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UP: मोबाइल एप से श्रीराम मंदिर के लाइव दर्शन, अयोध्‍या में राम जन्मोत्सव की धूम, हर ओर जय श्री राम का उद्घोष

Ram Lala Temple In Ayodhya राजा राम की नगरी अयोध्‍या में आज भक्‍तों का उत्‍साह देखते ही बन रहा था। सुबह से सरयू के तट पर हजारों भक्‍तों की भी जय श्री राम का उद्घोष कर रही थी। राम लला के दर्शनों के ल‍िए भक्‍तों की भारी भीड़ लगी थी।

By Jagran NewsEdited By: Prabhapunj MishraUpdated: Thu, 30 Mar 2023 03:59 PM (IST)
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Ram Lala Temple In Ayodhya: राम लला के दर्शन करते भक्‍त

लखनऊ, जासं। धार्मिक और आध्यात्मिक कार्यों के लिए स्टार्टअप श्री मंदिर एप शुरू किया गया है। इस ऐप से आज रामनवमी पर श्रद्धालुओं को एक नई सौगात मिली। इसके माध्यम से अयोध्या राम मंदिर में होने वाले कार्यक्रम का लाइव देखा गया। इस पर राम परिवार की पूजा दिखाई गई। श्रीराम पर आधारित लेख भी यहां मिलेंगे। यह एप हिंदी, गुजराती, मराठी, भोजपुरी, हरियाणवी, राजस्थानी कई भाषाओं में है।

भक्तों के लिए भजन, कीर्तन, राम-कृष्ण स्तोत्र और रामायण का पाठ भी किया जाएगा। इस स्टार्टअप को शुरू करने वाले प्रशांत सचान ने बताया कि उत्तर प्रदेश और उसके आस-पास के क्षेत्र में इसके उपयोगकर्ता बढ़े हैं। करीब 14 लाख लोग श्री मंदिर ऐप का इस्तेमाल कर रहे हैं। एप में भजन, साहित्य, आरती संग्रह, स्तोत्र और मंत्र आदि दिए गए हैं।

अयोध्या में राम जन्मोत्सव मध्यान्ह 12 बजे मनाया गया। इस द‍िव्‍य उत्‍सव से उससे उपजा उल्लास गुरुवार को तड़के से ही परिभाषित हुआ। विभिन्न मठ- मंदिर और धर्मशालाओं में पूर्व बेला से ही डेरा जमाए श्रद्धालु पौ फटने के पूर्व ही सरयू तट की ओर आस्था के ज्वार की तरह उन्मुख हुए। राम नगरी की पंचकोसी परिधि से सरयू के मार्ग से जुड़ने तक आस्था के इस ज्वार में लाखों- लाख श्रद्धालु शामिल प्रतीत हो रहे थे और जिन्हें नियंत्रित करने में पुलिस एवं प्रशासनिक अधिकारियों सहित अर्धसैनिक बल के प्राण सूख रहे थे।

यद्यपि श्रद्धालुओं का आत्मानुशासन निर्णायक साबित हो रहा था और भीड़ के भारी दबाव तथा कठिनाइयां बर्दाश्त करते हुए श्रद्धालु आस्था के पथ पर मंजिल तय कर रहे थे। राम नगरी के चार किलोमीटर लंबे स्नान घाट पर प्रातः से पूर्वाह्न तक तिल रखने की भी जगह नहीं थी। इसके बावजूद श्रद्धालु बारी-बारी से पुण्य सलिला में डुबकी लगाते रहे और गोदान, पूजन आदि की परंपरा का निर्वहन करते हुए आगे बढ़ रहे थे।

अधिकांश की मंजिल राम जन्मोत्सव की पावन - पवित्र बेला में राम जन्मभूमि अथवा राम भक्तों की एक अन्य शीर्ष पीठ कनक भवन के प्रांगण में सुरक्षित शरण लेने की थी, जबकि कुछ श्रीराम के प्रिय दूत बजरंगबली की प्रधानतम पीठ हनुमानगढ़ी तथा श्रीराम के ही अभिन्न सखा भोले बाबा की पौराणिक पीठ नागेश्वरनाथ पर अभिषेक के लिए उन्मुख थे।

जो आस्था के ज्वार से विलग था, उसे यह ज्वार डरा दे रहा था, किंतु इस ज्वार में शामिल श्रद्धालु पूरी लय और सुर में आस्था शिरोधार्य कर रहे थे । इस बीच मंदिरों में भी राम जन्मोत्सव की तैयारियां अंतिम स्पर्श पा रही थी। रामलला पीत परिधान में दर्शकों को लुभा रहे थे और सम्मुख स्थापित गायकों संतो तथा श्रद्धालुओं की टोली उनकी मनुहार में कोई कसर नहीं छोड़ रही थी।

तकरीबन यही दृश्य कनक भवन, दशरथ महल, रंग महल, लक्ष्मण किला, मणिराम दास जी की छावनी, रामवल्लभा कुंज, जानकीघाट बड़ास्थान, अशर्फी भवन जैसे रामनगरी के प्रतिनिधि मंदिरों में था। श्रद्धालु आंखों में प्यास लिए आराध्य के प्रति चौकस थे और अगले एक-दो घंटे बाद वे राम जन्मोत्सव के साक्षी बनकर परम तृप्त होने की आस में राम नगरी की रज शिरोधार्य कर रहे थे।

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