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Karwa Chauth 2022: राशि के अनुसार साड़ी पहनकर करें करवा चौथ की पूजा, ये स्त्रियां नहीं रख सकतीं व्रत

Karwa Chauth 2022 13 अक्टूबर 2022 को शादीशुदा महिलाओं का महत्वपूर्ण त्योहार करवा चौथ का व्रत रखा जाएगा। करवाचौथ का व्रत रखकर महिलाएं पति की लंबी उम्र की कामना करती हैं। ये व्रत महिलाओं के लिए सौभाग्‍यदायी भी माना गया है।

By Umesh TiwariEdited By: Updated: Fri, 07 Oct 2022 06:45 PM (IST)
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Karwa Chauth 2022: करवा चौथ गुरुवार 13 अक्टूबर को है।
Karwa Chauth 2022: लखनऊ, जेएनएन। हिंदू पंचांग के अनुसार कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि पर हर वर्ष करवा चौथ का त्योहार मनाया जाता है। स्त्रियों के परम सौभाग्य का व्रत करक चतुर्थी या करवा चौथ गुरुवार 13 अक्टूबर को है। यह त्योहार ज्यादातर उत्तर भारत के राज्यों में विशेष रूप से बहुत ही उत्साह के साथ मनाया जाता है। इस व्रत में महिलाएं दिन भर निर्जल रह कर शाम को करवा चौथ व्रत की कथा सुनती हैं और रात्रि में चंद्र देव के दर्शन के बाद ही व्रत खोलती हैं।

कब है करवा चौथ का व्रत

इस बार शुक्र के अस्त होने और चतुर्थी तिथि को लेकर करवा चौथ व्रत की तारीख में मतभेद है। कुछ ज्योतिषाचार्य करवा चौथ को 13 तो कुछ 14 अक्टूबर को मनाने की बात कह रहे हैं। शक्ति ज्योतिष केन्द्र लखनऊ के अनुसार हिंदू धर्म में कोई भी व्रत-त्योहार उदया तिथि के आधार पर ही निर्धारित की जाती है। इस वजह से इस साल करवा चौथ का व्रत 13 अक्टूबर 2022 को ही मनाया जाएगा। चंद्र दर्शन का समय रात्रि के 07:53 बजे है।

राशि के अनुसार साड़ी पहनकर करें पूजा

शक्ति ज्योतिष केन्द्र लखनऊ पण्डित शक्तिधर त्रिपाठी ने बताया कि विशेष फल प्राप्ति के लिए महिलाएं राशि के अनुसार साड़ी पहनें तो विशेष फल की प्राप्ति होगी। उन्होंने बताया कि राशि के अनुसार पुष्प भी अर्पित करें।

मेष : इस राशि की महिलाएं गहरे लाल रंग की साड़ी पहनें, लाल गुड़हल या गुलाब अर्पित करें।

बृष : पीली साड़ी धारण करें, पीले गेंदे का पुष्प चढ़ाएं।

मिथुन : हल्के हरे रंग की साड़ी पहनकर पूजन करें और पत्ती युक्त फूल से पूजन करें।

कर्क : गुलाबी वस्त्र उत्तम रहेगा, सफेद फूल या चावल चढ़ाएं।

सिंह : लाल साड़ी धारण करें और लाल फूल अर्पित करें।

कन्या : हरी धारी वाली साड़ी पहनकर और पत्ती युक्त पुष्प से पूजन करें।

तुला : सफेद धारी या कढ़ाई वाली गुलाबी साड़ी और सफेद रंग का फूल से पूजन करें।

कुम्भ : नीले रंग की साड़ी और नील कमल चढ़ाएं।

मीन : पीली साड़ी धारण करें और पीले या गुलाबी पुष्प से पूजन करें।

किन स्त्रियों को नहीं रखना है व्रत

जिन स्त्रियों को पहली बार रहना है, वे इस व्रत को नहीं रहेंगी। पण्डित शक्तिधर त्रिपाठी ने निर्णय सिन्धु का उद्धरण देकर बताया कि 'अस्तगे च गुरौ शुक्रे उद्यापनमुपारम्भभम् व्रतानम् नैव कारयेत।' अर्थात् शुक्रस्त होने के बाद व्रत का आरम्भ या उद्यापन नहीं करते हैं।

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