लखनऊ विवि बवालः हाइकोर्ट की पुलिस को फटकार कहा, विवि को अराजकतत्वों का अड्डा नहीं बना सकते
कुलपति एसपी सिंह, प्रॉक्टर विनोद सिंह और एसएसपी दीपक कुमार को हाईकोर्ट ने तलब किया है। सभी को छह जुलाई को कोर्ट में हाज़िर होकर जवाब देने को कहा है।
By Ashish MishraEdited By: Updated: Fri, 06 Jul 2018 02:42 PM (IST)
लखनऊ (जेएनएन)। लखनऊ यूनिवर्सिटी में प्रॉक्टर और शिक्षकों से मारपीट के मामले में लखनऊ एसएसपी दीपक कुमार पर वारदात के वक्त यूनिवर्सिटी के अधिकारियों का फोन न उठाने का आरोप लगा है। मामले में गुरुवार को इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ खंडपीठ ने स्वत: संज्ञान लेते हुए डीजीपी ओपी सिंह को तलब किया था। शुक्रवार को डीजीपी ओपी सिंह जस्टिस विक्रमनाथ और जस्टिस राजेश सिंह चौहान की कोर्ट में पेश हुए।उनके साथ हटाए गए सीओ महानगर अनुराग सिंह और एसपी नार्थ अनुराज वत्स भी हाईकोर्ट पहुंचे।
लखनऊ विवि में बुधवार को हुए उपद्रव मामले में डीजीपी, एसएसपी, विवि के कुलपति, प्रॉक्टर व रजिस्ट्रार हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच में शुक्रवार को कोर्ट के समक्ष उपस्थित हुए। न्यायमूर्ति विक्रम नाथ और न्यायमूर्ति आरएस चौहान की खंडपीठ ने पुलिस को मामले में लापरवाही पर फटकार लगाई। न्यायालय ने मामले की अगली सुनवाई के लिए १६ जुलाई की तिथि नियत करते हुए, एसएसपी को हलफनामा दाखिल कर अब तक की गई कार्रवाई का ब्योरा देने का आदेश दिया है। न्यायालय ने एलयू के प्रॉक्टर को भी घटना की पूरी रिपोर्ट देने का निर्देश दिया है। साथ ही न्यायालय ने एलयू को एक रिपोर्ट के जरिए सलाह देने के लिए कहा है जिसके मद्देनजर ऐसी गाइडलाइंस बनाई जा सके जिससे विश्वविद्यालयों में इस प्रकार के उपद्रव व गुंडागर्दी पर लगाम लगाई जा सके।
सुनवाई के दौरान प्रॉक्टर ने कोर्ट को एसएसपी दीपक कुमार की लापरवाही के बारे में बताया। जिसके बाद कोर्ट ने पूछा आशीष मिश्र बॉक्सर पर समय रहते कोई कार्रवाई क्यों नहीं हुई जबकि उसके ऊपर पहले से ही एफआईआर दर्ज थी। इसके बाद एसएसपी ने कोर्ट को बताया कि यूनिवर्सिटी की पूर्व वीसी रूपरेखा वर्मा आंदोलकारी छात्रों के साथ थीं। जिसके बाद कोर्ट ने कहा अगर उनका भी हाथ है तो उनपर आपराधिक साजिश की धारा लगाइए।
लखनऊ यूनिवर्सिटी की घटना पर हाईकोर्ट ने पुलिस से हलफनामा दाखिल करने को कहा है। मामले की अगली सुनवाई 16 जुलाई को होगी। कोर्ट ने वीसी से यूनिवर्सिटी को सुरक्षित रखने पर सुझाव मांगा है।इससे पहले डीजीपी ओपी सिंह ने मामले की जांच आईजी लखनऊ रेंज सुजीत पांडे को सौंप दी है। वहीं सीओ महानगर अनुराग सिंह को तत्काल प्रभाव से हटा दिया गया है। इसके अलावा लखनऊ यूनिवर्सिटी के चौकी इंचार्ज को निलंबित कर दिया है। वारदात में लखनऊ के एसएसपी दीपक कुमार पर भी सवाल खड़े हो रहे हैं।
डीजीपी ने घटना को लेकर नाराजगी जाहिर की। उन्होंने मामले में सभी आरोपियों को जल्द से जल्द गिरफ्तार करने के निर्देश दिया। डीजीपी ने इसके अलावा एलयू के वीसी और टीचरों से भी मुलाकात की और उन्हें कैम्पस की सुरक्षा दुरस्त करने का आश्वासन दिया। उधर यूनिवर्सिटी से संबद्ध डिग्री कॉलेजों ने भी मामले में शुक्रवार से दाखिले बंद रखने का ऐलान कर दिया है। दूसरी तरफ राजभवन ने मामले की पूरी रिपोर्ट लखनऊ यूनिवर्सिटी से मांगी है। यह आदेश सीनियर जज जस्टिस विक्रमनाथ और जस्टिस राजेश सिंह चौहान की डिवीजन बेंच ने विश्वविद्यालय में हुई घटना को लेकर तमाम अखबारों में छपी खबरों का स्वत: संज्ञान लेते हुए पारित किया। कोर्ट ने दैनिक जागरण और एक अंग्रेजी अखबार को अपने रिकार्ड पर भी रखने का आदेश दिया। कोर्ट ने मामले को लखनऊ विश्वविद्यालय गुंडागिरी नामक टाइटल के साथ जनहित याचिका के रूप में दर्ज करने का आदेश दिया है।
