Jagran Samvadi 2024: आखिरी सत्र में भगवती चरण वर्मा की कहानी पर रंगकर्मी रूपाली चंद्रा की एकल प्रस्तुति, भावविभोर हो गए दर्शक
Jagran Samvadi 2024 दैनिक जागरण संवादी के आखिरी सत्र में रविवार की शाम को प्रसिद्ध उपन्यासकार भगवती चरण वर्मा की कहानी ‘प्रायश्चित’ पर एकल प्रस्तुति हुई। वरिष्ठ रंगकर्मी रूपाली चंद्रा ने वाचन और अपने खास अंदाज से इस हास्य कहानी को पेश किया। उनकी सजीव और भावपूर्ण अभिव्यक्ति ने श्रोताओं को ऐसा बांधा कि पूरे सभागार में मौजूद दर्शक भावविभोर नजर आए।
विवेक राव, लखनऊ। किसी कहानी को पढ़ने और सुनने का अपना आनंद रहता है, लेकिन कहानी के शब्दों को अपने अभिनय के रंग से रंगते हुए एक दृश्य में बदलना दर्शकों पर एक अलग ही छाप छोड़ता है। रविवार की शाम दैनिक जागरण संवादी के आखिरी सत्र में प्रसिद्ध उपन्यासकार भगवती चरण वर्मा की कहानी ‘प्रायश्चित’ पर एकल प्रस्तुति हुई। वरिष्ठ रंगकर्मी रूपाली चंद्रा ने वाचन और अपने खास अंदाज से इस हास्य कहानी को पेश किया। उनकी सजीव और भावपूर्ण अभिव्यक्ति ने श्रोताओं को ऐसा बांधा कि पूरे सभागार में मौजूद दर्शक भावविभोर नजर आए। हर कोई उनकी हर पंक्ति और संवाद को ध्यान से सुनता रहा, मानो दृश्य उनकी आंखों के सामने जीवंत हो उठा हो।
लखनऊ विश्वविद्यालय के मालवीय सभागार में वरिष्ठ रंगकर्मी गोपाल सिन्हा के निर्देशन में रूपाली चंद्रा ने कहानी की एकल प्रस्तुति दी। कहानी में कबरी बिल्ली और रामू की बहू के बीच हास्य, कौतूहल और सामाजिक व्यंग्य से भरपूर घटनाएं दर्शकों को गुदगुदाने के साथ-साथ सोचने पर भी मजबूर करती रहीं। रूपाली चंद्रा ने अपनी प्रस्तुति में सिर्फ शब्दों के माध्यम से ही नहीं, बल्कि अपनी भाव-भंगिमा, आवाज के उतार-चढ़ाव और चरित्रों के संवादों को जीते हुए श्रोताओं को कहानी में खींच लिया। उनकी अभिव्यक्ति इतनी प्रभावी थी कि दर्शक हर पल यह महसूस करते रहे कि वे खुद कहानी का हिस्सा बन गए हैं।
कहानी के मुख्य पात्र रामू की बहू और कबरी बिल्ली के बीच चलने वाली टकराहट को उन्होंने इस तरह प्रस्तुत किया कि हर दृश्य सभागार में जीवंत हो उठा। जब रामू की बहू कबरी बिल्ली को पकड़ने के लिए चालाकी से जाल बिछाती है, तो दर्शकों के चेहरे पर उत्सुकता और हंसी दोनों के भाव स्पष्ट दिखे। वहीं, कबरी की शरारतों और रामू की बहू के गुस्से को जब उन्होंने अपनी भावपूर्ण अदायगी से उभारा। रामू की बहू के कबरी बिल्ली मारने के प्रयास और पंडित परमसुख के प्रायश्चित के विधान को सुनकर भी दर्शक मुस्कुराते रहे, फिर एक तरफ 11 ताेले सोने की बिल्ली बनाने का प्रबंध और बिल्ली के मारने के पाप से मुक्त होने की जुगत बताने का तरीका भी रूपाली ने खास अंदाज से प्रस्तुत किया, और इसी बीच में बिल्ली के उठकर भाग जाने का संदेश देते हुए एक खास अंदाज में कहानी खत्म होती है तो तालियों की गड़गड़ाहट से पूरा सभागार गूंज उठता।
कहानी में एकल प्रस्तुति से रंगकर्मी ने सामाजिक संदेश और हास्य-व्यंग्य के माध्यम से भारतीय परिवारों की मानसिकता को उकेरा। श्रोताओं में कई साहित्य प्रेमियों ने इस प्रस्तुति को अद्भुत बताया। हिंदी के एक प्रोफेसर ने कहा कि कहानी को जिस अंदाज में प्रस्तुत किया, वह हमें साहित्य और रंगमंच के उस जादुई संगम से परिचित कराता है, जो आज के समय में दुर्लभ है। एक युवा दर्शक ने कहा, भगवती चरण वर्मा की कहानियां पढ़ी थीं, लेकिन उन्हें सुनने का यह अनुभव अद्वितीय था। ऐसा लगा जैसे हम उनके समय में चले गए हैं। ‘प्रायश्चित’ कहानी की एकल प्रस्तुति के साथ ही उत्सव अभिव्यक्ति का संवादी कार्यक्रम का यह सत्र समाप्त होता है। ।
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