस्लामिक देशों के साथ खराब होने का भी खतरा पैदा हो गया है।

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