Jagran Samvadi 2023: कलश से छलके भाव...गांव रहेंगे तो देश बचा रहेगा
संवादी के द्वितीय दिवस के द्वितीय सत्र में अनंत विजय मंच से उनका औपचारिक परिचय कराते हैं राज्यसभा के उपसभापति लेखक-पत्रकार हरिवंश को दर्शक दीर्घा तब तक पहचान चुकी होती है। बात शुरू होती है उनकी तीन पुस्तकों ‘कलश’ ‘सृष्टि का मुकुट कैलास मानसरोवर’ और ‘पथ के प्रकाश पुंज’ से। कैरेक्टर ऐंड कन्विक्शन पर टिकती है गांव की सोंधी माटी और गहरे मूल्यों से सुवासित करती हुई खत्म होती है।
By Jagran NewsEdited By: Nitesh SrivastavaUpdated: Sat, 02 Dec 2023 09:27 PM (IST)
पवन तिवारी, लखनऊ। इस अनूठे कलश से वैचारिक भाव छलक उठे। प्रकृति के भाल पर मुकुट की भांति सुशोभित कैलास मानसरोवर की अनुपम छटा, उस सुदीर्घ यात्रा में जो कुछ घटा। पत्रकारीय कौशल से लेकर राजनीतिक महारत तक अध्येता से लेकर कर्मठता के प्रणेता तक की कथा-व्यथा।
संवादी के द्वितीय दिवस के द्वितीय सत्र में अनंत विजय मंच से उनका औपचारिक परिचय कराते हैं, राज्यसभा के उपसभापति, लेखक-पत्रकार हरिवंश को दर्शक दीर्घा तब तक पहचान चुकी होती है। बात शुरू होती है उनकी तीन पुस्तकों ‘कलश’, ‘सृष्टि का मुकुट: कैलास मानसरोवर’ और ‘पथ के प्रकाश पुंज’ से।
कैरेक्टर ऐंड कन्विक्शन (चरित्र और दृढ़ विश्वास) पर टिकती है, गांव की सोंधी माटी और गहरे मूल्यों से सुवासित करती हुई खत्म होती है-‘हम ऐसी शोधपरक सामग्री रचें-गढ़ें कि लोगों में लंबे लेख पढ़ने की प्रवृत्ति उपजे। चार लाइन की संक्षिप्त सामग्री पढ़ने की उनकी बुरी आदत छूट जाए।’
भारतेंदु नाट्य अकादमी (बीएनए), गोमतीनगर के थ्रस्ट सभागार में यह सत्र इतना रुचिकर था कि निर्धारित एक घंटे की समय सीमा टूटकर एक घंटा 20 मिनट तक पहुंच गई। हरिवंश की सहजता-सरलता का बखान करते हुए दैनिक जागरण के एसोसिएट एडिटर अनंत विजय ने उनसे एक साथ तीन पुस्तकें लाने का मर्म जानना चाहा।
‘छपीं जरूर एक साथ, लेकिन लिखी गईं अलग-अलग दौर में’। हरिवंश अपनी लेखन यात्रा का वृत्तांत सुनाते हैं। ‘2011 में अखबारनवीसी करते मैंने कैलास-मानसरोवर की यात्रा की। विद्यार्थी जीवन से ही मेरे मन में जिज्ञासा थी हिमालय दर्शन की।’ दूसरी पुस्तक ‘कलश’ ऐसे लोगों की स्मृतियां हैं, जिनसे मैंने अध्यात्म को जाना-समझा। ‘पथ के प्रकाशपुंज’ में ऐसी विभूतियों, पुस्तकों का उल्लेख है, जिन्होंने मुझे जीवन की कठिनाइयों से लड़ने की ताकत दी।
स्टेट बैंक के भूतपूर्व चेयरमैन आरके तलवार की जीवटता और दृढ ईमानदारी को इंगित करते हुए हरिवंश पंच लाइन देते हैं- कैरेक्टर और कन्विक्शन (चरित्र और दृढ़ विश्वास) ही समाज को आगे ले जाता है। चरित्र नहीं है तो समाज टिक नहीं सकता। पुस्तक में एक शीर्षक है-विकल्पहीन गांधी। यह क्यों? हरिवंश गहरी श्वास लेकर कहते हैं- भारतीय जीवन पद्धति ही दुनिया को बचा सकती है और गांधी इस पद्धति के सबसे बड़े प्रतीक हैं।
अनंत विजय पत्रकारिता के छात्रों की ओर से प्रश्न करते हैं- भाषा को विषय के हिसाब से कैसे साधते हैं’? पत्रकारिता का सबसे बड़ा हथियार है भाषा। जितना पढ़ सकें, पढ़ें। फिर बात आती है तीसरी पुस्तक की? कैलास मानसरोवर को सृष्टि का मुकुट कैसे कहते हैं? हरिवंश सहजता से रहस्योद्धाटन करते हैं-कैलास-मानसरोवर यात्रा पर जाने से पहले कई यात्रा वृत्तांत पढ़े। जब कठिन यात्रा कर अपनी आंखों से जाकर देखा तब सहज ही अभिव्यक्त हुआ- सृष्टि का मुकुट।
गांव कितना बचाकर रख पाए? कितना मूल हरिवंश बचा सके? सगर्व कहते हैं-मेरे जीवन में गांव न होता तो मैं यह सब न कर पाता। हर मुसीबत का सामना करने की ताकत गांव ने ही दी। अनंत विजय समाधान पूछते हैं- कैसे रहें गांव में? वहां तो संसाधन नहीं। हरिवंश यह कहने में संकोच नहीं करते कि गांव अब बदल चुके हैं, बस वहां के मूल्यों को फिर पल्लवित-पुष्पित करना होगा। दर्द छलकता है उनका-‘जो गांव कभी समाज के लिए जीता था, वह अब बाजार की भेंट चढ़ रहा।’ ‘गांव को बचाना होगा।’
दर्शक दीर्घा से अनुराग मिश्र, लोकगायिका रंजना मिश्र, दैनिक जागरण वाराणसी के संपादकीय प्रभारी भारतीय बसंत कुमार, महाप्रबंधक प्रशांत कश्यप की जिज्ञासा शांत करते हुए हरिवंश कहते हैं। हमें कड़े निर्णय लेने होंगे।बच्चों के लिए खुद को मोबाइल से अलग रखना होगा। शार्टनोट की जगह बड़े शोधपरक लेख लिखने और पढ़ने की आदत लोगों में मीडिया को डालनी होगी। कुछ भी कठिन नहीं। मुद्दे में बड़ी ताकत होती है। बस, इसे समझ लें।
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