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जागो ग्राहक जागो! बीमा करने वाली कंपनी को करना होगा 29 लाख का भुगतान, 3 लाख मानसिक कष्ट भी देना होगा

बीमा कंपनी को ट्रक कब्जे में लेना भारी पड़ गया है। जिला उपभोक्ता फोरम सुलतानपुर ने वादी को ट्रक का मूल्य 29 लाख रुपये देने का आदेश दिया बीमा कंपनी ने राज्य आयोग में अपील की लेकिन राहत नहीं मिली है। राज्य आयोग ने जिला उपभोक्ता फोरम के आदेश पर मुहर लगा दिया है। वादी को अब तीन लाख रुपये मानसिक कष्ट व वाद व्यय भी देना होगा।

By Dharmesh AwasthiEdited By: Siddharth ChaurasiyaUpdated: Tue, 26 Sep 2023 10:36 PM (IST)
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जिला उपभोक्ता फोरम सुलतानपुर ने वादी को ट्रक का मूल्य 29 लाख रुपये देने का आदेश दिया है।

जागरण संवाददाता, लखनऊ। बीमा कंपनी को ट्रक कब्जे में लेना भारी पड़ गया है। जिला उपभोक्ता फोरम सुलतानपुर ने वादी को ट्रक का मूल्य 29 लाख रुपये देने का आदेश दिया, बीमा कंपनी ने राज्य आयोग में अपील की लेकिन, राहत नहीं मिली है। राज्य आयोग ने जिला उपभोक्ता फोरम के आदेश पर मुहर लगा दिया है। वहीं, वादी को अब तीन लाख रुपये मानसिक कष्ट व वाद व्यय का दो हजार रुपये भी देना होगा।

सुलतानपुर के अनिल कुमार पाठक ने एचडीबी फाइनेंशियल सर्विसेज लिमिटेड ने दो ट्रक यूपी 65 एचटी 3516 व यूपी 65 एफटी 9248 फाइनेंस कराया। नियमित किस्तें अदा की गईं। 27 मई 2019 को ट्रक संख्या यूपी 65 एफटी 9248 चोरी हो गया। कादीपुर थाने में एफआइआर हुई, ट्रक न मिलने पर पुलिस ने न्यायालय को अंतिम रिपोर्ट भेज दी। अनिल ने ट्रक चोरी की एफआइआर व अन्य कागजात बीमा कंपनी को भेज दिया।

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अनिल का कहना है कि अगस्त 2021 में बीमा कंपनी ने ट्रक संख्या यूपी 65 एचटी 3516 को रोक लिया। वादी ने बीमा कंपनी को आश्वस्त किया कि बीमा धनराशि मिलने पर धन जमा कर देंगे। अनिल ने 24 अगस्त को 341800 रुपये जमा करके ट्रक को छुड़ा लिया। वादी का कहना है कि बीमा कंपनी ने उसी ट्रक को 10 जनवरी 2022 को फिर पकड़ लिया।

कहा गया कि जब तक समस्त बकाया नहीं जमा करेंगे ट्रक छोड़ा नहीं जाएगा। अनिल ने कई बार अनुरोध किया एसीजेएम सुलतानपुर के यहां एफआइआर दर्ज कराने के लिए प्रार्थना पत्र दिया, जो विचाराधीन है। इसके बाद जिला उपभोक्ता फोरम में वाद दाखिल किया। बीमा कंपनी की ओर से कोई उपस्थित नहीं हुआ तो फोरम ने एकपक्षीय आदेश दिया कि दो माह में ट्रक का मूल्य 29 लाख रुपये अदा करें। मानसिक कष्ट का तीन हजार व वाद व्यय दो हजार भी देना होगा, तय समय के बाद सात प्रतिशत वार्षिक ब्याज भी देना होगा।

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बीमा कंपनी ने 16 जनवरी 2023 के आदेश के विरुद्ध राज्य उपभोक्ता आयोग में अपील की। न्यायमूर्ति अशोक कुमार ने इस मामले में दोनों पक्षों की सुनवाई की। आयोग ने बीमा कंपनी की अपील निरस्त करते हुए उसका व्यवहार अनुचित व्यापारिक व्यवहार माना। उन्होंने आदेश दिया कि एक माह में 29 लाख रुपये 12 प्रतिशत ब्याज के साथ भुगतान करें। शारीरिक व मानसिक कष्ट का तीन लाख रुपये भी 12 प्रतिशत ब्याज के साथ देना होगा।