अपने आदेश में कोर्ट ने पूरे प्रकरण को अफसोसजनक बताते हुए सख्त लहजे में टिप्पणी की कि यह बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है कि जो छात्र विश्वविद्यालय से निष्कासित किए जा चुके थे, उनकी इतनी धृष्टता कि वे परिसर में दाखिल हुए, हिंसा की और कुलपति और शिक्षकों समेत विश्वविद्यालय स्टाफ पर हमला किया। कोर्ट ने मीडिया में आई घटना का जिक्र करते हुए कहा कि इस मामले में कुछ छात्रों ने जिनमें निष्कासित छात्र भी शामिल थे, पहले कुलपति को पुन: प्रवेश न लेने पर गम्भीर परिणाम भुगतने की धमकी दी। इसके बाद उन पर व उनके सुरक्षाकर्मियों पर हमला कर दिया। इस उपद्रव में दस के लगभग शिक्षक व अन्य लोग घायल हो गए। विश्वविद्यालय प्रशासन ने ऐसी घटना का अंदेशा जताते हुए पुलिस को सूचना भी दी थी। इसके बावजूद स्थानीय पुलिस ने स्थिति को नियंत्रण में करने का कोई प्रयास नहीं किया।
बताते चलें कि लखनऊ विश्वविद्यालय (लविवि) में परास्नातक (पीजी) में दाखिले की मांग कर रहे निलंबित व निष्कासित छात्रों ने बुधवार को कुलपति प्रो. एसपी सिंह पर हमला कर दिया और पथराव किया। कुलपति तो हमले में बाल-बाल बच गए, लेकिन उन्हें बचाने दौड़े 12 शिक्षक चोटिल हो गए। इसमें डीन स्टूडेंट वेलफेयर प्रो. आरके सिंह, डीन कॉलेज डवलपमेंट काउंसिल प्रो. आरआर यादव, चीफ प्रो. प्रोवोस्ट संगीता रानी आदि शामिल हैं।प्राक्टर प्रो. विनोद सिंह से मारपीट कर उनकी शर्ट फाड़ दी गई। कुलपति व प्राक्टर की गाड़ी क्षतिग्रस्त भी क्षतिग्रस्त हो गई। इससे नाराज लविवि शिक्षक संघ (लूटा) ने पुलिस व जिला प्रशासन पर लापरवाही का आरोप लगाते हुए काउंसिलिंग रुकवा दी और लविवि को अनिश्चितकाल के लिए बंद करने की घोषणा कर दी। चार निलंबित, निष्कासित व उपद्रवी छात्र आशीष मिश्रा बाक्सर, आकाश लाला, विनय यादव व वीरेन्द्र यादव के साथ 20 अज्ञात छात्रों पर एफआइआर करवाई गई है। कुलपति ने सपा से जुड़े छात्रनेताओं पर बवाल करने का आरोप लगाया है।
लविवि कुलपति प्रो. एसपी सिंह सुबह करीब 11.50 बजे अपने कार्यालय से यूजीसी हृयूमन रिसोर्स डवलपमेंट सेंटर की ओर जा रहे थे तभी उनकी कार के आगे छात्रनेता आकाश लाला कूद पड़ा। कुलपति की कार रुक गई तो उनसे एमए में दाखिले की मांग करने लगा। कुलपति कार से उतर गए और पैदल जाने लगे तो विनय यादव उन्हें रोकने लगा। इसके बाद गार्डों व पुलिस कर्मियों की मदद से वह सेंटर पहुंच गए। यहां से छह राज्यों से आए शिक्षकों के ट्रेनिंग प्रोग्राम को संबोधित करके वह दोपहर करीब 1.15 बजे जैसे ही बाहर निकले, पहले से घात लगाकर खड़े निलंबित व निष्कासित छात्र आशीष मिश्रा बाक्सर, छात्रनेता आकाश लाला, विनय यादव, वीरेंद्र यादव के साथ करीब 20 अज्ञात छात्र हाथ में पत्थर व डंडे लिए खड़े हुए थे। उन्होंने कुलपति पर जैसे ही हमला बोला वैसे ही प्राक्टर प्रो. विनोद सिंह, डीन स्टूडेंट वेलफेयर प्रो. आरके सिंह और डीन कॉलेज डवलपमेंट काउंसिल प्रो. आरआर यादव ने उन्हें प्राक्टोरियल बोर्ड की टीम के साथ घेरे में ले लिया। पत्थरबाजी