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Antibody test: अब चलेगा पता, कोरोना के खिलाफ किसमें कितना है दम

केजीएमयू समेत देश के तीन सेंटरों को आइसीएमआर ने जांच को दी हरी झंडी।

By Anurag GuptaEdited By: Updated: Mon, 15 Jun 2020 01:00 PM (IST)
Antibody test: अब चलेगा पता, कोरोना के खिलाफ किसमें कितना है दम
लखनऊ, (संदीप पांडेय)। कोरोना के खिलाफ लड़ाई में एंटीबॉडी का अहम रोल है। वहीं किसके शरीर में एंटीबॉडी कम है या ज्यादा यह पहेली बनी हुई है। कारण, रैपिड किट से अभी तक सिर्फ रक्त में एंटीबॉडी की मौजूदगी का ही पता लग पा रहा है। ऐसे में अब देश के तीन संस्थान एंटीबॉडी की रीडिंग कर सकेंगे। आइसीएमआर ने केमील्युमीनीसेंस मशीन से जांच की मान्यता दे दी है। देश में कोरोना के मरीज लगातार बढ़ रहे हैं। इसमें 80 फीसद केस माइल्ड, 15 मॉडरेट व पांच फीसद के करीब सी वियर हैं। वहीं अब ए सिमटेमेटिक मरीज भी बढ़ रहे हैं। लिहाजा कोरोना से ठीक हो चुके मरीजों में एंटीबॉडी का आंकलन करना बेहद आवश्यक है। यह कोविड-19 बीमारी के खिलाफ लड़ाई में मुख्य हथियार बनेंगे। ऐसे में अब एंटीबॉडी पड़ताल का रास्ता काफी हद तक साफ हो गया है।

केजीएमयू की ब्लड ट्रांसफ्यूजन मेडिसिन विभाग की अध्यक्ष डॉ. तूलिका चंद्रा के मुताबिक केमील्युमीनीसेंस मशीन पर एंटीबॉडी की जांच की जा सकेगी। इंडियन कांउसिल ऑफ मे डिकल रिसर्च (आइसीएमआर) ने मशीन से जांच की शुक्रवार को मान्यता दे दी है। अभी यह जांच देश में केजीएमयू, सैफई रिम्स व एनआइवी पुणे कर सकेंगे। -ओडी से तय होगी एंटीबॉडी डॉ. तूलिका चंद्रा के मुताबिक अभी रैपिड किट से सिर्फ एंटीबॉडी शरीर में है कि नहीं, इसका कंफर्म करते थे। वहीं केमील्युमीनीसेंस मशीन में आइजीजी एंटीबॉडी शरीर में कम है या ज्यादा की पुष्टि कर सकेंगे। व्यक्ति के ब्लड का सैंपल लिया जाएगा। वहीं विशेष किट में मौजूद रसायन के साथ मशीन में रन करेंगे। इसमें ऑटोमेटिक ऑप्टिकल डेंसिटी (ओडी) आएगी। यह एक प्रकार की रीडिंग है। ओडी एक से कम आने पर शरीर में एंटीबॉडी का निर्माण नहीं हुआ है। वहीं एक से तीन तक आने पर शरीर में एंटीबॉडी का कम होने की पुष्टि करेगी। वहीं ओडी छह तक आने पर एंटीबॉडी का स्तर हाई होने का कंफर्मेशन होगा।

क्या होगा फायदा

ऐसे कई लोग हो सकते हैं, जो अनजाने में संक्रमण की चपेट में आकर ठीक हो चुके हैं। उनमें एंटीबॉडी की जांच होने पर पुष्टि की जा सकेगी। ए सिमटेमेटिक मरीज के ठीक होने पर उनमें एंटीबॉडी के लेवल को जांचा जा सकेगा। ऐसा तो नहीं एंटीबॉडी कम बनी हैं और दोबारा संक्रमण की चपेट में आ जाएं। वहीं माइल्ड व सीवियर ठीक हो चुके कोरोना के मरीज में एंटीबॉडी का आकलन कर प्लाज्मा दान के लिए प्रेरित किया जा सकेगा। ऐसा होने से प्लाज्मा थेरेपी को बढ़ावा मिल सकेगा। साथ ही मरीज में प्लाजमा थेरेपी की एंटीबॉडी के अनुसार डोज तय की जा सकेगी। इन सबके साथ-साथ व्यक्ति को शरीर का प्रोटेक्शन लेवल भी पता चल जाएगा।

टाइटर किट का इंतजार

डॉ. तूलिका चंद्रा के मुता बिक इस मशीन से एंटीबॉडी की काफी हद तक पहेली सुलझ जाएगी। वहीं टाइटर किट का इंतजार है। यह किट आने पर शरीर में कम और ज्यादा नहीं, ब ल्कि कितनी एंटीबॉडी मौजूद है। यह सटीक रिपोर्ट आ जाएगी। वहीं मौजूदा मशीन से एंटीबॉडी जांच के लिए किट आ चुकी हें। एक किट से सौ टेस्ट मुम किन हैं।

रक्तदाताओं में भी जांचेंगे एंटीबॉडी

डॉ. तूलिका चंद्रा के मु ताबिक संक्रमित मरीज, ठीक हो चुके मरीजों के साथ-साथ रक्तदाताओं में भी एंटीबॉडी का आंकलन करेंगे। रक्तदाताओं में एंटीबॉडी टेस्ट से सामुदा यिक संक्रमण का भी पता लगाया जा सकता है। साथ ही यह भी कंफर्म होगा कितने लोग संक्रमण को लेकर सु रक्षित हो चुके हैं। 

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