कथक शिक्षिका मंजू मलकानी जोशी ने चाह की राह पर चलकर हासिल किया मुकाम
भातखंडे संगीत संस्थान अभिमत विश्वविद्यालय में कथक शिक्षिका मंजू मलकानी जोशी के लिए भी नृत्य का ये सफर मुश्किल भरा रहा। बावजूद इसके कथक सीखने की प्रबल इच्छा लिए उत्तराखंड से लखनऊ आईं मंजू मलकानी जोशी ने कड़ी मेहनत की और आज संघर्षों के सुर-ताल सजे हैं।
लखनऊ [दुर्गा शर्मा]। जहां चाह, वहां राह...पर चाह की राह पर चलना इतना भी आसान नहीं होता है। भातखंडे संगीत संस्थान अभिमत विश्वविद्यालय में कथक शिक्षिका मंजू मलकानी जोशी के लिए भी नृत्य का ये सफर मुश्किल भरा रहा। बावजूद इसके कथक सीखने की प्रबल इच्छा लिए उत्तराखंड से लखनऊ आईं मंजू मलकानी जोशी ने कड़ी मेहनत की और आज संघर्षों के सुर-ताल सजे हैं। उस समय दूरदर्शन आदि में सांस्कृतिक कार्यक्रम देखकर नृत्य सीखने की ललक पैदा हुई थी।
जब मंजू मलकानी जोशी कक्षा चार में पढ़ रही थीं। तब अल्मोड़ा में भातखंडे विद्यापीठ की नई शाखा खुली थी, उन्होंने दाखिला ले लिया। धीरे-धीरे नृत्य का ये शौक बढ़ता गया। नृत्य में आगे की तालीम के लिए अपना शहर छोड़ना पड़ा। पिता बेटी के सुरक्षित भविष्य के लिए फिक्रमंद थे, इसलिए बैंक की नौकरी की तैयारी के लिए कहते थे, पर बेटी का दिल तो घुंघरुओं ने चुरा लिया था। परिवारवालों ने बहुत समझाया, रोका पर कथक की दुनिया का बड़ा नाम बनने का ख्वाब संजोए मंजू मलकानी जोशी 2005 में लखनऊ आ गईं।
भातखंडे में बीपीए और पारंगत में दाखिला लिया। पांच साल हॉस्टल में रहकर कथक में ही एमपीए पूरा किया। उसके बाद कथक केंद्र में गुरु शिष्य परंपरा के तहत सीखना शुरू हुआ। गुरु सुरेंद्र सैकिया जी का कुशल मार्गदर्शन मिला। मंजू कहती हैं, सिर्फ नृत्य के लिए घर-परिवार से दूर रहना पड़ा। बच्चों को डांस प्रशिक्षण देकर अपना खर्चा भी चलाया। मेहनत करती गई और फिर वो सौभाग्यशाली दिन आया जब जहां मैं नृत्य सीख रही थी, वही शिक्षिका हो गई। भातखंडे संगीत संस्थान अभिमत विश्वविद्यालय में 2015 में कथक टीचर बनी।
आज भी याद है वह प्रस्तुति
मंजू बताती हैं, 26 जनवरी 2015 की वह प्रस्तुति यादगार जब राजपथ पर प्रधानमंत्री मोदी और अमेरिका के राष्ट्रपति रहे बराक ओबामा के सामने उत्तर प्रदेश को प्रस्तुत करने का मौका मिला। राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री भवन पर प्रस्तुतियां भी हमेशा याद आती हैं। मैं हर नृत्य प्रेमी को बस यही संदेश देना चाहूंगी कि मेहनत का कोई विकल्प नहीं। सपने देखो और जब तक वह पूरे न हों, मेहनत करते रहो।