Action Against PFI: घुसपैठियों के लिए खाड़ी देशों से भी हो रही थी फंडिंग, ATS ने ऐसे किया पर्दाफाश
एटीएस के निशाने पर दिल्ली व बंगाल के पतों पर संचालित कई एनजीओ भी हैं जिनके माध्यम से विदेश से फंडिंग की जा रही थी। सिंडीकेट के पीछे आतंकी संगठनों की भी भूमिका को भी नकारा नहीं जा सकता। एटीएस ऐसे कई बिंदुओं पर पकड़े गए आरोपित बांग्लादेश के निवासी आदिल मुहम्मद अशरफी उर्फ आदिलुर्रहमान देवबंद निवासी शेख नबीबुल हक व अबु हुरैरा गाजी से नए सिरे से पूछताछ करेगी।
By Jagran NewsEdited By: Swati SinghUpdated: Sat, 14 Oct 2023 08:02 AM (IST)
राज्य ब्यूरो, लखनऊ। बांग्लादेशियों व रोहिंग्या की गहरे षड्यंत्र के तहत घुसपैठ करा रहे सिंडीकेट को बीते तीन वर्षां में 20 करोड़ रुपये की फंडिंग की गई है। एटीएस अब इससे पूर्व हुई विदेशी फंडिंग की छानबीन करने के साथ ही कई बैंक खातों की भी पड़ताल कर रही है। सूत्रों का कहना है कि खाड़ी देशों से भी फंडिंग की जा रही थी।
एटीएस के निशाने पर दिल्ली व बंगाल के पतों पर संचालित कई एनजीओ भी हैं, जिनके माध्यम से विदेश से फंडिंग की जा रही थी। सिंडीकेट के पीछे आतंकी संगठनों की भी भूमिका को भी नकारा नहीं जा सकता। एटीएस ऐसे कई बिंदुओं पर पकड़े गए आरोपित बांग्लादेश के निवासी आदिल मुहम्मद अशरफी उर्फ आदिलुर्रहमान, देवबंद (सहारनपुर) निवासी शेख नबीबुल हक व अबु हुरैरा गाजी से नए सिरे से पूछताछ करेगी।
एटीएस ने बनाया था ऐसे प्लान
एटीएस की विशेष कोर्ट ने तीनों आरोपितों की दस दिनों की पुलिस रिमांड स्वीकृत की है। रिमांड अवधि 14 अक्टूबर की सुबह 10 बजे से आरंभ होगी। एटीएस की छानबीन में सामने आया है कि घुसपैठ करा रहे सिंडीकेट में अलग-अलग दायित्व बांटे गए थे। गिरोह में शामिल दिल्ली निवासी अब्दुल अव्वल ने दिल्ली, असम व उत्तर प्रदेश के कुछ नागरिकों के आधार कार्ड हासिल कर उनकी मदद से ऑनलाइन खाते खोलता है।यह भी पढ़ें: Lucknow: सरकारी प्रेस में अब आधुनिक मशीनें करेंगी छपाई, खर्च होंगे 250 करोड़; स्वास्तिक आकार में बनेगा नया भवन
ऐसे की जाती थी फंडिंग
दिल्ली का निवासी अब्दुल गफ्फार विदेशी से आई रकम को उन खातों की मदद से अवैध ढंग से निकालता था। जबकि बंगाल निवासी अबु सालेह द्वारा संचालित एनजीओ के एफसीआरए खातों में विदेश के विभिन्न संगठनों से फंडिंग कराता था। उस रकम को अब्दुल्ला गाजी व अन्य सदस्यों के द्वारा बांग्लादेशी व रोहिंग्या घुसपैठियों की मदद के लिए पहुंचाया जाता था।हवाला के जरिए रकम एक सक्रिय सदस्य नजिबुल शेख तक पहुंचाई जाती थी। घुसपैठियों को फर्जी दस्तावेजों की मदद से उत्तर प्रदेश के अलावा मुंबई, दिल्ली, बेंगलुरु व अन्य राज्यों में शरण दिलाई जा रही थी। घुसपैठ कर आए कई बांग्लादेशी नागरिकों के नाम भी सामने आए हैं।
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