वक्फ संशोधन विधेयक के लिए JPC की घोषणा, यूपी से इमरान मसूद समेत तीन सांसद होंगे शामिल
वक्फ अधिनियम (संशोधन) विधेयक के लिए संयुक्त संसदीय कमेटी (JPC) की घोषणा कर दी गई है। कमेटी में कुल 31 सदस्य होंगे जिसमें लोकसभा के 21 और राज्यसभा के 10 सदस्य शामिल होंगे। यूपी से कमेटी के लिए तीन लोगों जगदंबिका पाल मौलाना मोहिबुल्लाह नदवी और इमरान मसूद के नाम सामने आए हैं। वहीं राज्यसभा के 10 नामों की सिफारिश जल्द ही की जाएगी।
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। वक्फ अधिनियम (संशोधन) विधेयक के लिए संयुक्त संसदीय कमेटी (JPC) की घोषणा कर दी गई है। कमेटी में कुल 31 सदस्य होंगे, जिसमें लोकसभा के 21 और राज्यसभा के 10 सदस्य शामिल होंगे। यूपी से कमेटी के लिए तीन लोगों जगदंबिका पाल, मौलाना मोहिबुल्लाह नदवी और इमरान मसूद के नाम सामने आए हैं। वहीं, राज्यसभा के 10 नामों की सिफारिश जल्द ही की जाएगी।
यूपी से तीन लोग होंगे कमेटी में शामिल
- जगदंबिका पाल
- मौलाना मोहिबुल्लाह नदवी
- इमरान मसूद
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इमरान ने संसद में किया वक्फ संशोधन विधेयक का विरोध
लोकसभा सांसद इमरान मसूद को भी संयुक्त संसदीय कमेटी में शामिल किया गया है। उन्होंने वक्फ संशोधन विधेयक का विरोध किया था। कहा था कि यह हमारे संविधान में निहित मौलिक अधिकारों का घोर उल्लंघन है। यह विधेयक अपने वर्तमान स्वरूप में संविधान के अनुच्छेद 15, 25, 26, 29 और 30 के तहत गारंटीकृत समानता, धर्म की स्वतंत्रता और सांस्कृतिक अधिकारों के सिद्धांतों का गंभीर उल्लंघन करता है।इमरान ने कहा था कि वक्फ बोर्ड का गठन मस्जिदों और अन्य धार्मिक स्थलों के प्रबंधन के लिए किया गया था, लेकिन इस बिल के माध्यम से वक्फ बोर्ड की शक्तियों को समाप्त कर डीएम राज लाने का काम किया जा रहा है, इसके तहत आने वाली आठ लाख से अधिक संपत्तियों को खुर्द-बुर्द करने काम किया जाएगा।उन्होंने कहा था कि यह बिल अनुच्छेद 15 का उल्लंघन करता है, जो धर्म, जाति, लिंग या जन्म स्थान के आधार पर भेदभाव को प्रतिबंधित करता है। यह बिल मुसलमानों के अधिकारों का हनन करता है और उनके धार्मिक स्थलों के प्रबंधन पर सरकार का नियंत्रण बढ़ाता है। कांग्रेस सांसद ने कहा कि अनुच्छेद 26 और 30 धार्मिक संप्रदायों के शैक्षणिक संस्थानों की स्थापना और प्रबंधन के अधिकारों की रक्षा करते हैं।
उन्होंने कहा था कि अनुच्छेद 29 नागरिकों के किसी भी वर्ग को अपनी विशिष्ट भाषा, लिपि या संस्कृति को संरक्षित करने के अधिकार की गारंटी देता है। वक्फ अधिनियम की धारा 40 को सीधे तौर पर हटा दिया जाना स्पष्ट रूप से गलत प्रेरणा है।वक्फ के हित और उपरोक्त मामले में सर्वोच्च न्यायालय द्वारा तय किए गए कानून के खिलाफ है और वक्फ को ऐसी शक्तियों वाले अन्य बंदोबस्तों के कानूनों के प्रावधानों के साथ समानता में नहीं रखता है। कुल मिलाकर यह विधेयक हमारे देश के धर्मनिरपेक्ष ताने-बाने पर सीधा हमला है और धर्म के मामलों में राज्य द्वारा किया गया एक गंभीर अतिक्रमण है।
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- जगदंबिका पाल
- निशिकांत दुबे
- तेजस्वी सूर्या
- अपराजिता सारंगी
- संजय जयसवाल
- दिलीप सैकिया
- अभिजीत गंगोपाध्याय
- डीके अरुणा
- गौरव गोगोई
- इमरान मसूद
- मोहम्मद जावेद
- मौलाना मोहिबुल्लाह नदवी
- कल्याण बनर्जी
- ए राजा
- लावु श्री कृष्ण देवरायलू
- दिलेश्वर कामैत
- अरविंद सावंत
- सुरेश गोपीनाथ
- नरेश गणपत म्हस्के
- अरुण भारती
- असदुद्दीन ओवैसी