Move to Jagran APP

दुष्कर्म और हत्या मामले में पीस पार्टी अध्यक्ष डॉ. अयूब जमानत पर छूटे

मडिय़ांव थाने में दर्ज दुष्कर्म व गैर इरादतन हत्या के मुकदमे में 23 मई को जेल भेजे गए पीस पार्टी अध्यक्ष अयूब खान जमानत पर जेल से रिहा हो गए।

By Nawal MishraEdited By: Updated: Sat, 19 Aug 2017 09:58 PM (IST)
Hero Image
दुष्कर्म और हत्या मामले में पीस पार्टी अध्यक्ष डॉ. अयूब जमानत पर छूटे
लखनऊ (जेएनएन)। मडिय़ांव थाने में दर्ज दुष्कर्म व गैर इरादतन हत्या के मुकदमे में 23 मई को जेल भेजे गए पीस पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. अयूब खान ढाई महीने बाद ही जमानत पर जेल से रिहा हो गए। उन पर बीएससी नर्सिंग की एक छात्रा से दुष्कर्म व उसे गलत दवा देकर मारने का आरोप है।  

तीन दिन पहले अयूब के जेल से छूटने के बाद छात्रा के भाई ने शनिवार को सीओ अलीगंज से मुलाकात की। उसका आरोप है कि सीओ अलीगंज कार्यालय में पुलिसकर्मियों ने उसके, मां और बहन द्वारा दर्ज कराए गए बयान को ही बदल दिया। इस तरह से बयान को कोर्ट में पेश किया गया था, जिससे लगा कि बयान अयूब के पक्ष में दर्ज किए गए। मामले की जांच कर रहे अधिकारियों की लचर पैरवी से अयूब को जमानत मिल गई। इस मामले में अब तक चार विवेचक बदल चुके हैं और लापरवाही बरतने पर तत्कालीन इंस्पेक्टर मडिय़ांव नागेश मिश्रा को निलंबित कर दिया गया था। 

दुष्कर्म के आरोप सही 

आइजी रेंज जयनारायण सिंह के निर्देश पर पुलिस ने 23 मई की शाम अयूब को गिरफ्तार किया था। सीओ अलीगंज विवेक त्रिपाठी ने अयूब खान को बयान दर्ज कराने के बहाने सीओ कार्यालय बुलाया था। शाम साढ़े पांच बजे के करीब अयूब खान सीओ कार्यालय पहुंचे, जहां उन्हें गिरफ्तार कर न्यायालय में पेश कर जेल भेज दिया गया। सीओ ने बताया था कि अयूब खान पर लगे दुष्कर्म के आरोप सही साबित हुए हैं, इसलिए उसे गिरफ्तार किया गया। ऐसे में उसको जमानत मिलना पुलिस की लचर पैरवी ही कहा जाएगा। 

फरवरी में मुकदमा, अगस्त में चार्जशीट

पुलिस की लापरवाही का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि अयूब के खिलाफ मडिय़ांव थाने में 25 फरवरी को गंभीर धाराओं में मुकदमा दर्ज हुआ। नियम के मुताबिक पुलिस को विवेचना कर 90 दिन में न्यायालय में चार्जशीट दाखिल करनी थी लेकिन, पांच महीने से अधिक समय लगा दिया। नर्सिंग छात्रा के भाई का कहना है कि शनिवार को जब उसने सीओ अलीगंज मीनाक्षी गुप्ता से मुलाकात कर चार्जशीट के संबंध में पूछा तो उन्होंने आनन-फानन चार्जशीट दाखिल कर दी। एएसपी ट्रांसगोमती ने हरेंद्र कुमार ने भी इसकी पुष्टि की है। अयूब के जेल जाने के ढाई महीने से अधिक समय तक चार्जशीट क्यों फाइल नहीं की गई, इसकी भी जांच की मांग मृत छात्रा के भाई ने की है।

छात्रा के साथ थी अयूब की लोकेशन

तत्कालीन एसएसपी मंजिल सैनी ने बताया था कि छात्रा और अयूब दोनों की कॉल डिटेल रिकॉर्ड (सीडीआर) निकाली गई। एक मार्च से 2016 से बीस फरवरी 2017 तक सीडीआर रिपोर्ट और मोबाइल फोन टावर की पड़ताल में कई अहम सुबूत मिले। दोनों की लखनऊ में एक साथ लोकेशन मिली। 365 दिन की सीडीआर में छात्रा और अयूब के बीच 320 दिन आपस में बातचीत हुई है। 

यह था पूरा मामला 

छात्रा के भाई का आरोप है कि वर्ष 2012 में विधानसभा चुनाव में अपने लिए प्रचार करते हुए डॉ. अयूब खान संतकबीरनगर स्थित उसके घर आए थे। प्रचार करवाने के लिए छात्रा को डॉ. अयूब कुछ दिन के लिए अपने साथ ले गए। जीतने के बाद डॉ. अयूब छात्रा का करियर संवारने की बात कहकर लखनऊ लेकर चले आए। उसे लखनऊ स्थित एक कॉलेज में बीएससी नर्सिंग में दाखिला दिलाया। अयूब जब भी लखनऊ जाते छात्रा का जबरन यौन शोषण करते और मुंह खोलने पर जान से मारने की धमकी देते। ट्रॉमा सेंटर में इलाज के दौरान छात्रा की मौत के एक दिन बाद 25 फरवरी को उसके भाई ने अयूब के खिलाफ दुष्कर्म समेत अन्य संगीन धाराओं में एफआइआर कराई थी।

आपके शहर की हर बड़ी खबर, अब आपके फोन पर। डाउनलोड करें लोकल न्यूज़ का सबसे भरोसेमंद साथी- जागरण लोकल ऐप।