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Independence Day Special: फजल अली ने कलम किया था कर्नल ब्वायलू का सिर Balrampur News

स्‍वतंत्रता दिवस विशेष क्रांतिकारी फजल अली का संघर्ष।

By Anurag GuptaEdited By: Updated: Thu, 08 Aug 2019 05:16 PM (IST)
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Independence Day Special: फजल अली ने कलम किया था कर्नल ब्वायलू का सिर Balrampur News

बलरामपुर [रमन मिश्र]। दिल में देशप्रेम का जज्बा रखने वाले क्रांतिकारी फजल अली ने अंग्रेजी हुकूमत की खुलकर खिलाफत की। तुलसीपुर के जंगल में फजल अली की तलाश में पहुंचे अंग्रेज अफसर कर्नल ब्वायलू को अपनी जान से हाथ धोना पड़ा। फजल ने अफसर का सिर कलम कर जंगल में एक पेड़ पर टांग दिया। इसी घटना के बाद से जंगल को बनकटवा कहा जाने लगा।

स्वतंत्रता संग्राम में तुलसीपुर अंग्रेज अफसरों के लिए सिरदर्द बना था। रानी राजेश्वरी देवी ने गोंडा के राजा देवीबख्श ङ्क्षसह से मुलाकात कर मातृभूमि की रक्षा के लिए सैनिक सहायता व सेनापति के लिए बात की। इस पर राजा ने अपनी सेना के सिपहसालार फजल अली को तुलसीपुर भेजा। सेनानायक फजल अली मिर्जापुर गोंडा के निवासी थे। जो अंग्रेजों के कट्टर दुश्मन थे। तैराकी, लाठी चलाना, भाला फेंकना, तीरंदाजी, बंदूक चलाने के साथ घुड़सवारी में दक्ष थे। सात फरवरी 1856 को जब अवध क्षेत्र को ईस्ट इंडिया कंपनी में मिलाया गया। तब अवध में अंग्रेजी सरकार का विद्रोह तेज हो गया। इसमें गोंडा जिला भी शामिल था। राजा तुलसीपुर की कैद में मौत के बाद रानी राजेश्वरी देवी के कमान संभालने पर अंग्रेज अफसरों ने गतिविधयों पर नजर रखने के लिए गोंडा का कमिश्नर कर्नल ब्वायलू को बनाया। उसने कमान संभालते ही रानी तुलसीपुर को ही पहला निशाना बनाना चाहा लेकिन, फजल अली उनके सामने दीवार बना रहा।

अंग्रेजी सेना को रोकने के लिए फजल अली ने राप्ती नदी पर मोर्चा लगाया। युद्ध में अंग्रेजी सेना के भारी पडऩे पर फजल अली अपनी सेना के साथ जंगल में छिप गए। कर्नल ब्वायलू की सेना तुलसीपुर में प्रवेश करते ही फजल अली की तलाश में जुट गई। फजल अली अपनी सेना के साथ बेतहनिया गांव के पास जंगल में ठहरे थे। इसी बीच ब्वायलू अपनी सेना के साथ आ धमका। उसने चिल्लाते हुए फजल अली को समपर्ण के लिए कहा। कर्नल ब्वायलू की आवाज सुनते ही फजल अली ने बंदूक चला दी। गोली लगने से कर्नल घोड़े से नीचे गिर गया। कर्नल के गिरते ही अंग्रेजी सेना भाग खड़ी हुई। फजल अली ने कर्नल ब्वायलू का सिर कलम कर दिया। बताया जाता है कि ब्वायलू की समाधि भगवानपुर जलाशय के पास है। गोंडा गजेटियर के आधार पर लिखी गई स्मारिका में स्वतंत्रता संग्राम की इस गौरव गाथा का बखान मिलता है।

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