Move to Jagran APP

UP News: जेलों में बंद महिलाओं व बच्चों की सुविधाओं में होगी बढ़ोतरी, जेल सुधारक के शोध पत्र कराया बदलाव

उत्तर प्रदेश की जेलों में महिला कैदियों और उनके बच्चों की स्थिति में सुधार के लिए एक महत्वपूर्ण शोध पत्र का विमोचन किया गया है। इस शोध में जेलों में सुधार के लिए कई सिफारिशें की गई हैं जिनमें महिलाओं के लिए अलग आवास और बैरकों का निर्माण स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार शिक्षा और कौशल प्रशिक्षण पहल शामिल हैं ।

By Shobhit Srivastava Edited By: Aysha Sheikh Updated: Fri, 23 Aug 2024 09:51 PM (IST)
Hero Image
जेलों में बंद महिलाओं व बच्चों की सुविधाओं में होगी बढ़ोतरी - प्रतीकात्मक तस्वीर।
राज्य ब्यूरो, लखनऊ। मुख्य सचिव मनोज कुमार सिंह ने दिल्ली विश्वविद्यालय के लेडी श्री राम कालेज में पत्रकारिता विभाग की प्रमुख व जेल सुधारक डा. वर्तिका नंदा के शोध पत्र का शुक्रवार को विमोचन किया। डा. नंदा ने ''''उत्तर प्रदेश के विशेष संदर्भ में भारतीय जेलों में महिला कैदियों और उनके बच्चों की स्थिति और उनकी संचार आवश्यकताओं का अध्ययन'''' विषय पर शोध किया है।

यह अध्ययन भारतीय सामाजिक विज्ञान अनुसंधान परिषद के तहत किया है। मुख्य सचिव ने कहा कि शोध पत्र में जेलों में सुधार के लिए जो सिफारिशें की गई हैं, उन्हें लागू कराया जाएगा। जेल में बंद महिलाओं व बच्चों की सुविधाओं में बढ़ोतरी की जाएगी।

मुख्य सचिव ने अपने कार्यालय सभागार में आयोजित कार्यक्रम में कहा कि प्रदेश की जेलों में निरुद्ध महिला कैदियों और उनके साथ रह रहे बच्चों के लिए विभिन्न कल्याणकारी उपाय किए जा रहे हैं। इनमें महिला कैदियों के लिए अलग आवास और बैरकों का निर्माण, स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार के साथ-साथ शिक्षा और कौशल प्रशिक्षण पहल शामिल है।

उन्होंने डा. वर्तिका नंदा का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि उनके द्वारा एक कठिन विषय को शोध के लिए चुना गया है। सिद्धदोष कैदियों के साथ विचाराधीन कैदियों को भी कारागार में रहना पड़ता है। जेलों में इंफ्रास्ट्रक्चर, संचार, सोशल एक्टिविटी को लेकर अच्छा माहौल कैदियों में सकारात्मकता को बढ़ाएगा और अपराध की पुनरावृत्ति दर को कम करेगा।

यह अध्ययन मार्च 2019 से 2020 तक करीब एक वर्ष तक चला और इसमें कोविड-19 महामारी के दौरान कैदियों के सामने आने वाली संचार चुनौतियों को भी शामिल किया गया है। अध्ययन के लिए प्रदेश की छह प्रमुख जेलों आगरा (मुख्य केंद्र), नारी बंदी निकेतन (लखनऊ), जिला जेल गाजियाबाद, गौतम बुद्ध नगर, बांदा और केंद्रीय जेल नैनी (प्रयागराज) को चुना गया था।

यूं तो यह अध्ययन मुख्य रूप से उत्तर प्रदेश पर केंद्रित था, लेकिन इसमें अन्य राज्यों, जैसे दिल्ली की तिहाड़ जेल की स्थितियों के साथ तुलनात्मक विश्लेषण भी शामिल किया गया है। इस अवसर पर पुलिस महानिदेशक कारागार पीवी रामा शास्त्री, प्रमुख सचिव नमामि गंगे अनुराग श्रीवास्तव, प्रमुख सचिव पर्यटन मुकेश कुमार मेश्राम, प्रबंध निदेशक जल निगम (ग्रामीण) डा. राज शेखर, सूचना निदेशक शिशिर आदि उपस्थित थे।

प्रमुख सिफारिशें

1-महिलाओं को ध्यान में रखकर किए जाएं जेल के डिजाइन

2-महिलाओं को जेल से वीडियो काल की दी जाए सुविधा

3-जिन महिलाओं के पास बच्चे हैं उन्हें काल का अतिरिक्त समय दिया जाए

4-महिला बैरक के पास बच्चों के लिए अलग आवास बनाए जाएं

5-डिजिटल साक्षरता व कौशल विकास के कार्यक्रम नियमित हों संचालित

6-सभी जेलों में जेल रेडियो की अनिवार्यता की जाए, इसमें सक्रिय रूप से भाग लेने वाले कैदियों को प्रोत्साहन दिया जाए

7-महिलाओं के साथ बंद बच्चों को कभी-कभी बाहर भी ले जाया जाए

ये भी पढ़ें - 

यूपी पुलिस भर्ती परीक्षा में पहले दिन ही धांधली, ब्लूटूथ इयरफोन लगाए मिला अभ्यर्थी; बायोमैट्रिक जांच ने भी खोली पोल

आपके शहर की हर बड़ी खबर, अब आपके फोन पर। डाउनलोड करें लोकल न्यूज़ का सबसे भरोसेमंद साथी- जागरण लोकल ऐप।