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Indian Road Congress: ड्रेनेज सही हो तो बारिश में न धंसें सड़कें, विशेषज्ञों ने बताए टिकाऊ रोड बनाने के नुस्खे

Indian Road Congress सड़कें बनाते समय सारा ध्यान कैरिजवे पर होता है बारिश में सड़क पर जमा होने वाले पानी के ड्रेनेज पर नहीं। अव्वल तो सड़कों का स्लोप ठीक नहीं होता जिससे कि सड़क के बीचो-बीच या किनारे की ओर पानी जमा हो जाता है।

By Umesh TiwariEdited By: Updated: Tue, 11 Oct 2022 12:03 AM (IST)
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Indian Road Congress: भारतीय सड़क कांग्रेस का 81वां अधिवेशन।
Indian Road Congress: लखनऊ, राज्य ब्यूरो। बरसात में एक्सप्रेस-वे, राजमार्गों और शहरों और कस्बों की सड़कें इसलिए धंसती हैं क्योंकि उनके निर्माण के समय सड़क से पानी के ड्रेनेज पर ध्यान नहीं दिया जाता है। यदि पानी के ड्रेनेज की व्यवस्था सही हो तो सड़कें धंसेंगी नहीं। भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के 81वें अधिवेशन में सोमवार को सेंट्रल रोड रिसर्च इंस्टीट्यूट (सीआरआरआइ) के प्रधान वैज्ञानिक डा. कंवर सिंह ने 'जियोटेक्निकल इंजीनियरिंग' पर अपने प्रस्तुतीकरण में सड़कों के धंसने की समस्या की ओर ध्यान आकर्षित किया।

जलभराव से सड़क पर हो जाती दरारें

वैज्ञानिक डा.कंवर सिंह ने कहा कि सड़कें बनाते समय सारा ध्यान कैरिजवे पर होता है, बारिश में सड़क पर जमा होने वाले पानी के ड्रेनेज पर नहीं। अव्वल तो सड़कों का स्लोप ठीक नहीं होता जिससे कि सड़क के बीचो-बीच या किनारे की ओर पानी जमा हो जाता है। ज्यादा देर तक जलभराव बने रहने से सड़क की सतह पर बिछाया गया डामर फूल जाता है और उसमें दरारें पड़ जाती हैं।

दरारों के सहारे नीच पहुंच जाता पानी

इन दरारों के सहारे पानी अंदर जाता है और नीचे की मिट्टी को पोला करता है। यह प्रक्रिया जारी रहती है और एक दिन सड़क धंस जाती है। जो सड़कें जमीन की सतह से कहीं ज्यादा ऊंचाई पर बनाई जाती है, ड्रेनेज की समुचित व्यवस्था न होने के कारण उनमें पानी रिटेनिंग वाल के सहारे नीचे आता है और नींव में भरता है। धीरे-धीरे नींव कमजोर होती है और सड़क धंस जाती है। इसलिए सड़कें बनाते समय इस बात पर ध्यान दिया जाना जरूरी है कि ड्रेनेज की व्यवस्था सही हो।

टिकाऊ प्लास्टिक सड़क बनाने के नुस्खे

सीआरआरआइ की प्रधान वैज्ञानिक डा.अंबिका बहल ने हाईवे प्लानिंग पर केंद्रित अपने प्रस्तुतीकरण में प्लास्टिक रोड को टिकाऊ बनाने के नुस्खे बताए। वेस्ट प्लास्टिक से बनायी गईं 10 सड़कों के अध्ययन के आधार पर उन्होंने बताया कि सड़क निर्माण में प्लास्टिक का जरूरत से ज्यादा इस्तेमाल करने पर प्लास्टिक पिघल नहीं पाता है क्योंकि उसका गलनांक बढ़ जाता है।

प्लास्टिक ठीक तरह से पिघल पाने के कारण कुछ समय बाद सड़क चप्पड़ की शक्ल में उधड़ने लगती है। सड़क कितनी टिकाऊ होगी, यह इस बात पर निर्भर करेगा कि इसमें कितना और किस साइज का प्लास्टिक इस्तेमाल किया गया। उन्होंने कहा कि यदि सड़क निर्माण में प्लास्टिक का उपयोग बिटुमिन के आठ प्रतिशत से अधिक हो और प्लास्टिक के टुकड़ों का आकार 2.39 मिलीमीटर से अधिक न हो तो सड़क टिकाऊ होगी।

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