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UP Cabinet Decision : औद्योगिक विकास में अब स्वेच्छा से भागीदार बन सकेंगे भू-स्वामी, लैंड पूलिंग नीति को हरी झंडी

उद्योगों के लिए आसानी से जमीन जुटाने के लिए उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने बड़ा फैसला किया है। अब लैंड पूलिंग नीति के तहत औद्योगिक विकास प्राधिकरण जमीन जुटा सकेंगे। पॉलिसी के तहत भू-स्वामी औद्योगिक विकास में स्वेच्छा से भागीदार बन सकेंगे।

By Umesh TiwariEdited By: Updated: Wed, 23 Sep 2020 08:18 AM (IST)
उत्तर प्रदेश में कैबिनेट बाईसर्कुलेशन औद्योगिक विकास विभाग की लैंड पूलिंग नीति को मंजूरी दे दी गई।
लखनऊ, जेएनएन। उद्योगों के लिए आसानी से जमीन जुटाने के लिए उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने बड़ा फैसला किया है। अब लैंड पूलिंग नीति के तहत औद्योगिक विकास प्राधिकरण जमीन जुटा सकेंगे। पॉलिसी के तहत भू-स्वामी औद्योगिक विकास में स्वेच्छा से भागीदार बन सकेंगे। भू-स्वामी से ली गई जमीन का 25 फीसद विकसित भूमि उसे वापस मिल जाएगी जिसे वह किसी दूसरे को हस्तांतरित भी कर सकेगा।

मंगलवार देर शाम कैबिनेट बाईसर्कुलेशन औद्योगिक विकास विभाग की लैंड पूलिंग नीति को मंजूरी दे दी गई। नीति के तहत भू-स्वामी स्वत: ही अपनी जमीन देने के लिए आगे आने को आकर्षित होंगे। नीति के मुताबिक औद्योगिक विकास प्राधिकरणों द्वारा न्यूनतम 25 एकड़ वही भूमि ली जाएगी जो उसके मास्टर या जोनल प्लान के तहत 18 मीटर रोड के आसपास की होगी और जिसके 80 फीसद भू-स्वामी स्वेच्छा से भूमि देने के लिए तैयार होंगे। शेष 20 फीसद भूमि भू-अर्जन, पुनर्वासन और पुनर्व्यवस्थापन में उचित प्रतिकर और पारदर्शिता का अधिकार अधिनियम-2013 व अन्य विधि संगत तरीके से हासिल की जाएगी।

भू-स्वामी को पांच वर्ष में जब तक विकसित भूमि नहीं मिलती तब तक फसल व पुनर्वासन के लिए क्षतिपूर्ति के तौर पर प्रतिमाह पांच हजार रुपये प्रति एकड़ के हिसाब से मुआवजा मिलेगा। प्राधिकरणों को ले-आउट प्लान स्वीकृति से तीन वर्ष में विकास के कार्य कराने होंगे। नीति में बाई-बैक की व्यवस्था भी रखी गई है जिससे भू-स्वामी आवंटित विकसित भूमि को पांच वर्ष के बाद संबंधित प्राधिकरण को उस समय के भू-उपयोग के लिए लागू दर के 90 फीसद दर पर वापस कर सकेंगे।

भू-स्वामी को मिलेगी 80 फीसद औद्योगिक भूमि : नीति के तहत जमीन देने वाले भू-स्वामियों को उनके द्वारा दी गई कुल भूमि का 25 फीसद विकसित भूमि लाटरी के माध्यम से आवंटित की जाएगी। इसमें से 80 फीसद (न्यूनतम 450 वर्गमीटर) औद्योगिक उपयोग वाली विकसित भूमि होगी। 12 फीसद (न्यूनतम 72 वर्गमीटर) आवासीय तथा शेष आठ फीसद (न्यूनतम 48 वर्गमीटर) वाणिज्यिक भू-उपयोग वाली विकसित भूमि होगी। परियोजना में पड़ने वाले भवन का पीडब्ल्यूडी की दर से मूल्यांकन कर भू-स्वामी को धनराशि दी जाएगी। भू-स्वामियों को अपने पक्ष में विकसित भूमि के आवंटन या पट्टे पर किसी तरह का स्टाम्प ड्यूटी नहीं देना होगा। ऐसी भूमि सबलीज या हस्तांतरण डीड करने के लिए भू-स्वामी स्वतंत्र होंगे लेकिन उस पर स्टाम्प ड्यूटी लगेगी।

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