Move to Jagran APP

भारतीय-इटेलियन आर्किटेक्ट ने बनाया था लखनऊ का सबसे बड़ा कैथेड्रल, इसका नाव रूपी आकार देता है ये संदेश

लखनऊ ब्रिटिश हुकूमत के अधीन रहे आइरिस मूल के सैनिकों ने वर्ष 1860 में जब चर्च की आधारशिला रखी तब पहली बार 200 विश्वासियों ने की थी प्रार्थना। इस बार कोरोना के फिर दोहराया जा रहा इतिहास।

By Divyansh RastogiEdited By: Updated: Sat, 19 Dec 2020 10:52 PM (IST)
Hero Image
लखनऊ : ब्रिटिश हुकूमत के अधीन रहे आइरिस मूल के सैनिकों ने वर्ष 1860 में जब चर्च की आधारशिला रखी।
लखनऊ [जितेंद्र उपाध्याय]। राजधानी के दिल कहे जाने वाले हजरतगंज में बना सबसे बड़े कैथेडल की स्थापना 1860 में हुई थी, लेकिन इसका वृहद आकार 1977 नजर आया। भारतीय और इटेलियन आर्किटेक्ट की कल्पना को मूर्त रूप देने वाला यह चर्च नाव के आकार सा नजर आता है। 

फादर डॉ. डोनाल्ड डिसूजा ने बताया कि इस आर्किटेक्ट की कल्पना में आध्यात्मिक सोच भी नजर आती है। कैथेड्रल की बनावट यह संदेश देती है कि चर्च रूपी नाव में सवार होकर प्रभु यीशु की प्रार्थना करके ही स्वर्ग का रास्ता तय किया जा सकता है। इसका नाम लैटिन शब्द कतेद्रा से लिया गया है। कतेद्रा का मतलब होता है बैठका, जहां कैथोलिक समुदाय के धर्माध्यक्ष बैठते हैं। नाव के आकार जैसा दिखने वाले कैथेड्रल चर्च का इतिहास शहर के कैथोलिक गिरजाघरों में सबसे पुराना है। ब्रिटिश हुकूमत के अधीन रहे आइरिस मूल के सैनिकों ने वर्ष 1860 में जब चर्च की आधारशिला रखी, तब पहली प्रार्थना सभा में मात्र 200 लोग शामिल हुए। चर्च के पहले पादरी के रूप में आइरिस मूल के ग्लिसन की नियुक्ति की गई। इसके बाद चर्च के कई पादरी हुए और अब बिशप डॉ. जेराल्ड जॉन मथाइस चर्च की सेवा कर रहे हैं। कोरोना संक्रमण के चलते इस बार एक लाख के बजाय मात्र 200 लोगों को प्रार्थना में शामिल होने का अवसर दिया जा रहा है। 1860 के इतिहास को दोहराया जाएगा।

कैथेड्रल फादर डॉ डोनाल्ड डिसूजा शहर में कैथोलिक समुदाय के कदम रखने के बाद पहला चर्च डालीगंज में बना। वहां जगह की कमी के चलते वर्ष 1860 में हजरतगंज में जमीन ली गई। तब यह क्षेत्र शहर के बाहर का इलाका माना जाता था। यहीं पर छोटे से चर्च का निर्माण हुआ। इसके बाद उसी जगह पर वर्ष 1977 में वर्तमान चर्च कैथेड्रल की बिल्डिंग खड़ी हुई। कैथेड्रल साई शैक्षणिक संस्थान में पढ़ रहे गरीब परिवार के बच्चों की फीस माफ कराने के साथ-साथ अनाथालयों में भी अपनी सेवा देता आ रहा है। शहर में सेंट फ्रांसिस और सेंट पॉल स्कूल जैसे बेहतर शैक्षणिक संस्थान हैं। सप्रू मार्ग पर प्रेम निवास अनाथालय में रह रहे अनाथों की सुविधा का पूरा ख्याल रखा जाता है।

आपके शहर की हर बड़ी खबर, अब आपके फोन पर। डाउनलोड करें लोकल न्यूज़ का सबसे भरोसेमंद साथी- जागरण लोकल ऐप।