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UP में सड़क हादसे में सबसे ज्यादा मौतें, ब्लैक स्पॉट पर सरकार की लापरवाही से बढ़ा खतरा

प्रदेश में सड़क हादसों में जान गंवाने वालों की संख्या चिंताजनक है। 2023 में ही राज्य में 23652 लोगों की मौत हो गई। इनमें से कई हादसे ब्लैक स्पॉट्स पर हुए हैं। लोक निर्माण विभाग ने 1363 ब्लैक स्पॉट्स चिह्नित किए हैं लेकिन इनमें से 458 को दुरुस्त करने की जिम्मेदारी कोई भी विभाग नहीं ले रहा है। सरकार की इस लापरवाही के कारण खतरा और भी बढ़ गया है।

By Manoj Kumar Tripathi Edited By: Jagran News NetworkUpdated: Fri, 08 Nov 2024 02:50 PM (IST)
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प्रदेश में ब्लैक स्पॉट की वजह से सबसे ज्यादा सड़क हादसे हो रहे हैं। (प्रतीकात्मक तस्वीर) जागरण।
मनोज त्रिपाठी, जागरण लखनऊ। साल 2023 में देश भर में सड़क हादसे में 1.73 लाख लोगों की जान गई, जिनमें सबसे ज्यादा 23,652 मौतें उत्तर प्रदेश में ही हुई हैं। लोक निर्माण विभाग के अक्टूबर माह के आंकड़ों के अनुसार, सड़क दुर्घटनाओं के लिए काफी हद तक जिम्मेदार 1,363 ब्लैक स्पॉट्स चिह्नित किए गए हैं, लेकिन हालात ऐसे हैं कि इनमें से 39 जिलों के 458 ब्लैक स्पॉट्स को दुरुस्त करने की जिम्मेदारी कोई भी विभाग लेने को तैयार नहीं है।

कुल ब्लैक स्पॉट्स में 370 स्पॉट ऐसे हैं, जिन्हें लोक निर्माण विभाग सही करवा रहा है, जबकि 535 स्पॉट्स को ठीक करने की जिम्मेदारी कुछ अन्य विभागों ने ली है। इन ब्लैक स्पॉट को जल्द ठीक नहीं किया गया तो सड़क दुर्घटनाओं में कई और जिंदगियां खत्म हो सकती हैं।

कैसे ठीक कराए जाते हैं ब्लैक स्पॉट?

ब्लैक स्पॉटों को चिह्नित करने के लिए किसी भी सड़क पर 500 मीटर के दायरे में तीन वर्षों में हुई दुर्घटनाओं की जानकारी एकत्र की जाती है। तीन वर्षों में कम से कम पांच भीषण सड़क दुर्घटनाओं में 10 लोगों की मौत होने या पांच लोगों के गंभीर रूप से घायल होने पर उस स्थान को ब्लैक स्पॉट के रूप में चिह्नित किया जाता है। इसके बाद चिह्नित स्थल का दौरा करके सड़क दुर्घटनाओं के कारण की जांच की जाती है। इंजीनियरिंग या निर्माण व डिजाइन से संबंधित कमी पाए जाने पर लोक निर्माण विभाग उसे सही करवाने की जिम्मेदारी लेता है। इसी जांच के आधार पर मौके पर क्या-क्या सुधार होने चाहिए, इसकी रिपोर्ट भी तैयार की जाती है। दुर्घटना रोकने के उपाय करने के तीन वर्षों में चिह्नित स्थल पर कोई सड़क दुर्घटना नहीं होती है तो उस ब्लैक स्पॉट को समाप्त मान लिया जाता है।

सड़क सुरक्षा को लेकर राज्य सरकार ने 200 करोड़ का प्रविधान किया है। लोक निर्माण विभाग के विभागाध्यक्ष योगेश पवार ने बताया कि लोक निर्माण विभाग के पास उपलब्ध जानकारी के अनुसार ब्लैक स्पॉटों को सही किया जा रहा है।

जिलेवार ब्लैक स्पॉट की स्थिति

प्रदेश भर में सर्वाधिक 86 ब्लैक स्पॉट राजधानी लखनऊ में हैं। इसके अलावा आगरा में 49, प्रयागराज में 46, बरेली 45, आजमगढ़ व रायबरेली में 44-44, बदायूं में 41, हरदोई में 35, उन्नाव व बस्ती में 34-34, सीतापुर में 33, बागपत में 32, बहराइच में 29, मथुरा में 28, मऊ में 27, बलिया में 25, संत कबीरनगर में 24, मेरठ में 23, अयोध्या, हापुड़, गाजियाबाद व गोंडा में 21-21, मुजफ्फर नगर व सोनभद्र में 20-20, पीलीभीत, रामपुर, फतेहपुर में 19-19, कानपुर देहात व हाथरस में 18-18, कानपुर नगर, गाजीपुर, शाहजहांपुर, खीरी, महोबा, बांदा 17-17, मीरजापुर, महराजगंज, अलीगढ़ में 15-15, फिरोजाबाद स्पॉट हैं।

इसके अलावा भदोही, बुलंदशहर, मुरादाबाद, चित्रकूट, बाराबंकी में 14-14, झांसी में 13, कुशीनगर, फर्रुखाबाद में 12-12, सिद्धार्थनगर में 11, मैनपुरी, संभल, वारणसी में 10-10, चंदौली, गोरखपुर, बिजनौर में नौ-नौ, इटावा में आठ, अमरोहा, सहारनपुर, सुलतानपुर, अमेठी, औरैया, जौनपुर, एटा में सात-सात, कन्नौज में छह, जालौन, देवरिया, ललितपुर, हमीरपुर में पांच-पांच, अंबेडकर नगर व बलरामपुर में चार-चार, प्रतापगढ़ व श्रावस्ती में तीन-तीन, कौशांबी व कासगंज में दो-दो व शामली में एक ब्लैक स्पॉट चिह्नित किए गए हैं।

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