Move to Jagran APP

Lucknow: बिजली की चाक से मिलेगी मिट्टी की कला को बुलंदी, यूपी के कुम्हार बनेंगे हाईटेक

बिजली की चाक से भले ही निर्माण में तेजी आई हो लेकिन मिट्टी की कमी प्रजापति समाज को परेशान किए हैं। काली मिट्टी से मिट्टी के बर्तन बनते हैं। एक ट्राली काली मिट्टी 1500 से तीन हजार रुपये में मिलती है।

By Jitendra Kumar UpadhyayEdited By: Vikas MishraUpdated: Wed, 19 Oct 2022 01:09 PM (IST)
Hero Image
प्रयागराज के रामनरेश प्रजापति ने बनाया अपना बिजली से चलने वाला चाक
लखनऊ, [जितेंद्र उपाध्याय]। पारंपरिक कुम्हार की चाक में समृद्धि के पंख लग गए हैं। हाथ और डंडी के सहारे चलने वाली चाक अब बिजली से चल रही है। कम मेहनत में अधिक मुनाफा देने वाली यह चाक अब कुम्हारों के लिए वरदान बन गई है। सामान्य चाक से कई गुना अधिक उत्पादन करने वाली इस चाक को बनाने वाले प्रयागराज से आए राम नरेश प्रजापति इन दिनों लखनऊ के डालीबाग स्थित उप्र खादी एवं ग्रामोद्योग बोर्ड मुख्यालय परिसर में लगे माटी कला मेले में उन्होंने इसका प्रदर्शन किया।

सामान्य चाक के मुकाबले इस चाक से कई गुना अधिक उत्पादन होता है। राम नरेश प्रजापति ने बताया कि सामान्य चाक में एक दिन में 200 से 300 कुल्हड़ बन सकते हैं और मेहनत भी अधिक लगती है, जबकि इस चाक से कम मेहनत के साथ ही अधिक उत्पादन होता है। बिजली की चाक से एक दिन में दो हजार से तीन हजार कुल्हड़ बन सकते हैं। इससे आमदनी में भी इजाफा होता है। 

मिट्टी हो रही महंगीः बिजली की चाक से भले ही निर्माण में तेजी आई हो, लेकिन मिट्टी की कमी प्रजापति समाज को परेशान किए हैं। काली मिट्टी से मिट्टी के बर्तन बनते हैं। एक ट्राली काली मिट्टी 1500 से तीन हजार रुपये में मिलती है। काकोरी की निम्मो का कहना है कि मट्टी की कमी की वजह से परेशानी होती है। पारंपरिक कार्य करने वाले लोग इसके अतिरिक्त कोई और कार्य नहीं करते हैं। ऐसे में सरकार को चाहिए कि समाज के लोगों को ग्रामीण इलाकों मेंं तालाब आवंटित कर दिए जाने चाहिए जिससे उन्हें सुलभ मिट्टी के साथ ही परेशानी भी न हो। 

ग्राहकों का इंतजारः डालीबाग में लगे माटी कला मेले में ग्राहकों के न आने से दुकानदार परेशान हैं। कई स्टाल अंदर लगने से ग्राहक पहुंच नहीं पा रहे तो दूसरी ओर बिक्री न होने के बावजूद खाने का खर्च दुकानदारों को परेशान किए हुए है। 23 अक्टूबर तक मेला चुलेगा। अंतिम दिन खरीदारी होने की उम्मीद है।

आपके शहर की हर बड़ी खबर, अब आपके फोन पर। डाउनलोड करें लोकल न्यूज़ का सबसे भरोसेमंद साथी- जागरण लोकल ऐप।