देश को जल्द मिलेगा Quantum Computer, सुपर कंप्यूटर से एक हजार गुना तेजी से करेगा काम
लखनऊ विश्वविद्यालय के दीक्षा समारोह में शामिल होने आए डॉ. पांडुरंग ने कहा कि पांच वर्ष में क्वांटम कंप्यूटर बनाकर भारत सबको पीछे छोड़ सकता है क्योंकि दुनिया में अभी इसके प्रोटोटाइप पर ही काम चल रहा है। यह मौजूदा कंप्यूटर से कई हजार गुना शक्तिशाली होगा। उन्होंने पिछले दिनों को याद करते हुए कहा कि अमेरिका ने जब टेक्नोलाजी देने से मना किया तो भारत निराश नहीं हुआ।
जागरण संवाददाता, लखनऊ। एक समय था, जब अमेरिका ने भारत को सुपर कंप्यूटर की टेक्नोलॉजी देने से इन्कार कर दिया था, लेकिन देश ने स्वदेशी तकनीक से न केवल सुपर कंप्यूटर 'परम' बनाया बल्कि अब क्वांटम कंप्यूटर बनाने की दहलीज पर है।
देश में सुपर कंप्यूटर के जनक, कंप्यूटर वैज्ञानिक एवं पद्म भूषण डॉ. विजय पांडुरंग भातकर ने कहा कि पांच वर्ष में क्वांटम कंप्यूटर बनाकर भारत सबको पीछे छोड़ सकता है, क्योंकि दुनिया में अभी इसके प्रोटोटाइप पर ही काम चल रहा है। यह मौजूदा कंप्यूटर से कई हजार गुना शक्तिशाली होगा।
जब अमेरिका ने टेक्नोलॉजी देने से किया था इनकार
लखनऊ विश्वविद्यालय के दीक्षा समारोह में शामिल होने आए डॉ. पांडुरंग ने रविवार को राजभवन में पत्रकारों से चर्चा करते हुए इसकी जानकारी दी। चर्चा के दौरान भावुक हुए डॉ. पांडुरंग ने पिछले दिनों को याद करते हुए कहा कि अमेरिका ने जब टेक्नोलाजी देने से मना किया तो भारत निराश नहीं हुआ। अमेरिका ने कुछ शर्तों पर पिछली जेनरेशन की टेक्नोलॉजी देने पर सहमति दी तो तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने इसे चुनौती के तौर पर लिया।इसके बाद सुपर कंप्यूटर बनाने की जिम्मेदारी मुझे मिली। इसे बनाने में समय और बजट पर चर्चा हुई तो मैंने तीन वर्ष में सुपर कंप्यूटर विकसित करने का भरोसा दिया। उस समय अमेरिकी सुपर कंप्यूटर की कीमत 37 करोड़ रुपये थी। इतनी कीमत में तो भारत ने स्वदेशी तकनीक से 100 विज्ञानियों की टीम के साथ एक नया सेंटर और सुपर कंप्यूटर परम दोनों तैयार कर लिए।
क्वांटम कंप्यूटर के सूक्ष्म पार्टिकल तैयार कर रहे डॉ. विजय पांडुरंग
वर्तमान में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने विकसित भारत का लक्ष्य रखा है। भारत सरकार ने क्वांटम तकनीक को बढ़ावा देने के लिए क्वांटम मिशन की शुरुआत की है। मैं इस समय क्वांटम कंप्यूटर के सूक्ष्म पार्टिकल तैयार कर रहा हूं। इसके बनने के बाद हम मौसम की सटीक भविष्यवाणी कर सकेंगे। कृषि से लेकर हर क्षेत्र में इसके बाद क्रांतिकारी बदलाव होंगे।युवाओं को सलाह-अमेरिका में तकनीक को सीख भारत में दें विस्तार
आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआइ) से पड़ने वाले प्रभाव पर पूछे गए सवाल के जवाब में उन्होंने बताया कि पूरी दुनिया इसके अच्छे और बुरे परिणामों को लेकर विमर्श कर रही है। एआइ की सीमा ह्यूमन इंटेलिजेंस को ही तय करनी होगी। उन्होंने युवाओं को सलाह दी कि वे अमेरिका जाएं। वहां से तकनीकी सीखकर भारत में विस्तार दें। भारत में भविष्य बेहतर है।
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