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उत्तर प्रदेश में पुराना जनाधार पाना सपा के लिए चुनौती, मुलायम के दम पर यूपी में सत्ता के शीर्ष पर पहुंची साइकिल में लगा है 'बैक गियर'

लोकसभा चुनाव की बात करें तो 1992 में पार्टी के गठन के बाद शुरुआत के चार लोकसभा चुनाव में उसका प्रदर्शन का ग्राफ ऊपर उठता गया उसके बाद ऐसा बैक गियर लगा कि चुनाव दर चुनाव वोट प्रतिशत गिरता चला गया। सीटें भी कम होती चली गईं। दूसरे प्रदेशों में भी लोकसभा चुनाव में किस्मत आजमाई पर साइकिल कभी भी दौड़ नहीं पाई।

By Jagran News Edited By: Vinay Saxena Updated: Tue, 12 Mar 2024 02:00 PM (IST)
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समाजवादी पार्टी के अध्‍यक्ष अखि‍लेश यादव।- फाइल फोटो

शोभित श्रीवास्तव, लखनऊ। कुश्ती के दांव में माहिर मुलायम सिंह यादव जब राजनीति के दंगल में उत्तरे तो मजबूत पहलवान बनकर ही उभरे थे। चंबल के बीहड़ से सटे इटावा से निकली साइकिल में सपा संस्थापक मुलायम सिंह प्रयासों के ऐसे 'पैडल' मारते गए कि उत्तर प्रदेश में सत्ता का शिखर भी कई बार चूमा।

लोकसभा चुनाव की बात करें तो 1992 में पार्टी के गठन के बाद शुरुआत के चार लोकसभा चुनाव में उसका प्रदर्शन का ग्राफ ऊपर उठता गया, उसके बाद ऐसा 'बैक गियर' लगा कि चुनाव दर चुनाव वोट प्रतिशत गिरता चला गया। सीटें भी कम होती चली गईं। दूसरे प्रदेशों में भी लोकसभा चुनाव में किस्मत आजमाई, पर साइकिल कभी भी दौड़ नहीं पाई। उसे इक्का-दुक्का सीटों पर ही सफलता मिली। आगामी लोकसभा चुनाव के लिए कांग्रेस के साथ गठबंधन कर सीटें बढ़ाने की रणनीति बनाई है, पर उसके सामने अपना पुराना जनाधार पाने की चुनौती है।

सपा ने पहले लोकसभा चुनाव में दर्ज की थी 16 सीटों पर जीत  

सपा ने 1996 में पहले ही लोकसभा चुनाव में 16 सीटों पर जीत दर्ज करते हुए 20.84 प्रतिशत वोटों पर कब्जा जमाया था। पार्टी ने एक सीट बिहार में भी जीती थी। यह वह समय था जब लड़ाई त्रिकोणीय व चतुष्कोणीय होती थी। कम वोट प्रतिशत में भी अधिक सीटें मिल जाती थीं। प्रदेश में समय के साथ-साथ सपा ने यादव व मुस्लिम मतों पर अपनी पकड़ बना ली थी, इसी का नतीजा है कि 1998 के दूसरे लोकसभा चुनाव में उसे 28.7 से अधिक मत पाकर 20 सीटों पर सफलता मिली थी।

वर्ष 1999 में भी सपा ने 13 राज्यों की 151 सीटों पर चुनाव लड़ा था, लेक‍िन उसे उत्तर प्रदेश की 26 सीटों के अलावा किसी भी प्रदेश में सफलता नहीं मिली थी। उसे देश में कुल 3.76 प्रतिशत वोट मिला था। पार्टी के लिए सीटों के लिहाज से सबसे अच्छा प्रदर्शन 2004 का लोकसभा चुनाव रहा था, उस समय 26.74 प्रतिशत मत मिले थे, सीटें भी 35 आईं थीं।

2019 में सपा ने बसपा के साथ 37 सीटों पर लड़ा था चुनाव 

पिछला लोकसभा चुनाव यानी 2019 में सपा ने बसपा के साथ गठबंधन में 37 सीटों पर लड़ा था। इस गठबंधन का सपा को कोई खास लाभ नहीं मिल पाया था। उसे 2014 के चुनाव की तरह ही मात्र पांच सीटें ही मिली थीं। वोट प्रतिशत भी उसे महज 18.11 प्रतिशत मिला था। सपा को अपने पहले लोकसभा चुनाव से भी लगभग साढ़े तीन प्रतिशत से अधिक वोट कम मिला था।

वोट के लिहाज से सपा का वर्ष 2022 का विधानसभा चुनाव अब तक का सबसे अच्छा रहा है। उसे अब तक का सबसे अधिक 32.06 प्रतिशत वोट मिले थे, हालांकि उसे सीट 111 ही मिली थीं। सपा ने 2012 के विधानसभा चुनाव में 29.13 प्रतिशत वोट पाकर 224 सीटों पर सफलता प्राप्त करते हुए सरकार बना ली थी। इस बार सपा का कांग्रेस के साथ गठबंधन है। आगामी लोकसभा चुनाव में कांग्रेस का हाथ साइकिल को कितनी रफ्तार दे पाता है यह तो चुनाव के नतीजे ही बताएंगे। हालांकि, सपा के प्रदेश अध्यक्ष नरेश उत्तम पटेल का दावा है कि पीडीए (पिछड़ा, दलित, अल्पसंख्यक) फार्मूला इस बार एनडीए को हराएगा।

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