के बीच किसी तरह कुलपति को गाड़ी में बैठाया गया। इसके बाद बौखलाए छात्रों ने डीन, प्राक्टर सहित 12 शिक्षकों को घेर लिया और उन्हें दौड़ा-दौड़ाकर पीटा। तभी मौके पर पहुंचे कुलपति प्रोफेसर एसपी सिंह, डीन स्टूडेंट वेलफेयर प्रोफेसर राजकुमार सिंह, प्रोफेसर विनोद सिंह और डीएन कॉलेज डेवलपमेंट काउंसिल प्रोफेसर आरआर यादव, एडिशनल प्रॉक्टर डॉ गुरनाम सिंह से छात्रों की झड़प हो गई। गुस्साए छात्र नेताओं ने कुलपति की गाड़ी का शीशा तक तोड़ दिया। आरोप है कि छात्र नेता आशीष मिश्रा बॉक्सर ने प्रोफेसर विनोद सिंह को पीटा है। वहीं, हंगामा कर रहे छात्र नेता आकाश लाला और अंकित सिंह बाबू को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है। उधर, छात्र नेता पूजा शुक्ला का आमरण अनशन जारी। लविवि अनिश्चितकाल के लिए बंद :कुलपति का कहना है कि पुलिस प्रशासन की तरफ से किसी भी तरह का कोई सहयोग नहीं मिल रहा है। वहीं, जब तक स्थिति काबू में नहीं रहेगी कामकाज ठप रहेगा। साथ ही काउंसलिंग पर भी रोक लगा दी गई है। फिलहाल लखनऊ विश्वविद्यालय अनिश्चितकाल के लिए बंद है।
आपके शहर की हर बड़ी खबर, अब आपके फोन पर। डाउनलोड करें लोकल न्यूज़ का सबसे भरोसेमंद साथी- जागरण लोकल ऐप।लविवि कुलपति प्रो. एसपी सिंह सुबह करीब 11.50 बजे अपने कार्यालय से यूजीसी हृयूमन रिसोर्स डवलपमेंट सेंटर की ओर जा रहे थे तभी उनकी कार के आगे छात्रनेता आकाश लाला कूद पड़ा। कुलपति की कार रुक गई तो उनसे एमए में दाखिले की मांग करने लगा। कुलपति कार से उतर गए और पैदल जाने लगे तो विनय यादव उन्हें रोकने लगा। इसके बाद गार्डों व पुलिस कर्मियों की मदद से वह सेंटर पहुंच गए। यहां से छह राज्यों से आए शिक्षकों के ट्रेनिंग प्रोग्राम को संबोधित करके वह दोपहर करीब 1.15 बजे जैसे ही बाहर निकले, पहले से घात लगाकर खड़े निलंबित व निष्कासित छात्र आशीष मिश्रा बाक्सर, छात्रनेता आकाश लाला, विनय यादव, वीरेंद्र यादव के साथ करीब 20 अज्ञात छात्र हाथ में पत्थर व डंडे लिए खड़े हुए थे। उन्होंने कुलपति पर जैसे ही हमला बोला वैसे ही प्राक्टर प्रो. विनोद सिंह, डीन स्टूडेंट वेलफेयर प्रो. आरके सिंह और डीन कॉलेज डवलपमेंट काउंसिल प्रो. आरआर यादव ने उन्हें प्राक्टोरियल बोर्ड की टीम के साथ घेरे में ले लिया। पत्थरबाजी के बीच किसी तरह कुलपति को गाड़ी में बैठाया गया। इसके बाद बौखलाए छात्रों ने डीन, प्राक्टर सहित 12 शिक्षकों को घेर लिया और उन्हें दौड़ा-दौड़ाकर पीटा। तभी मौके पर पहुंचे कुलपति प्रोफेसर एसपी सिंह, डीन स्टूडेंट वेलफेयर प्रोफेसर राजकुमार सिंह, प्रोफेसर विनोद सिंह और डीएन कॉलेज डेवलपमेंट काउंसिल प्रोफेसर आरआर यादव, एडिशनल प्रॉक्टर डॉ गुरनाम सिंह से छात्रों की झड़प हो गई। गुस्साए छात्र नेताओं ने कुलपति की गाड़ी का शीशा तक तोड़ दिया। आरोप है कि छात्र नेता आशीष मिश्रा बॉक्सर ने प्रोफेसर विनोद सिंह को पीटा है। वहीं, हंगामा कर रहे छात्र नेता आकाश लाला और अंकित सिंह बाबू को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है। उधर, छात्र नेता पूजा शुक्ला का आमरण अनशन जारी। लविवि अनिश्चितकाल के लिए बंद :कुलपति का कहना है कि पुलिस प्रशासन की तरफ से किसी भी तरह का कोई सहयोग नहीं मिल रहा है। वहीं, जब तक स्थिति काबू में नहीं रहेगी कामकाज ठप रहेगा। साथ ही काउंसलिंग पर भी रोक लगा दी गई है। फिलहाल लखनऊ विश्वविद्यालय अनिश्चितकाल के लिए बंद है।